एनीमिया क्या है | खून की कमी से बीमारी | एनीमिया के लक्षण – प्रकार, रोकथाम

एनीमिया क्या है – लक्षण, क्यों होता है, किस विटामिन की कमी से होता है, प्रकार, महिलाओं में रोकथाम, खून की कमी से बीमारी, शरीर में खून की कमी कैसे पूरी करें।

भारत की महिलाएं पूरे विश्व में सबसे अधिक एनीमिया की शिकार हैं। पूरे भारत में महिलाओं की संख्या साठ फीसदी है। महिलाओं को जब मासिक धर्म होता है। तो उनका अच्छा खासा रक्त निकल जाता है। वही हमारे यहां महिलाओं का पोषण, इतना अच्छा नहीं है। इसलिए उनमें लगातार लौह तत्व कमी बनी रहती है। 

जिसके कारण उनके शरीर मे उचित मात्रा में हीमोग्लोबिन का निर्माण नहीं हो पाता है। यही कारण है कि वह अधिकतर एनीमिया का शिकार होती है। महिलाएं हरी पत्तेदार चीजें, अधिक मात्रा में नहीं खाती हैं। वहीं जब किसी व्यक्ति की दुर्घटना हो जाती है। उस दौरान भी जब उनका अधिक रक्त निकल जाता है। तो भी उनमें एनीमिया होने का खतरा, काफी हद तक हो जाता है।

इसका एक कारण यह भी है कि हमारे शरीर में खून तो बन रहा होता है। लेकिन वह किसी भी बाहरी या अंदरूनी कारण से,  जल्दी-जल्दी नष्ट हो रहा है। इसलिए इन पर भी ध्यान देने की आवश्यकता है। शरीर में खून की कमी को, बिल्कुल भी नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। क्योंकि इससे कई गंभीर समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। क्या आप जानना चाहेंगे : सफेद पानी का रामबाण इलाज। लिकोरिया क्यों होता है। सफेद पानी के लक्षण क्या है।

एनीमिया क्या है

एनीमिया क्या है 

एनीमिया को हिंदी में रक्तताल्पता भी कहा जाता हैं। जिसका अर्थ है, रक्त की अल्पता  यानी रक्त की कमी। शरीर में खून की कमी को ही एनीमिया कहा जाता है। एनीमिया एक प्रकार का रक्त विकार होता है। हमारे खून में लाल रक्त कोशिकाओं की कमी को ही, एनीमिया कहा जाता है। वही जब खून में, लाल रक्त कोशिकाओं की वृद्धि हो जाती है। तो इसे पालीसिथेमिया कहा जाता हैं।

हमारे शरीर में पाई जाने वाली लाल रक्त  कणिकाओं (RBCs) का कार्य बहुत महत्वपूर्ण होता है। यह रक्त के साथ फेफड़ों में जाती हैं। वहां से ऑक्सीजन लेकर, हमारे हृदय तक पहुँचती हैं। यहां से पंप होकर, हमारे पूरे शरीर में फैल जाती हैं। जिससे हमारे पूरे शरीर में ऑक्सीजन पहुंचती है। ताकि हमारी कोशिकाएं जीवित रह सके। वह ऊर्जा उत्पन्न कर सके। 

वास्तव में, लाल रक्त कणिकाओं के अंदर एक विशेष प्रकार का प्रोटीन पाया जाता है। जिसे हीमोग्लोबिन कहा जाता है। जो फेफड़ों में पहुंचकर, ऑक्सीजन के साथ जुड़ जाता है। यहां से ऑक्सीजन को लेकर, पूरे शरीर में फैलाता है। हिमोग्लोबिन में पाए जाने वाला heme ही आयरन तत्व होता है। इसी से ऑक्सीजन bind होती है।

इन्हीं लाल रक्त कणिकाओं(RBCs) से संबंधित एक बीमारी है, जिसे एनीमिया कहते हैं। यह एक ऐसी बीमारी है। जिसमें हमारे शरीर में, हीमोग्लोबिन का निर्माण ठीक से हो ही नहीं पाता है। इसमें हर एक RBCs के अंदर, लगभग 27 करोड़ हीमोग्लोबिन होता है। हर एक हिमोग्लोबिन में चार heme का एक समूह होता है। जो चार ऑक्सीजन को अपने साथ bind किए रहते हैं।

