विटामिन डी वाले फल | विटामिन डी कैसे बढ़ाएं | विटामिन डी से होने वाले रोग

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      हमारे यहां सूरज की रोशनी पूरे साल रहती है। फिर भी हम भारतीयों को विटामिन डी की कमी होती जा रही है। इसी विटामिन डी की कमी का ही नतीजा है कि जिसके कारण आज डिप्रेशन, कमर व पीठ में दर्द, इम्यूनिटी में कमी, अर्थराइटिस और बालों के झड़ने संबंधी दिक्कतें दिखाई पड़ती है। हम सभी सोचते हैं कि धूप तो किसी न किसी तरह हमें मिल ही जाती है। तो फिर इसकी चिंता करने की कोई जरूरत नहीं।

     लेकिन यही सोच गड़बड़ पैदा करती है। निसंदेह धूप विटामिन डी का सबसे अच्छा स्रोत है। लेकिन धूप से विटामिन डी को, अवशोषित करने के कुछ तरीके होते हैं। जिससे हमारे शरीर में विटामिन डी की पूर्ति हो सकती है। इसके साथ ही मस्तिष्क का विकास, आंखों की रोशनी, त्वचा में निखार आएगा। बहुत सी बीमारियां हमसे दूर रहेगी। फिर हम स्वस्थ महसूस करेंगे।

     कहीं आपको भी विटामिन डी की कमी तो नहीं है। विटामिन डी की कमी, पूरे विश्व में एक बड़ी गंभीर समस्या है। लेकिन भारत के लोगों के लिए, अच्छी बात यह है। कि इसे पाने के लिए, हमें कुछ भी अलग से नहीं करना पड़ता। यह हमें सीधे सूर्य की रोशनी से प्राप्त होता है। लेकिन आधुनिक जीवन शैली की वजह से, हम सूर्य की रोशनी में कम से कम निकलते हैं। जिस वजह से, आज भारत के लोगों में भी, विटामिन डी कमी होती जा रही है।

    विटामिन डी के बारे में लोग अक्सर  भ्रमित रहते हैं। कि यह सिर्फ हमारी हड्डियों के लिए जरूरी होता है। लेकिन वास्तविकता इसके उलट है। यह न सिर्फ हमारी हड्डियों की मजबूती के लिए, बल्कि  इसके साथ यह हमारे हृदय के लिए भी बहुत ज्यादा जरूरी होता है। हमारी इम्यूनिटी के लिए भी, इसकी आवश्यकता होती है। हमारे शरीर में एनर्जी के उत्पादन के लिए भी जरूरी होता है। यह हमारे शरीर मे कोलेस्ट्रॉल को भी घटाने में मदद करता है।

    इन सबके अलावा इसकी आवश्यकता, अच्छी त्वचा व मस्तिष्क की पोषण के लिए भी होती है। इतना महत्वपूर्ण विटामिन होने के बाद भी, लगभग 70% लोगों में इसकी कमी पाई जाती है। तो जानते है कि विटामिन डी के बारे में विस्तार से –

विटामिन डी वाले फल

विटामिन्स क्या हैं

    विटामिन किसी भी भोज्य पदार्थ में पाए जाने वाले, वह पौष्टिक तत्व हैं। जो हमारे शरीर को सुचारू रूप से चलने में मदद करते हैं। अगर हमारे शरीर में, उनकी कमी हो जाए। तो हमको बहुत सी शारीरिक दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है। कुल 13 विटामिन होते हैं। जिन्हें दो श्रेणियां में बांटा गया है। 

पानी में घुलनशील विटामिन – इस श्रेणी में रखे गए विटामिंस वह होते हैं। जो शरीर  में उपस्थित पानी में घुलनशील होते हैं। इनमें विटामिन बी और सी आते हैं।

वसा में घुलनशील विटामिन – इस श्रेणी में वह विटामिन आते हैं। जो वसा में घुलनशील होते हैं। जैसे कि विटामिन ए, डी, ई और विटामिन के। क्या आप जानना चाहेंगे : अजवाइन के फायदेरात को सोते समय अजवाइन खाने के फायदे। अजवाइन के नुकसान।

विटामिन डी की कमी

      विटामिन डी हमारी हड्डियों के लिए, एक महत्वपूर्ण विटामिन माना जाता है। जिस प्रकार कैल्शियम, मैग्नीशियम, फास्फोरस आदि खनिज तत्वों की  आवश्यकता होती है। वही विटामिन डी व ये सब मिलकर, हमारी हड्डियों बनते है। विटामिन डी सामान्य रूप से, हमारे शरीर में raw materials के रूप में, त्वचा के नीचे पाया जाता है। जिसे 7 dehydrocholesterol  बोला जाता है।

