पीलिया के लक्षण | पीलिया में परहेज | जॉन्डिस क्यों होता है (Jaundice)

पीलिया के लक्षण – क्या होता है, क्यों होता है, कितने पॉइंट होना चाहिए, क्या क्या दिक्कत होती है?, कितने दिनों में ठीक होता है, कौन से फल खाने चाहिए, परहेज, इलाज।

गर्मी व बरसात के दिनों में, जो रोग सबसे ज्यादा होते हैं। उनमें से पीलिया या जॉन्डिस भी एक है। इसकी वजह से शरीर में खून की कमी होने लगती है। शरीर पीला पड़ने लगता है। इसके साथ ही पाचन तंत्र भी कमजोर हो जाता है। किसी को अगर बार-बार पीलिया की शिकायत होती है। तो यह गंभीर समस्या हो सकती है। 

इसके बारे में सबसे बड़ी बात यह है कि जॉन्डिस को आज भी, हमारे देश के लोग, एक नॉरमल कंडीशन ही मानते हैं। इसके बारे में उन्हें ज्यादा कुछ पता नही होता है। आज भी लोग पीलिया होने पर, कुछ पानी पी लेना या कुछ घास खा लेना जैसा उपाय अपनाते है। कई बार वो घर के इलाज पर ही निर्भर हो जाते है।

लेकिन अक्सर देखा जाता है कि जब कुछ मामलों में, जौंडिस काफी ज्यादा हो जाता है। यानी एंजाइम्स का स्तर काफी बढ़ जाता है। तो यह इतना बढ़ा होता है कि वह हमारे पूरे पाचनतंत्र की कार्यप्रणाली को प्रभावित करता है। ये हमारी भूख प्यास को प्रभावित करता है। उस वक्त हमें बहुत ज्यादा जलन होती है, दर्द होता है। भूख नहीं लगती है। 

शरीर मे कमजोरी रहती है। ब्लड प्रेशर कम रहता है। इस प्रकार की समस्याएं, लगातार हमारे स्वास्थ्य को प्रभावित करती है। तो आखिर जॉन्डिस बार-बार क्यों होता है। इसका क्या सही तरीका है। क्या सही इलाज है। इसके बारे में विस्तार से जानते है। क्या आप जानना चाहेंगे : विटामिन डी वाले फल विटामिन डी कैसे बढ़ाएं। विटामिन डी से होने वाले रोग।

पीलिया के लक्षण

जॉन्डिस क्या होता है 

पीलिया होने पर हमारे शरीर के कुछ अंग पीले पड़ जाते हैं। इसमें हमारी त्वचा व आंखों का सफेद हिस्सा, सबसे पहले प्रभावित होता है। इसका कारण यह है कि हमारे रक्त में जो RBCs पाई जाती है। उसमें हीमोग्लोबिन नाम का एक प्रोटीन होता है। इन RBCs का कार्यकाल 120 दिन का होता है। इसके बाद जब यह टूटती है। तो एक रसायन बनता है, जिसे बिलीरुबिन कहा जाता है। इसका रंग पीला होता है।

इस बिलीरुबिन को हमारा लिवर कुछ प्रक्रिया करके, शरीर से बाहर निकाल देता है। हमारा लीवर पित्तरस के साथ बिलीरुबिन को मिलाकर, छोटी आँत में पहुंचा देता है। जो बड़ी आँत से होते हुए, मल के रूप में बाहर निकल जाता है। जब हमारे लिवर में, कुछ दिक्कत हो जाती है। तो लिवर बिलीरुबिन का प्रोसेस नहीं कर पाता है। इसके कारण यह हमारे शरीर में ही रह जाता है। फिर ब्लड में मिलकर, पूरे शरीर में फैल जाता है।

बिलीरुबिन एक विषाक्त पदार्थ होता है। जब यह हमारे रक्त से होता हुआ, दिमाग में पहुंच जाता है। तो यह खतरनाक हो सकता है। क्योंकि यह ब्रेन की सेल्स को डैमेज करने लगता है। सामान्य रूप से, यह इतना खतरनाक नहीं होता है। यह बिना दवाओं के भी ठीक हो जाता है। लेकिन अगर यह विषाक्त पदार्थ, दिमाग में चला गया। तो ब्रेन डैमेज हो सकता है। इसे हम हैपेटिक एन्सेफैलोपैथी कहते हैं। क्या आप जानना चाहेंगे : नींद नहीं आती उपाय। 1 मिनट में नींद आने का तरीका नींद आने का रामबाण उपाय।