भोजन के साथ में, हम जो आयरन ग्रहण करते हैं। यह heme उसी आयरन से बना होता है। वही globin एक प्रोटीन होता है। यह प्रोटीन ही heme को, अपने अंदर  समाहित किए रहता है। जब भी हम अपने भोजन से, पर्याप्त आयरन को नहीं ले पाते हैं। या फिर हमारे भोजन में विटामिन बी12 की पर्याप्त मात्रा नहीं होती है। 

तब हमारा बोन मैरो bone marrow असामान्य  ब्लड सेल्स का निर्माण करता है। जिसे मगिलोब्लास्ट कहते हैं। यह ऑक्सीजन को, अपने साथ नहीं ले जा पाता है। हमारी RBCs बोन मैरो के अंदर बनती हैं। इसीलिए हड्डियों का मजबूत रहना जरूरी है। तो इस प्रकार एनीमिया का मतलब है कि हमारे शरीर की प्रत्येक कोशिश में ऑक्सीजन का न पहुंच पाना।

ऑक्सीजन को पहुंचाने के लिए RBCs अपना काम ढंग से नहीं कर पा रही हैं। ऑक्सीजन को पहुंचाने के लिए जरूरी है, कि RBCs अपना काम ठीक से करें। जिसमें पर्याप्त मात्रा में हीमोग्लोबिन हो, जो ऑक्सीजन को ले जा सके। क्या आप जानना चाहेंगे : कैल्शियम की कमी से होने वाले रोग कैल्शियम की कमी के लक्षण। कैल्शियम युक्त खाद्य पदार्थ।

एनीमिया के प्रकार  

एनीमिया होने के कारणों के आधार, यह कई प्रकार के हो सकते हैं। जो इस प्रकार हैं-

1. आयरन की कमी के कारण एनीमिया – इस प्रकार का एनीमिया आमतौर पर तब होता है। जब एक लंबे समय से मासिक धर्म के कारण, शरीर में रक्त की अत्यधिक कमी हो जाती है। इस प्रकार का एनीमिया सामान्यतः महिलाओं में ही होता है। वह पुरुष जो पर्याप्त रूप में आयरन तत्व को अपने भोजन में नहीं लेते हैं। उनमें भी हो सकता है।

2. एप्लास्टिक एनीमिया – इस प्रकार का एनीमिया होने पर, शरीर की बोन मैरो पर्याप्त मात्रा में रक्त कोशिकाएं नहीं बन पाती हैं। जिसके कारण शरीर में रक्त की कमी हो जाती है।

3. सिकल सेल एनीमिया – यह एक गंभीर बीमारी होती है। जिसमें लाल रक्त कोशिकाओं का आकार बदल जाता है। यह हसिया के आकार की हो जाती हैं। जबकि सामान्य कोशिकाओं की आकृति गोल  होती है। जिसके कारण यह रक्त वाहिकाओं में आसानी से बहती है। लेकिन जब इनका आकार परिवर्तित हो जाता है। तब यह रक्त वाहिकाओं में आसानी से बह नहीं पाती। यह मोड़ पर फंस जाती हैं।

4. हीमोलिटिक एनीमिया – इस प्रकार का एनीमिया तब होता है। जब RBCs अपने  सामान्य जीवनकाल समाप्त होने से पहले ही नष्ट होने लगते हैं। लाल रक्त कणिकाओं का सामान्य जीवनकाल 120 दिन का होता है। जब यह इससे पहले ही मरने लगती है।  तब हिमोलिटिक एनीमिया होने की संभावनाएं बढ़ जाती है। यह परिस्थिति कई बीमारियों के चलते हो सकती है। या अन्य किसी कारण से भी, यह समय से पहले ही यह नष्ट हो सकती है।