      जब सूरज की अल्ट्रावायलेट किरणें हमारी त्वचा पर पड़ती हैं। तब यह cholecalciferol में बदल जाता है। जब यह हमारे लीवर में जाता है तो उसका hydroxylation हो जाता है। तब ये 25 hydroxycholecalciferol मैं बदल जाता है यहां से यह हमारे किडनी में जाता है जहां पर इसका एक बार hydroxylation होता है। जिससे यह 125 dihydroxycholecalciferol बन जाता है।

      यही विटामिन डी का एक्टिव फॉर्म होता है। जो हमारे शरीर के लिए बहुत जरूरी होता है। इसके लिए सूरज की रोशनी व हमारी किडनी व लीवर का उचित रूप से कार्य करना बहुत जरूरी है। ताकि विटामिन डी एक्टिव फॉर्म में बन सके। क्या आप जानना चाहेंगे : नए बाल उगाने के उपाय। एक ही रात में बाल झड़ने होंगे गारंटी से बंद

विटामिन डी की कमी के लक्षण

विटामिन D3 की की कमी होने पर, हमारे शरीर में कुछ ऐसे लक्षण दिखाई पड़ने लगते हैं। जिनको समझकर, आप इसकी कमी का पता लगा सकते हैं। यह लक्षण किस प्रकार है-

1. लंबे समय तक थकान का अनुभव– इसका कारण होता है कि हमारे शरीर का एनर्जी मेटाबॉलिक, इसकी कमी के कारण कम हो जाता है। जिससे थकावट, बेचैनी व कमजोरी महसूस होती है। जो समय के साथ-साथ बढ़ता जाता है।

2. मांसपेशियों में कमजोरी – हमारे शरीर में मांसपेशियों को शक्तिशाली करने के लिए, प्रो विटामिन D3 कैल्शियम बनता है। अगर यह हमारे शरीर में कम बनता है। तो मांसपेशियां कमजोर होने लगती हैं।

3. जल्दी-जल्दी बीमार होना – विटामिन D3 हमारे इम्यून सिस्टम व कोशिकाओं को बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। अगर हमारा इम्यून सिस्टम अच्छा नहीं होगा। तो हमें जल्दी-जल्दी इन्फेक्शन वाली बीमारियां जैसे वायरस, बैक्टीरिया व फंगल इंफेक्शन होने के की संभावनाएं बढ़ जाती हैं।

4. डिप्रेशन महसूस होना – विटामिन D3 की कमी हमारे मूड स्विंग्स को बढ़ाती है। अगर इसकी कमी लगातार बनी रहती है। तो नींद कम आना शुरू हो जाती है। तब व्यक्ति डिप्रेशन जैसी स्थिति में भी चला जाता है।

5. हड्डियों का कमजोर होना – इसकी कमी के कारण, व्यक्ति को हड्डियों की कमजोरी यानी ऑस्टियोपोरोसिस हो जाता है। हड्डी अंदर से खोखली हो जाती हैं। क्योंकि विटामिन D की कमी होने के कारण, हमारे शरीर में कैल्शियम का अवशोषण कम हो जाता है। क्या आप जानना चाहेंगे : विटामिन बी 12 फलविटामिन बी 12 की कमी। विटामिन बी 12 की कमी के लक्षण।

विटामिन डी शरीर में कितना होना चाहिए

   प्रतिदिन हमें 1500 से 2000 इंटरनेशनल यूनिट, विटामिन डी की जरूरत होती है। जिसका एक बड़ा हिस्सा, हमें धूप की रोशनी से मिलता है। इसके साथ ही कुछ  ऐसे खाद्य पदार्थ भी होते हैं। जो हमारे शरीर को विटामिन डी की आपूर्ति करवाते हैं। अतः हमारे शरीर मे विटामिन D3 का लेवल 20 से 30 नैनोग्राम/ मिलीग्राम है, तो इसे सामान्य कहा जाता है। अगर इसका लेवल 20 नैनोग्राम/ मिलीग्राम से कम है, तो इसकी डिफिशिएंसी होती है।

विटामिन डी से होने वाले रोग

       वास्तव में विटामिन D3 की जरूरत, सिर्फ हमारी हड्डियों के लिए ही नहीं होती है। बल्कि हमारे शरीर के और भी बहुत से कार्य हैं। जो विटामिन डी के बगैर काम नहीं कर सकते। इन्हें ठीक से चलाने और काम करने के लिए, विटामिन डी की आवश्यकता होती है।