जॉन्डिस क्यों होता है  

पीलिया होने के मुख्य वजह दूषित पानी व संक्रमित भोजन होता है। यह सामान्य रूप से लिवर में संक्रमण की वजह से होता है। गर्मियों में आमतौर पर वायरल हेपिटाइटिस की वजह से, पीलिया होने की संभावना होती है। जो सामान्य पीलिया से भिन्न होता है। गर्मियों में पीलिया के अधिक फैलने की वजह आद्रता भी होती है। 

इस मौसम में इसके वायरस तेजी से बढ़ते हैं। इसके कारण संक्रमण की संभावना अधिक बढ़ जाती है। इसके अलावा अधिक अल्कोहल और दवाओं के रिएक्शन से भी पीलिया होता है। गर्मियों में पीलिया होने की मुख्य वजह हेपेटाइटिस ए और हेपेटाइटिस ई वायरस ही होता है।

नवजात शिशुओं में भी पीलिया होने की संभावना अधिक होती है। क्योंकि बच्चों का लिवर जब काफी कमजोर होता है। तो लिवर में बिलीरुबिन का स्तर बढ़ जाता है। इसलिए जन्म से तीन-चार दिनों के अंदर पीलिया की जांच करवा लेनी चाहिए। अगर नवजात शिशु और मां का ब्लड ग्रुप अलग-अलग होता है। तो भी बच्चों में पीलिया होने की संभावना रहती है। सामान्य रूप से इसके कारणों को इस प्रकार देख सकते हैं – 

1. Bacterial Infection – शरीर में किसी भी प्रकार के जीवाणु के संक्रमण से हो सकता है।

2. Virus Infection – शरीर में विषाणु के  संक्रमण होने पर हो सकता है।

3. Anemia – शरीर में रक्त की कमी होने पर भी पीलिया हो सकता है।

4. Autoimmune Disorder – यानी जब हमारे शरीर की कोशिकाएं, अपनी ही कोशिकाओं को नष्ट करने लगती है। तो भी पीलिया हो सकता है।

5. Drug Toxicity – ऐसी कोई दवा जो हमारे शरीर को नुकसान पहुंचा रही हो, तो भी पीलिया होने की संभावना होती है। क्या आप जानना चाहेंगे : विटामिन बी 12 फल विटामिन बी 12 की कमी। विटामिन बी 12 की कमी के लक्षण।

पीलिया कितने पॉइंट होना चाहिए 

जॉन्डिस या पीलिया की जांच करने के लिए, बिलीरुबिन टेस्ट करवाया जाता है। इस टेस्ट के द्वारा रक्त में बिलीरुबिन के स्तर का पता लगाया जाता है। यह टेस्ट पीलिया के अलावा लिवर सिरोसिस, हेपेटाइटिस, एनीमिया, बाइल डक्ट स्टोन, ब्लाडर स्टोन के लिए भी किया जाता है। बिलीरुबिन का टेस्ट लेबोरेटरी में तीन प्रकार से किया जाता है।

• Indirect Bilirubin (unconjugated) – जब रक्त में उपस्थित हीमोग्लोबिन का विघटन होता है। तो biliverdin बनता है। फिर जब biliverdin का reduction होता है, तो बिलीरुबिन बनता है। इसे ही indirect या unconjugated कहते हैं। यह बिलीरुबिन लिवर द्वारा कन्ज्यूगेट नहीं होता है। यह पानी में अघुलनशील होता है। जब इसकी मात्रा बढ़ जाती है। तो इसे प्री हैपेटिक जॉन्डिस कहा जाता है। इसका मतलब बिलीरुबिन की यह मात्रा, लिवर में पहुंचने से पहले की होती है। इसकी नॉर्मल रेंज 0.2 – 0.8 mg/dl होती है।

• Direct Bilirubin (conjugated) – ये biliverdin अल्गुमिन प्रोटीन के साथ जुड़कर लिवर चला जाता है। ये लिवर द्वारा कन्ज्यूगेट हो जाता है। इसे conjugated या direct बिलीरुबिन कहा जाता है। यह पानी में घुलनशील होता है। जब लिवर में उपस्थित बिलीरुबिन की मात्रा बढ़ जाती है। तो इसे हैपेटिक जॉन्डिस कहा जाता है। इसका मतलब हमारे लिवर में, इसकी मात्रा से होता है। इसकी नॉर्मल रेंज 0.1 – 0.4 mg/dl होती है।

• Total Bilirubin – जब डायरेक्टर और इनडायरेक्ट दोनों बिलीरुबिन की मात्रा को जोड़ दिया जाता है। तो टोटल बिलीरुबिन प्राप्त होता है। इसकी नॉर्मल रेंज 0.1 – 1.2 mg/dl होती है।