5. परनिशियस एनीमिया – इस प्रकार के एनीमिया में, हमारा शरीर पर्याप्त मात्रा में लाल रक्त कोशिका नहीं बना पाता है। जिसके कारण शरीर में रक्त की कमी हो जाती है।

6. थैलेसीमिया – यह एक अनुवांशिक बीमारी या रक्त विकार है। जिसके कारण हमारा शरीर कम लाल रक्त कोशिकाएं या कम हीमोग्लोबिन बनता है। इसके कारण थैलेसीमिया होता है

7. विटामिन डिफिशिएंसी एनीमिया – इस प्रकार का एनीमिया तब होता है। जब हमारे शरीर में विटामिन बी12 या फोलेट  की कमी हो जाती है। यह विटामिन लाल रक्त कोशिकाओं के निर्माण में आवश्यक होते हैं। इसकी कमी होने पर शरीर में लाल रक्त कोशिकाओं का निर्माण ही नहीं हो पता है। जिसके कारण विटामिन डिफिशिएंसी एनीमिया हो जाता है। क्या आप जानना चाहेंगे : सिस्ट होने के कारण। बच्चेदानी में गांठ का घरेलू उपचार। ओवेरियन सिस्ट में क्या करें, परहेज।

एनीमिया क्यों होता है  

जब रक्त में लाल रक्त कणिकाओं व हीमोग्लोबिन का स्तर कम हो जाता है। तो इसे ही एनीमिया कहा जाता है। एक सामान्य व्यक्ति में, इन दोनों का स्तर इस प्रकार होना चाहिए।

हीमोग्लोबिन(Hb) का स्तर –

महिलाओं में – 12 से 16.5 g/dl

पुरुषों में – 13 से 17.5 g/dl

लाल रक्त कणिकाओं(RBCs) का स्तर –

महिलाओं में –  3.5 से 5.5 million cells/ McL 

पुरुषों में – 4.3 से 5.7 million cells/ McL 

एनीमिया न होने के कारणों में हीमोग्लोबिन व लाल रक्त कोशिकाओं के स्तर का सही होना आवश्यक होता है। जब इनमें कमी आ जाती है। तो व्यक्ति एनीमिया का शिकार हो जाता है। इसके कुछ कारण जिसके लिए हम जिम्मेदार होते है। वह इस प्रकार भी हो सकते हैं-

1. सबसे प्रमुख कारण लोह तत्व वाले खाद्य पदार्थ का उचित मात्रा में सेवन न करना। यानी जब हम अपने आहार में हरी सब्जियों व अन्य आयरन युक्त खाद्य पदार्थ नही लेते है। तब सबसे ज्यादा एनीमिया होने की सम्भावना होती है।

2. शरीर से खून का निकलना। जिसमें दुर्घटना, चोट या कोई घाव हो सकता है। इसमें अधिक मात्रा में खून शरीर से बाहर निकल जाता है।

3. अधिक रक्तदान के कारण भी ऐसा हो सकता है

4. मासिक धर्म में यदि अधिक रक्तस्राव  होता है। तो भी एनीमिया होने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं।

5. पेट के कीड़ों या परजीवियों के कारण खूनी दस्त होने लगते हैं। तो यह भी एक कारण हो सकता है।

6. बार-बार गर्भधारण करने के कारण भी एनीमिया हो सकता है।

7. मलेरिया होने के बाद भी, शरीर में लाल रक्त कणिकाएं नष्ट हो जाती हैं। इससे भी एनीमिया हो सकता है।

8. पाचन तंत्र के किसी भी हिस्से में, अगर धीमा रक्तस्राव हो रहा है। तो यह भी एक कारण हो सकता है। क्या आप जानना चाहेंगे : थायराइड क्या है। थायराइड के मरीज को कभी नही करनी चाहिए ये 7 चीजें

एनीमिया के लक्षण  

एनीमिया के लक्षण प्रत्येक व्यक्ति में अलग-अलग हो सकते हैं। वहीं कुछ लोगों में इसके कोई भी लक्षण नही दिखाई पड़ते हैं। एनीमिया के कुछ प्रमुख लक्षण, इस प्रकार हैं –