हड्डियों के लिए – हमारे जोड़ों के ऊपर जो कार्टिलेज होता है। अगर उन्हें मजबूत रखना है। तो इसके लिए विटामिन डी की जरूरत होती है। इसका कारण यह है कि हम जो भी कैल्शियम लेते हैं। उसका हमारी आंतों के द्वारा, अवशोषण ही नहीं हो पाता है। इसलिए विटामिन डी हमारे लिए जरूरी हो जाता है। ताकि कैल्शियम के अवशोषण होकर, रक्त परिसंचरण के द्वारा उचित जगह पर पहुंच सके। यही कारण है कि जोड़ों के दर्द में भी, विटामिन डी 3 लेने की सलाह दी जाती है।

किडनी की समस्याएं – हमारे किडनी की कार्यप्रणाली भी विटामिन D3 के द्वारा रेगुलेट होती है। जब हमारे शरीर में इसकी कमी हो जाती है। तो किडनी से संबंधित बीमारियां होने या किडनी के जल्दी फेल होने की संभावनाएं बढ़ जाती है।

कैंसर की समस्या – विटामिन D3 के स्तर के कम होने से, कैंसर बहुत तेजी से फैलता है। अगर आपके शरीर में विटामिन D3 का लेवल 20 नैनोग्राम पर मिलीलीटर से कम होता है। तो आपके अंदर बड़ी आंत का कैंसर, प्रोस्टेट का कैंसर या ब्रेस्ट कैंसर होने की संभावना बढ़ जाती है।

कार्डियोवैस्कुलर डिजीज – इसकी कमी के कारण, हार्ट अटैक व हृदय संबंधी बीमारियां हो सकती है। यह विटामिन D3 हमारे शरीर में दो भूमिकाएं निभाता है। पहला हमारी आर्टिरीज में जो सूजन आ जाती है। उसे कम करता है। दूसरे हमारे ब्लड की क्लोटिंग को कम करता है। यानी रक्त के थक्के को जमने से रोकता है। इसकी कमी होने पर, यह दोनों कार्य ठीक से नहीं होंगे। जिसके कारण हार्ट अटैक व  ब्रेन स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है।

ब्लड शुगर होने का खतरा – विटामिन D3 इंसुलिन के रेजिस्टेंस को कम करता है। पेनक्रियाज की बीटा कोशिकाओं को सक्रिय करके, इसकी कार्यप्रणाली को बढ़ाता है। यह इंसुलिन के production व secretion को बढ़ाता है। इस तरह यह शुगर कंट्रोल रखने के लिए बहुत जरूरी होता है।

इम्यूनिटी का कम होना – विटामिन D3 बड़ी संक्रामक वाली बीमारियों को रोकता है। यानी ये हमारी इम्यूनिटी को बढ़ाता है। अगर आपकी इम्यूनिटी कम होगी। तो कोई भी संक्रामक बीमारी, आसानी से जकड़ सकती है।

महिलाओं में बांझपन – विटामिन डी की कमी होने पर महिलाओं में बांझपन की समस्या हो सकती है। क्या आप जानना चाहेंगे : दालचीनी के फायदेदालचीनी के फायदे पुरुषों के लिए। गर्म पानी में दालचीनी के फायदे।

विटामिन डी वाले फल

     अगर आप भी चाहते हैं कि आपका शरीर अच्छे ढंग से काम करें। यह थका हुआ महसूस न करें। तो इसके लिए बहुत जरूरी है कि आपको अपने खान-पान का विशेष ध्यान रखना चाहिए। इसके लिए हमें अपने आहार में विटामिन, मिनरल, प्रोटीन आदि जैसे पोषक तत्वों को शामिल करना चाहिए। इसी में एक महत्वपूर्ण  विटामिन डी है। जिसकी कमी को हम कुछ फल के द्वारा भी पूरा कर सकते हैं। 

      विटामिन डी हमारे शरीर के लिए बहुत ही आवश्यक होता है। इससे हड्डियों के विकास और हड्डियां के मजबूत रखने में मदद मिलती है। इसके साथ ही शरीर में अन्य कमियों व रोगों को दूर करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। वैसे तो विटामिन डी का सबसे बेहतरीन स्रोत धूप है। लेकिन इसके अलावा विटामिन डी की कमी, कई प्रकार के खाद्य पदार्थों से भी पूरी की जा सकती है।

सेब – सेब में भी भरपूर मात्रा में विटामिन डी पाया जाता है। इसका सेवन आप जूस के रूप में कर सकते हैं। इसे सलाद के रूप में व ऐसे भी खा सकते हैं। इसमें प्रचुर मात्रा में आयरन के साथ, विटामिन डी पाया जाता है। इसके सेवन से पेट व हड्डियों से संबंधित बीमारियां दूर रहती हैं।

