टाइफाइड के लक्षण – क्या है, कैसे होता है, कितने प्रकार के होते हैं, किसके कारण होता है, बार-बार क्यों होता है, इसके नुकसान।
टाइफाइड के लक्षण – टाइफाइड के नुकसान
टाइफाइड बार-बार क्यों होता है
ऐसा माना जाता है कि अगर पेट स्वस्थ है, तो इंसान भी स्वस्थ होता है। हमारे पाचन तंत्र का सबसे महत्वपूर्ण अंग लिवर होता है। जो कि शरीर की सबसे बड़ी ग्रंथि होती है। लिवर में ही, खाने को पचाने में सहायक कई तरह के रस बनते हैं। आजकल देखा जाए, तो पेट से संबंधित कई बीमारियां तेजी से फैल रही है। जिसका प्रमुख कारण खानपान में लापरवाही बरतना है।
इसका सीधा असर, हमारे लीवर पर पड़ता है। वही टाइफाइड भी एक ऐसी बीमारी है। तो चिंता का विषय है। सही समय पर किसी भी बीमारी का इलाज करवाया जाए। तो उस पर नियंत्रण पाना आसान हो जाता है। लेकिन लापरवाही करना, बीमारी को नजरंदाज करना। आपकी सेहत पर भारी पड़ सकता है।
टाइफाइड भी, एक ऐसा बुखार है। जिसमें लापरवाही भारी पड़ सकती है। इसे आँतों के बुखार (intestinal fever) से भी जाना जाता है। जिसे आम भाषा में मियादी बुखार भी कहा जाता है। WHO के मुताबिक, हर साल दुनिया भर में लगभग दो करोड़ लोग टायफाइड फीवर की चपेट में आते हैं। अगर टाइफाइड में सही समय पर इलाज न मिला। तो यह बीमारी खतरनाक हो सकती है।
कुछ लोगों को बार-बार टाइफाइड हो जाता है। अगर आप भी उनमें से एक हैं। आपको भी बार-बार टाइफाइड की समस्या होती है। आपके साथ ऐसा न हो, आप हमेशा स्वस्थ रहें। तो समझेंगे कि क्यों आपको यह टाइफाइड का बुखार बार-बार होता है। इसके क्या कारण है। इसको कैसे पहचानेंगे। इसमें आपको कौन से लक्षण दिखाई पड़ते है। इसका क्या सटीक इलाज हो सकता है। क्या आप जानना चाहेंगे : गर्म पानी पीने के फायदे। गर्म पानी में दालचीनी पीने के फायदे (सही तरीका)।
टाइफाइड क्या है
टाइफाइड एक तेज बुखार से जुड़ा रोग है। इसे मेडिकल की भाषा में enteric fever भी कहा जाता है। टाइफाइड एक प्रकार का बैक्टीरियल इंफेक्शन होता है। जो साल्मोनेला टाइफी (Salmonella Typhi) नामक बैक्टीरिया होता है। इस बैक्टीरिया का आकार रॉड की तरह होता है।
यह ग्रीक शब्द टाइफस से लिया गया है। जिसका अर्थ होता धुँआ होता है। यानी इस बैक्टीरिया का रंग धुएं जैसा होता है। यह बैक्टीरिया हमारे आँतों में संक्रमण पैदा करता है। यह साल्मोनेला बैक्टीरिया दो प्रकार के होते हैं।
पहला – साल्मोनेला टाइफी, जिसे एस. टाइफी भी कहा जाता है। इससे होने वाला संक्रमण टाइफाइड कहलाता है।
दूसरा – साल्मोनेला पैराटाइफी होता है। जिसे एस. पैराटाइफी कहा जाता है। इससे होने वाले संक्रमण को पैराटाइफाइड कहते हैं।
अधिकतर लोगों में साल्मोनेला टाइफी का संक्रमण होता है। साल्मोनेला पैराटाइफी कम लोगों में होता है। ये कम गम्भीर होता है। क्या आप जानना चाहेंगे : कैल्शियम की कमी से होने वाले रोग। कैल्शियम की कमी के लक्षण। कैल्शियम युक्त खाद्य पदार्थ।
टाइफाइड कैसे होता है
टाइफाइड मुख्य रूप से हमारे दूषित खाने या दूषित पानी के द्वारा होता है। कई बार लापरवाही की वजह से भी, टाइफाइड का बुखार बिगड़ सकता है। जिसके साथ कई अन्य बीमारियां भी, आपको हो सकती है। यह साल्मोनेला बैक्टीरिया हमारे खाने के साथ मुंह से होता हुआ, आँतों में पहुंच जाता है। आँतों को संक्रमित करने के बाद, यह हमारी ब्लड स्ट्रीम में चला जाता है।