1. व्यक्ति में कमजोरी व थकान का अनुभव होना।

2. इसमें व्यक्ति को अक्सर चक्कर आने की दिक्कत हो सकती है।

3. एनीमिया से ग्रसित व्यक्ति की त्वचा का रंग पीला पड़ने लगता है।

4. ऐसे में दिल की धड़कन का अनियमित हो जाती है। इसके साथ ही व्यक्ति को सांस लेने में कठिनाई होती है।

5. खून की कमी होने पर, कभी-कभी जीभ में छाले भी हो सकते हैं।

6. व्यक्ति के तलवे व हथेलियां अधिक समय ठंडी ही बनी रहती है।

7. ऐसे में व्यक्ति के सिर में लगातार दर्द रह सकता है।

8. व्यक्ति के सीने में भी दर्द हो सकता है।

9. आंखों के नीचे काले घेरे आ जाते हैं।

10. शरीर के तापमान में भी कमी हो जाती है। 

खून की कमी से बीमारी  

अगर किसी व्यक्ति को लंबे समय से खून की कमी यानी एनीमिया हो। तो उसे क्या-क्या नुकसान हो सकते हैं। शरीर में किस प्रकार के बदलाव देखने को मिलते हैं। एनीमिया का मतलब हीमोग्लोबिन का कम हो जाना। हीमोग्लोबिन का कार्य फेफड़े द्वारा ऑक्सीजन को लेकर, हमारे शरीर के विभिन्न हिस्सों में पहुंचना होता है। इस ऑक्सीजन के द्वारा ही ऊर्जा का निर्माण होता है। एनीमिया होने पर, हमारे शरीर में कुछ बदलाव देखने को मिलते हैं। जो इस प्रकार हैं-

हृदय में बदलाव- हृदय का आकार बड़ा हो जाता है। जिसे कार्डियोमायोपैथी कहा जाता है। हृदय की गति अनियंत्रित हो जाती है। जिसे arrhythmia कहा जाता है। इसमें हार्ट रेट व पल्स बढ़ जाती है। क्योंकि हृदय को शरीर के अंगों तक ऑक्सीजन पहुंचाने के लिए, अधिक कार्य करना पड़ता है।

जीभ में बदलाव – जीभ में बदलाव होने पर, जीभ का आकार बड़ा हो जाता है। जीभ में दर्द रहता है। मुंह के अंदर जो म्यूकोसा होती है। उसमें छाले पड़ जाते हैं। मुंह के किनारो पर घाव हो जाता है। होठों पर सूजन व घाव हो सकता है।

दिमाग पर असर – दिमाग में बदलाव होने पर चिड़चिड़ापन बना रह सकता है। याददाश्त कमजोर हो सकती है। रक्त की कमी होने पर ध्यान केंद्रित करने की शक्ति छिड़ हो जाती है।

गर्भावस्था पर असर – यदि गर्भवती महिलाओं में खून की कमी हो, तो सबसे ज्यादा नुकसान होता है। तब यह बच्चे और माँ दोनों के लिए घातक हो सकता है। खून की कमी होने पर, डिलीवरी भी जल्दी हो जाती है। बच्चों का आकार छोटा होगा। वजन कम रहेगा। कुछ अंगों का विकास कम या रुक जाता है। इसके साथ ही बच्चा भी एनीमिया से ग्रसित होता है।

डिलीवरी के समय महिला में अधिक रक्त स्राव हो सकता है। इन सबके अलावा डिलीवरी के पश्चात, संक्रमण होने का खतरा बढ़ जाता है। ब्लड प्रेशर बढ़ने की समस्या हो सकती है। खून की कमी होने पर डिलीवरी के समय, हार्ट फेल्योर होने का खतरा भी हो सकता है। इसलिए गर्भवती महिलाओं में खून की कमी को तुरंत नियंत्रित करना चाहिए।