विशेष: यदि टोटल बिलीरुबिन का स्तर 2.5 या 3 mg/dl से ज्यादा हो जाता है। तो इसे जॉन्डिस माना जाता है। अगर इससे कम होता है। तो इसे सामान्यता लिवर सिरोसिस, हेपेटाइटिस, एनीमिया या विटामिन डिफिशिएंसी माना जाता है। क्योंकि इन सब मामलों में भी बिलीरुबिन बढ़ जाता है। क्या आप जानना चाहेंगे : किडनी की बीमारी के 10 संकेत क्या किडनी ठीक हो सकती है। किडनी का रामबाण इलाज।

पीलिया के लक्षण 

किसी को पीलिया होने की स्थिति में, इस प्रकार के लक्षण दिखाई पड़ते हैं। इन्हें देखकर, हम पीलिया होने की पुष्टि कर सकते हैं। ऐसे लक्षण दिखाई देने पर, डॉक्टर से सलाह व पीलिया की जांच करवानी चाहिए।

1. जब किसी व्यक्ति को पीलिया हो जाता है। तो रोगी के पेशाब का रंग पीला हो जाता है। यधपि वह व्यक्ति पर्याप्त मात्रा में पानी पी रहा होता है। फिर भी उसकी पेशाब का रंग पीला ही रहता है। 

2. रोगी के नाखून, त्वचा और आंखों के सफेद भाग का रंग पीला पड़ जाता है।

3. व्यक्ति को कमजोरी व शरीर थका-थका सा महसूस होता है।

4. इस स्थिति में व्यक्ति का जी मचलाता आता है। सर में दर्द व भारीपन बना रहता है।

5. पीलिया से पीड़ित व्यक्ति को भूख नहीं लगती है।

6. रोग से पीड़ित व्यक्ति का वजन धीरे-धीरे घटने लगता है।

7. कभी-कभी रोगी को बुखार भी आ सकता है।

8.  पीलिया से ग्रसित रोगियों के पेट में दर्द भी हो सकता है।

9. इसमें रोगी को डायरिया या दस्त होने की समस्या हो सकती है।

10. पीलिया से ग्रसित व्यक्ति की त्वचा में खुजली होने की समस्या हो सकती है।

पीलिया में परहेज  

लोगों में अक्सर यह भ्रांति होती है कि पीलिया होने पर लिवर खराब हो जाता है। जबकि लिवर खराब होने पर पीलिया होता है। अगर हम इसके सही कारणों को जानकर, कुछ रोकथाम करें। तो इसे जल्द ही नियंत्रित किया जा सकता है। क्या आप जानना चाहेंगे : शहद के फायदे शहद खाने के नुकसान। असली शहद की पहचान। शहद जहर कैसे बनता है।

1. पीलिया होने पर झाड़ फूंक या अन्य घरेलू उपायों से बचें।

2. दूषित खाना व दूषित पानी पीने से बचें।

3. अत्यधिक भारी भोजन का सेवन नहीं करना चाहिए। क्योंकि रोगी का लिवर कमजोर होता है।

4. पीलिया होने पर अधिक से अधिक उबले पानी का प्रयोग करना चाहिए। इससे आपके लिवर की सफाई होती है। इससे पीलिया के लक्षणों से जल्दी मुक्ति मिलती है।

5. पानी के अलावा शरीर में पानी की पूर्ति करने के लिए, नारियल पानी पीना लाभकारी होता है। इसे आपको दिन में दो बार जरूर पीना चाहिए।

6. पीलिया होने पर कई बार उल्टी व दस्त की समस्या हो जाती है। इसलिए आपको समय-समय पर गुनगुने पानी में ग्लूकोज या  ओआरएस का घोल लेते रहना चाहिए।

7. आपको चाय व काफी की जगह ग्रीन टी का दिन में दो बार सेवन करना चाहिए। इससे आपका लिवर जल्दी सेहतमंद होता है। ग्रीन टी से लिवर में मौजूद एंजाइम्स सामान्य होते हैं। इसके कारण फैटी लिवर और लिवर सोरायसिस जैसी समस्या भी नहीं हो पाती। इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट, लिवर से हानिकारक तत्वों को बाहर निकलने में मदद करते हैं।

8. पीलिया होने पर आपको तरल भोज्य पदार्थ का अधिक सेवन करना चाहिए। ताकि आपके लिवर पर ज्यादा बोझ न पड़ सके। इनमें सब्जियों का सूप, दाल का पानी, खिचड़ी, दलिया, दही, छाछ आदि का प्रयोग किया जा सकता है। 