ब्लडस्ट्रीम के द्वारा, ये हमारे टिशु और अन्य अंग में चला जाता है। जिसके कारण हमारे शरीर के अन्य अंग भी प्रभावित होते हैं। टाइफाइड एक infectious diseases है। जो एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में, direct या indirect तरीके से पहुंच जाती है।
Direct Contact – इसका मतलब यह है कि सलाइवा के माध्यम से, दूसरे व्यक्ति में जाता है। सलाइवा के सम्पर्क में आने पर व्यक्ति प्रभावित होता है। जैसे रोगी का झूठा खाना व झूठे बर्तन आदि के द्वारा। ऐसा बहुत ही कम होता है।
Indirect Contact – इसका मतलब यह है कि यूरिन और स्टूल के माध्यम से, यह दूसरे व्यक्ति में जाता है। यूरिन के माध्यम से बहुत कम मामले देखने को मिलते हैं। ज्यादातर यह स्टूल के माध्यम से होता है। क्योंकि टाइफाइड का बैक्टीरिया हमारे इंटेस्टाइन में होता है। जो मल के माध्यम से ही बाहर होता है।
जब संक्रमित व्यक्ति मल त्याग करने के बाद, अपने हाथों को अच्छे से नहीं धोता है। फिर जब वह किसी भी खाने या पीने की चीजों को छूता है। तो उसका इन्फेक्शन इसमें चला जाता है। अगर प्रभावित व्यक्ति खुले में शौच करता है। तो घरेलू मक्खियों के द्वारा, यह एक जगह से दूसरी जगह आसानी से पहुंच जाता है। इसलिए इसमें साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखने को कहा जाता है। क्या आप जानना चाहेंगे : Green Tea ke Fayde। Green Tea Benefits in Hindi (बनाने की विधि)।
टाइफाइड बार-बार क्यों होता है
टाइफाइड का मुख्य कारण साल्मोनेला टाइफी बैक्टीरिया होता है। मनुष्य के अलावा, यह बैक्टीरिया अन्य किसी जीव में नहीं पाया जाता है। जब आप इस बैक्टीरिया संपर्क में आते हैं। तो यह बैक्टीरिया हमारी आंतों में पहुंच जाता है। आँतो में पहुंचकर, उसकी ग्रोथ होना शुरू हो जाती है। जहां यह अपने आप को मल्टीप्लाई करता है। यानी इसकी संख्या गुणित अनुपात में बढ़ने लगती है।
इसके बाद ही यह हमारे खून में पहुंच जाता है। तब हमें टाइफाइड के लक्षण दिखाई पड़ते है। इस बैक्टीरिया को खत्म करने के लिए, एंटीबायोटिक दवाओं का प्रयोग किया जाता है। जिसका कोर्स लगभग 7 से 14 दोनों का होता है। दवा के कोर्स को पूरा करना जरूरी होता है। ताकि यह निश्चित हो सके कि बैक्टीरिया आपके शरीर से पूरी तरह मर चुका है।
लेकिन कुछ लोगों के ठीक होने के बाद, दोबारा से टाइफाइड बुखार हो जाता है। ऐसा ठीक होने के एक हफ्ते बाद या कुछ अधिक समय बाद भी हो सकता है। ऐसी अवस्था में रोगी को फिर से एंटीबायोटिक दवाई दी जाती है। ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि कुछ लोगों को शरीर से, इसका बैक्टीरिया पूर्णरूप से खत्म नहीं हो पाता है। अक्सर ऐसा भी होता है कि बुखार ठीक होने के बाद, लोग इसका इसकी दवाओं का पूरा कोर्स नहीं करते हैं।
जिसके कारण बैक्टीरिया शरीर से पूरी तरह से खत्म नहीं होता है। यह बैक्टीरिया दोबारा से मल्टिप्लाई होने लगता है। फिर बैक्टीरिया की ग्रोथ हो जाती है। तब दोबारा से टाइफाइड बुखार हो जाता है। इसलिए पहली बार टाइफाइड होने पर, दवा का पूरा कोर्स करने के बाद, आपको अपने मल की जांच जरूर करवानी चाहिए। ताकि पता चल सके कि टाइफाइड का बैक्टीरिया, आपके शरीर से पूरी तरह खत्म हुआ है या नहीं।