केला – केला भी अन्य खनिज व विटामिन के साथ, विटामिन डी से भरपूर होता है। केला बहुत तरीकों से हमारे लिए, फायदेमंद होता है। यह आपके पेट व हड्डियों को मजबूत रखता है। इसके साथ ही, आपको एनर्जेटिक भी रखता है। इसका आप शेक के रूप में भी प्रयोग कर सकते हैं। जो आसानी से पच जाता है।

संतरा – वैसे तो संतरा विटामिन सी का अच्छा स्रोत माना जाता है। लेकिन इसमें विटामिन डी भी पाया जाता है। संतरे का जूस या इसे ऐसे भी सेवन कर सकते है। 

पपीता – पपीता भी विटामिन डी की कमी को पूरा करने में महत्वपूर्ण होता है। इसमें विटामिन ए प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। इसे आप सलाद के रूप में सेवन कर सकते हैं। यह आपके पेट और चेहरे की के लिए अच्छा होता है।

तरबूज – गर्मी के मौसम में आने वाला तरबूज भी विटामिन डी का स्रोत होता है। यह आपके शरीर में पानी की कमी को ठीक रखता है। गर्मियों में होने वाले डिहाइड्रेशन से भी बचता है। आपको इसका सेवन जरूर करना चाहिए। क्या आप जानना चाहेंगे : किडनी की बीमारी के 10 संकेतक्या किडनी ठीक हो सकती है। किडनी का रामबाण इलाज।

विटामिन डी कैसे बढ़ाएं

     विटामिन डी अगर हमारे शरीर में कम हो जाता है। तो उसके कारण बहुत से लक्षण हमें दिखने लगते हैं। बहुत सारी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। इसकी कमी वजह से, हम बार-बार बीमार होते रहते हैं। क्योंकि हमारा इम्यून सिस्टम कमजोर हो जाता है। यदि शरीर में कोई घाव हो जाता है, तो वह आसानी से भरता नहीं है।

     डिप्रेशन की शिकायत हो जाती है। पाचन संबंधी समस्या समस्याएं हो सकती हैं। हमारी हड्डियां कमजोर हो जाती हैं। नींद की कमी होने लगती है। शरीर में सूजन आ जाती है। इसकी कमी के कारण, एक सामान्य लक्षण भी दिखाई देता है। आप थकान का अनुभव करते हैं। हर समय थका हुआ महसूस करते हैं। आपको कुछ भी काम करने का मन नहीं करता है।

    ऐसे लक्षणों के सामने आते ही आपको इसका टेस्ट करवाना चाहिए। अगर आपके शरीर में भी इसका लेवल कम है। तो किसी चिकित्सक के परामर्श लेना चाहिए। या फिर कुछ ऐसी प्राकृतिक चीज भी हैं। जिनसे विटामिन डी के स्तर को बढ़ाया जा सकता है।

1.  सूरज की रोशनी – विटामिन डी की कमी को पूरा करने का सबसे सरल तरीका सूरज की रोशनी है। जब हमारी त्वचा, इसके संपर्क में आती है। तो कोलेस्ट्रॉल की मदद से, हमारे शरीर में विटामिन डी बनने लगता है। इसलिए विटामिन डी की कमी को पूरा करने के लिए, आपको कम से कम 20 से 30 मिनट धूप में बैठना चाहिए। 

   इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि जब आप धूप में बैठते हैं। तो आपके शरीर का ज्यादा से ज्यादा हिस्सा खुला हो। मुख्य रूप से आपका पेट व पीठ जरूर धूप के संपर्क में रहें। ताकि धूप सीधे आपकी त्वचा के संपर्क में आ सके। इसके लिए दोपहर की धूप अच्छी होती है। यानी दोपहर 12 बजे से शाम को 4 बजे तक की धूप में अल्ट्रावायलेट किरणें अधिकतम होती है। 

   इन्हीं अल्ट्रावायलेट करने की जरूरत, हमारे शरीर में विटामिन डी को बनाने के लिए आवश्यक होती है। धूप में बैठने के दौरान, आपको अपनी  त्वचा पर, किसी भी प्रकार की क्रीम को लगाना चाहिए। अगर आप ऐसा करते हैं, तो आपकी त्वचा तक अल्ट्रावायलेट रेंज नहीं पहुंच पाती है। जितनी हमारे शरीर को चाहिए होती है। जिसके कारण जितना विटामिन डी, हमारे शरीर में बनना चाहिए। वह नहीं बन पाता है।