9. जंक फूड्स, बाहर का खाना व अधिक मसालेदार खाने से बचना चाहिए।

10. पीलिया में मीठी चीजों का प्रयोग कम से कम करना चाहिए। खासतौर पर रिफाइंड शुगर खाने से बचना चाहिए।

11. पीलिया होने पर अधिक नमक का सेवन नहीं करना चाहिए।

पीलिया में कौन से फल खाने चाहिए  

यदि आप पीलिया से ग्रसित है या कमजोर लिवर संबंधी शिकायत है। तो आपको कुछ ऐसे फल और सब्जियों का सेवन करना चाहिए। जिससे आपको पर्याप्त मात्रा में डाइजेस्टिव एंजाइम्स मिल सके। ऐसे पोषक तत्व मिल सके, जिससे आपका लिवर जल्द सेहतमंद हो सके। आपको ऐसे फल व सब्जियों को लेना चाहिए, जो पीलिया से लड़ने में मदद कर सके। आपके लिवर सुरक्षित रखने में मदद कर सके। क्या आप जानना चाहेंगे : थायराइड क्या है। थायराइड के मरीज को कभी नही करनी चाहिए ये 7 चीजें

आपके अंदर पीलिया के लक्षणों को कम करने में मदद कर सके। पीलिया में संतरा, नींबू, सेब, नाशपाती, अंगूर, पपीता, आम, अन्नानास, जामुन, अनार, माल्टा, मोसंबी, खरबूजा व तरबूज जैसे फलों का सेवन करना फायदेमंद माना जाता है। इसी प्रकार पीलिया होने पर गाजर, चुकंदर, ब्रोकली, पालक, मेथी, मूली आदि का सेवन लाभकारी होता है।

FAQ:

प्र० पीलिया में चावल खाना चाहिए या नहीं।

उ० पीलिया होने के दौरान आप निश्चित रूप से चावल का सेवन कर सकते हैं। यदि आप चावल व मूंग दाल खिचड़ी का प्रयोग करते हैं। तो ये आपके पाचन में सहायक होता है। आपके लिवर पर अधिक बोझ भी नहीं पड़ता है।

प्र० पीलिया में टहलना चाहिए।

उ० पीलिया के रोगियों को अधिक मेहनत वाले कार्य व टहलने से बचना चाहिए। क्योंकि इस दौरान लिवर की कोशिकाओं में रक्त प्रोटीन व ग्लाइकोजन की कमी होती है।

प्र० पीलिया में क्या क्या दिक्कत होती है?

उ० पीलिया होने पर शरीर में थकान, कमजोरी, जी मिचलाना, भूख न लगना, पेट मे दर्द, डायरिया और दस्त जैसी दिक्कत होती है।

प्र० पीलिया ठीक होने के क्या लक्षण है?

उ० जैसे-जैसे पीलिया से ग्रसित व्यक्ति ठीक होने लगता है। उसके त्वचा का रंग गुलाबी होने लगता है। भूख खुलने लगती हैं। कमजोरी दूर होने लगती है। शरीर में स्फूर्ति का एहसास होता है।

प्र० पीलिया कितने दिनों में ठीक होता है?

उ० पीलिया की सही समय पर जांच व उपचार शुरू होने पर, इसे ठीक होने में 7 से 10 दिन का समय लगता है। लेकिन लिवर के सुचारू रूप से कार्य करने के लिए, कम से कम 90 दिनों का समय लग सकता है।

प्र० पीलिया में अनार खाना चाहिए या नहीं?

उ० पीलिया में अनार खाना लाभकारी होता है। क्योंकि इस दौरान शरीर में हीमोग्लोबिन की कमी हो जाती है। जिसकी पूर्ति के लिए, अनार द्वारा लौह तत्व की कमी को पूरा किया जा सकता है।

प्र० पीलिया में दूध पीना चाहिए कि नहीं?

उ० पीलिया होने पर फैट युक्त चीजों से बचना चाहिए। इसलिए अगर आप दूध पीना चाहते हैं, तो फैट रहित दूध पीना चाहिए। इससे पीलिया के रोगियों को कोई नुकसान नहीं होगा।

Disclaimer      
लेख में सुझाए गए tips और सलाह केवल सामान्य जानकारी प्रदान करते हैं। इन्हें आजमाने से पहले, किसी विशेषज्ञ अथवा चिकित्सक से सलाह जरूर लें। myhealthguru इसके लिए उत्तरदायी नहीं है।

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