अगर आपके मल में बैक्टीरिया दोबारा नजर आता है। तो आपको डॉक्टर के सलाह पर, दोबारा से एंटीबायोटिक दवा का कोर्स करना होगा। यह डॉक्टर तय करेंगे कि आपको कितने दिनों का कोर्स करना चाहिए। कोर्स के बाद, फिर से मल की जांच करानी चाहिए। जब तक यह निश्चित न हो जाए कि बैक्टीरिया पूर्णरूप से आप के शरीर से खत्म हो गया है। क्या आप जानना चाहेंगे : किडनी की बीमारी के 10 संकेत। क्या किडनी ठीक हो सकती है। किडनी का रामबाण इलाज।
टाइफाइड के लक्षण
जब किसी व्यक्ति को टायफाइड फीवर होता है। तो उसके शरीर में बहुत सारे लक्षण दिखाई पड़ते हैं। इसके संक्रमण होने पर दिखाइए देने वाले, लक्षण को कुछ इस प्रकार है –
1. उच्च ताप – हमारे शरीर में जब किसी भी तरह का संक्रमण होता है। तो सबसे पहले, हमारे शरीर में बुखार दिखाई देता है। टाइफाइड से संक्रमित व्यक्ति को लंबे समय तक तथा उच्च तापमान रहता है। इसलिए टायफाइड फीवर में 104°F तक बुखार लंबे समय तक रह सकता है।
2. सरदर्द की समस्या – टायफाइड फीवर होने पर व्यक्ति को सर में दर्द की समस्या बनी रहती है।
3. जी मचलाना व उल्टी की समस्या – इससे संक्रमित व्यक्ति को जी मचलाना व उल्टियां होने की समस्या हो सकती है। ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि इसका बैक्टीरिया हमारे स्मॉल इंटेस्टाइन को प्रभावित करता है। यह हमारे गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल ट्रैक को प्रभावित करता है। इसके कारण व्यक्ति को जी मचलाने व उल्टी की समस्या हो जाती है।
4. थकावट की समस्या – ऐसे में संक्रमित व्यक्ति को बहुत ज्यादा थकावट का एहसास होता है उसका शरीर हमेशा थका-थका सा रहता है।
5. पेट दर्द की समस्या – इसके कारण व्यक्ति को पेट में दर्द की समस्या भी हो सकती है। क्योंकि यह बैक्टीरिया सबसे पहले हमारी छोटी आंत को प्रभावित करता है। यह हमारी छोटी आँत में छेद करके, हमारे ब्लड तक पहुंचता है। जब इसमें संक्रमण फैलता है, तो हमें पेट दर्द की समस्या दिखाई देती है।
6. ठंड लगना व पसीना आना – जब संक्रमित व्यक्ति को बुखार आता है। तो उसे ठंड लगने के साथ, पसीना भी अधिक आने लगता है।
7. डायरिया व कब्ज की समस्या – अगर व्यक्ति को टाइफाइड का संक्रमण होता है। तो उसे डायरिया की समस्या हो सकती है। कभी-कभी व्यक्ति को कब्ज की भी समस्या हो सकती है।
8. भूख न लगना – इससे संक्रमित व्यक्ति को भूख नहीं लगती है। उसे खाने की इच्छा नहीं होती है। ऐसे में उसे कमजोरी भी आ जाती है। क्या आप जानना चाहेंगे : ईएसआर क्या होता है। ईएसआर बढ़ने से क्या होता है। ईएसआर बढ़ने के लक्षण। ईएसआर कितना होना चाहिए।
9. जीभ का सफेद हो जाना – इसे टाइफाइड का एक विशेष लक्षण भी कहा जा सकता है। इसमें व्यक्ति की जीभ पर एक सफेद रंग की लेयर से जम जाती है। रोगी की जीभ सफेद रंग की दिखाई पड़ती है।
10. शरीर पर लाल चकत्ते होना – इससे संक्रमित व्यक्ति के शरीर पर लाल चकत्ते दिखाई पड़ते हैं। यह विशेषकर छाती व पेट के हिस्से पर होते हैं। यह चकत्ते के 2 से 4 मिलीमीटर तक के हो सकते हैं। यह अक्सर सभी रोगियों में नहीं दिखाई पड़ते हैं। बल्कि जब टायफाइड फीवर लंबे समय तक रहता है, तो ये दिखाई पड़ते हैं। यह चकत्ते रोज ही बनते है। इसीलिए टाइफाइड को मोतीझरा भी कहा जाता है।