2. सूर्य की रोशनी से युक्त पानी – आपको sun charged water यानी सूरज की शक्ति से भर पानी पीना चाहिए। इस पानी में इतनी शक्ति होती है कि वैज्ञानिकों ने भी इसे लिविंग वॉटर का नाम दिया है। सूरज और पानी की शक्ति शरीर में होने वाली बहुत सी दिक्कतों को दूर कर देती है। इसके लिए आपको कांच की बोतल में, पीने वाला पानी लेकर 7 से 8 घंटे के लिए, सूरज की रोशनी में रखना है।

इसे आपको प्लास्टिक या अन्य धातु के पात्र में नहीं रखता है। अगर आप इसे सुबह धूप में रखते हैं। तो शाम तक यह पानी तैयार हो जाएगा। फिर आप इसे 24 घंटे तक आराम से, धीरे-धीरे पी सकते हैं। इस बात का ध्यान रखें कि इस पानी को फ्रिज में बिल्कुल नहीं रखता है।

यह आपको विटामिन डी के साथ-साथ इंस्टेंट एनर्जी भी देता है। इस पानी से आप अपना चेहरा भी साफ कर सकते हैं। यह आपको त्वचा संबंधी दिक्कतों से छुटकारा दिलाएगा। इस पानी को हफ्ते में कम से कम, एक बार जरूर पीना चाहिए। जो आपको कई बीमारियों से दूर रखने के लिए काफी है। क्या आप जानना चाहेंगे : ईएसआर क्या होता है। ईएसआर बढ़ने से क्या होता हैईएसआर बढ़ने के लक्षण। ईएसआर कितना होना चाहिए।

2. मशरूम का सेवन – खाद्य पदार्थों में मशरूम मात्र ऐसा है। जो कि विटामिन डी का अच्छा स्रोत होता है। इसके अतिरिक्त जितने भी खाद्य पदार्थ विटामिन डी से भरपूर होते हैं। वह अधिकतर मांसाहारी होते हैं। वही मशरूम के अंदर, हमारी तरह ही एक गुण पाया जाता है। यह भी सूरज की रोशनी में आने से, विटामिन डी बनाना शुरू कर देता है।

     तो इसलिए जब हम मशरूम खाते हैं। तो इसके अंदर बनने वाला विटामिन डी हमको मिलता है। जिससे हमारे अंदर विटामिन डी की कमी पूरी होने लगती है। वैसे मशरूम के अंदर बनने वाला विटामिन डी 2 के रूप में होता है। वही हमारे अंदर बनने वाला विटामिन D3 के रूप में बनता है। विटामिन D2 हमारे लिए इतना असरदार नहीं होता है। लेकिन फिर भी कुछ हद तक, यह हमारी विटामिन डी की कमी को पूरा करता है।

      लेकिन एक समस्या यह भी है कि आजकल जो मशरूम की खेती होती है। वह बंद कमरे में होती है। जिसके कारण वह धूप के संपर्क में नहीं आ पाता है। जिससे कारण उसे, जितना विटामिन डी  बनाना चाहिए। वह नहीं बन पाता है। तो अगर आपको विटामिन डी की कमी को पूरा करने के लिए, वाइल्ड मशरूम या फिर इसकी खेती ऐसी जगह हो रही हो। जहां इसको सूरत की रोशनी मिलती हो। तो वह आपके लिए ज्यादा फायदेमंद होता है।

3. अंडे की जर्दी का सेवन – अंडे की जर्दी में बहुत ही अधिक मात्रा में विटामिन D3 मिलता है। अगर आपको भी विटामिन डी की कमी हो रही है। तो आपको रोजाना कम से कम दो अंडे जरूर खाना चाहिए। इसे खाते समय, आपको निश्चित करना चाहिए कि आपको पूरा अंडा खाना है। अक्सर लोग हेल्थ कॉन्शियस होने की वजह से, कोलेस्ट्रॉल की वजह से या वजन बढ़ने के कारण,  इसकी जर्दी को निकाल देते हैं।

     इसलिए विटामिन डी की कमी को पूरा करने के लिए, आपको इसकी जर्दी जरूर खानी चाहिए। क्योंकि इस जर्दी में ही विटामिन डी पाया जाता है। इसलिए आपको इसे जरूर खाना चाहिए। वैसे इसकी जर्दी में कोलेस्ट्रॉल भी काफी हल्दी होता है।

Disclaimer      
लेख में सुझाए गए tips और सलाह केवल सामान्य जानकारी प्रदान करते हैं। इन्हें आजमाने से पहले, किसी विशेषज्ञ अथवा चिकित्सक से सलाह जरूर लें। myhealthguru इसके लिए उत्तरदायी नहीं है।

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