किशोरावस्था में बदलाव – एनीमिया होने की वजह से, किशोरावस्था के बच्चों के शरीर का विकास रुक जाएगा। हड्डियों व मांसपेशियों का विकास रुक जाएगा। उनका दिमाग की विकास भी रुक जाता है। सीखने की प्रवृत्ति में कमी आ जाती है। शारीरिक क्रियाकलाप में कमजोर रह जाते हैं। उनकी लंबाई और वजन दोनों ही कम रह जाएंगे।

बुजुर्गों में बदलाव – बुजुर्गों में अगर एनीमिया की शिकायत लंबे समय तक रहती है। तो उनकी हड्डियां कमजोर हो जाती हैं। जरा सा करने पर गिरने पर फ्रैक्चर होने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं। उनकी याददाश्त कमजोर हो जाती है। उनमें संक्रमण होने का खतरा भी बढ़ जाता है। इसके अलावा बाल अधिक झड़ने लगते हैं। त्वचा में रूखापन रहने लगता है। क्या आप जानना चाहेंगे : थायराइड क्या है। थायराइड के मरीज को कभी नही करनी चाहिए ये 7 चीजें

शरीर में खून की कमी कैसे पूरी करें  

शरीर में खून की कमी होना, एक सामान्य समस्या है। लेकिन यह बहुत सारी दूसरी  जटिल समस्याओं को पैदा कर सकती है। आमतौर पर खून की कमी को दूर करने के लिए, आयरन के सप्लीमेंट्स या फिर मल्टीविटामिन लिए जाते हैं। इनसे आपका हीमोग्लोबिन, तो बहुत तेजी से बढ़ता है। लेकिन यह सप्लीमेंट सभी को सूट नहीं करते हैं।

ऐसे लोग जिन्हें आयरन सप्लीमेंट्स सूट नहीं करते हैं। उन्हें हमेशा प्राकृतिक रूप से खून बढ़ाने की कोशिश करनी चाहिए। प्रकृति ने हमें बहुत सारी ऐसी चीज दी हैं। जिन्हें खाकर हम खून की कमी को पूरा कर सकते हैं। खून की कमी को पूरा करने के लिए, चार तरह के पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है। जिनमें आयरन, विटामिन बी12, फोलिक एसिड और विटामिन सी प्रमुख है।

आयरन की कमी – आयरन की कमी को पूरा करने के लिए, आप पालक व कुछ दालों का सेवन कर सकते है। विशेष रूप से मसूर और उड़द की दाल फायदेमंद होती है। रामदानें में भी आयरन की अच्छी मात्रा होती है। फलों में अनार का सेवन कर सकते हैं। इसके अलावा चुकंदर, खजूर,  काले तिल व गुड़ खाने से भी, आपके अंदर आयरन की पूर्ति होती है।

विटामिन बी12 की कमी – विटामिन बी12 की कमी को पूरा करने के लिए, आप दूध, दही, अंडा व मछली का प्रयोग कर सकते हैं।

फोलिक एसिड की कमी – फोलिक एसिड की कमी को पूरा करने के लिए, आप हरी पत्तेदार सब्जियां, दालें, राजमा, संतरा, भिंडी व चुकंदर में काफी मात्रा में फोलिक एसिड पाया जाता है।

विटामिन सी की कमी – विटामिन सी हमारे शरीर में आयरन के अवशोषण को बढ़ा देता है। इसलिए हमें विटामिन सी से भरपूर चीजों को, अपने डाइट में शामिल करना चाहिए। विटामिन सी सारे खट्टे फलों जैसे नींबू, संतरा, मौसमी व आमला खाने से इसकी पूर्ति होती है। इसके अलावा कीवी व स्ट्रॉबेरी भी फायदेमंद होता है। सलाद के रूप में, आप अधिक से अधिक टमाटर का प्रयोग कर सकते हैं। क्या आप जानना चाहेंगे : हल्दी के फायदे। हल्दी दूध के फायदे दूध में हल्दी के नुकसान।