11. कफ व खाँसी – टाइफाइड के रोगियों में कफ का बनना व खांसी की समस्या भी हो सकती है।
12. हेपटोमेगेली – इसका मतलब है कि लिवर का आकार बड़ा हो रहा है। क्योंकि इसका बैक्टीरिया सबसे पहले हमारे लीवर में पहुंचता है। जिसे यह संक्रमित करता है। इसके बाद यह स्प्लीन यानी तिल्ली में पहुंचता है। जिसके कारण इसका आकार बढ़ जाता है।
13. स्प्लेनोमेगली – इसमें स्प्लीन भी प्रभावित होता है। क्योंकि टाइफाइड का बैक्टीरिया RBCs मारता है। इसके साथ यह बोनमैरो को भी प्रभावित करता है। बोनमैरो में ही RBCs का निर्माण होता है। जब यह बोनमैरो को प्रभावित करता है, तो वहां पर RBCs नहीं बन पाती है। इसके अतिरिक्त यह एक संक्रमण है। जो रक्त के साथ प्रवाहित होता है। तब यह RBCs को मारने लगता हैं। यह RBCs स्प्लीन में जाकर मरती है। जब यह ज्यादा मात्रा में मरने लगती है। तो स्प्लीन का साइज बढ़ जाता है।
14. कमर दर्द की समस्या – जब व्यक्ति टाइफाइड से पीड़ित होता है तो उसे कमर दर्द की समस्या होती है।
15. जोड़ों में दर्द की समस्या – टाइफाइड से पीड़ित व्यक्ति को जोड़ों में दर्द की समस्या भी होती है। या फिर उसके पूरे शरीर में जो मांसपेशियां व हड्डियों होती है, उसमें भी दर्द हो सकता है।
यह सारे लक्षण टाइफाइड से पीड़ित व्यक्ति के शरीर में दिखाई पड़ते हैं। क्या आप जानना चाहेंगे : शहद के फायदे। शहद खाने के नुकसान। असली शहद की पहचान। शहद जहर कैसे बनता है।
टाइफाइड के नुकसान
किसी भी व्यक्ति को टाइफाइड की बीमारी को हल्के में नहीं लेना चाहिए। इसमें डॉक्टर द्वारा दी गई दवाओं का पूरा कोर्स करना चाहिए। अगर आप इसे पूर्ण रूप से ठीक नहीं करते हैं। तो इससे आपके शरीर के अन्य अंगों पर भी प्रभाव पड़ता है। कुछ गंभीर बीमारियां भी हो सकती हैं।
इसका पूर्ण रूप से इलाज करवाना इसलिए भी जरूरी है। क्योंकि यह रोगी के साथ ही, अन्य लोगों में भी प्रभावित कर सकती है। इसलिए इलाज के साथ-साथ, साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखना चाहिए। क्या आप जानना चाहेंगे : थायराइड क्या है। थायराइड के मरीज को कभी नही करनी चाहिए ये 7 चीजें।
1. पेट से संबंधित दिक्कत हो सकती है। पेट में छाले पड़ सकते हैं। पेट में सूजन आ सकती है। पेट में घाव हो सकता है। इन घाव से ब्लड का रिसाव हो सकता है। इससे मरीज में, खून की कमी भी हो सकती है।
2. कभी-कभी यह पेट के छाले, अगर फट जाते हैं। तो फटने से जो इंटेस्टाइन का कंटेंट है, वह peritoneal cavity में पहुँच जाएगा। वहां भी इन्फेक्शन हो जाएगा।
3. इसका इलाज सही समय पर नहीं किया जाए, तो इसके बैक्टीरिया पूरे शरीर मे फैल सकते है।
4. इसका संक्रमण दिमाग में पहुंचने पर मेनिनजाइटिस हो सकता है।
5. अगर संक्रमण फेफड़े में पहुंच जाता है, तो निमोनिया हो सकता है।
6. अगर संक्रमण हड्डियों में पहुंच जाता हैं, तो ऑस्टियोमाइलाइटिस हो सकता है।
7. यह संक्रमण जब किडनी तक पहुंचता है। तो किडनी भी संक्रमित हो जाती है।
8. रोगी को थकान व कमजोरी का अनुभव होगा। उसका वजन कम हो सकता है।
9. बाल झड़ने की शिकायत हो सकती है।
10. पेट में ब्लॉकेज होने की समस्या भी हो सकती है। पेट फटने की भी समस्या हो सकती है।
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