शरीर में खून की कमी यानी एनीमिया को इस प्रकार भी दूर कर सकते हैं।

किशमिश का उपयोग – किशमिश आपके शरीर में जाकर लाल रक्त कणिकाओं के निर्माण को बढ़ा देता है। जिसकी मदद से आपके शरीर के अंदर, बहुत तेजी से खून की मात्रा पूरी होना शुरू हो जाती है। इसके लिए आपको रात में किशमिश पानी में भिगो देनी चाहिए। सुबह जब यह फूल जाए। तो उसे दूध में उबालकर ले सकते हैं। आप प्रतिदिन 15 से 20 ग्राम किशमिश का उपयोग कर सकते हैं। इससे 15 दिनों के अंदर ही हीमोग्लोबिन कर स्तर सामान्य हो जाएगा।

चुकंदर, गाजर व टमाटर का जूस – चुकंदर, गाजर व टमाटर शरीर में खून बढ़ाने के लिए, काफी फायदेमंद होते है। इससे तेजी से हीमोग्लोबिन बढ़ता है। क्योंकि इसमें आयरन, फोलिक एसिड, पोटैशियम, विटामिन सी व फाइबर अच्छी मात्रा में पाया जाता है। यह लाल रक्त कणिकाओं (RBCs) को बनाने में मदद करता है। इसके लिए आप एक या दो चुकंदर, दो-तीन गाजर को चौकोर काट लें। फिर इसमें एक टमाटर काटकर मिला लें।

आप इसे दो तरह से प्रयोग कर सकते हैं। या तो आप इसे मिक्सर में डालकर जूस इसका जूस निकाल ले। या फिर इसे आधा लीटर पानी में, अच्छे से उबलने दें। जब यह दो तिहाई रह जाए। तो आपको इसे गुनगुना लेना चाहिए। आप दोनों ही प्रकार से बनाये गए, जूस में काला नमक का प्रयोग कर सकते है। ऐसा करने से 10 से 15 दिनों के अंदर ही हीमोग्लोबिन का स्तर अच्छा होने लगेगा। क्या आप जानना चाहेंगे : दालचीनी के फायदे दालचीनी के फायदे पुरुषों के लिए। गर्म पानी में दालचीनी के फायदे। 

गुड़ व चने का उपयोग – अगर आप शरीर में खून की कमी को पूरा करना चाहते हैं। अपने हीमोग्लोबिन के स्तर को बढ़ाना चाहते हैं। तो इसके लिए गुड और भुना चना अत्यंत लाभकारी होता है। इसके लिए आप भुने चने के साथ, गुड को दिन में कई बार ले सकते हैं। आपको दिनभर में कम से कम 100 ग्राम भूने चने का गुड़ के साथ उपयोग करना चाहिए। यह आपके शरीर मे रक्त को तो बढ़ाता ही है। साथ ही कब्ज जैसी शिकायत को भी दूर करने में सहायक होता है।

FAQ :

प्र० सिकल सेल एनीमिया क्या होता है?

उ० सिकल सेल एनीमिया में लाल रक्त कणिकाओं का आकार हँसिया की तरह हो जाता है। जिसके कारण यह रक्त वाहिकाओं में आसानी से बह नही पाती है।

प्र० एनीमिया किस विटामिन की कमी से होता है?

उ० एनीमिया विटामिन बी12 या फोलेट  की कमी से होता है।

प्र० एनीमिया का मतलब क्या होता है?

उ० एनीमिया का मतलब शरीर में रक्त की कमी होता है।

प्र० एनीमिया का दूसरा नाम क्या है?

उ० एनीमिया को हिंदी में रक्तताल्पता भी कहा जाता हैं। जिसका अर्थ है, रक्त की अल्पता यानी रक्त की कमी।

प्र० शरीर में हीमोग्लोबिन कितना होना चाहिए?

उ० शरीर में हीमोग्लोबिन का स्तर, लिंग व उम्र के आधार पर अलग-अलग होता है।
महिलाओं में – 12 से 16.5 g/dl
पुरुषों में – 13 से 17.5 g/dl

Disclaimer      
लेख में सुझाए गए tips और सलाह केवल सामान्य जानकारी प्रदान करते हैं। इन्हें आजमाने से पहले, किसी विशेषज्ञ अथवा चिकित्सक से सलाह जरूर लें। myhealthguru इसके लिए उत्तरदायी नहीं है।

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