हाई ब्लड प्रेशर कितना होता हैं | High BP Symptoms in Hindi | जाने कारण

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 आज भारत की 30 करोड़ से ज्यादा की आबादी, हाई ब्लड प्रेशर की चपेट में है। भारत में उम्र से पहले होने वाली मौतों में, हाई ब्लड प्रेशर एक बहुत बड़ा कारण है। इसको साइलेंट किलर भी कहा जाता है। यह बहुत ही common disease है।

        एक सर्वे में यह देखा गया है कि शहरों में लगभग 33% व्यक्ति इस समस्या से ग्रसित हैं। तो वही ग्रामीण क्षेत्रों में लगभग 27% व्यक्ति इस बीमारी से ग्रसित हैं। इसका सीधा-सा मतलब है कि जो समस्या हमारी पूरी आबादी के, एक तिहाई या एक चौथाई को परेशान कर रही है। वह कितनी खतरनाक हो सकती है।

        आपको ऐसा लगता है कि जब इतने लोग इस समस्या से ग्रसित हैं। तो आपको क्या फर्क पड़ता है। लेकिन यहां आपका सोचना गलत तब होगा। जब आने वाले समय में, यह heart blockage का रूप ले लेगा। इसके कारण, आपको बाईपास सर्जरी तक करवानी पड़ सकती है।

         न जाने कितने डॉक्टरों व हॉस्पिटल के चक्कर लगाने पड़ सकते है। तब आप और आपका परिवार कितनी तकलीफ से गुजरेगा। तो फिर प्रश्न उठता है कि आप अपने आपको इतना खतरे में क्यों डालें। ऐसे ही डर-डरकर के जिंदगी क्यों जिए। जबकि आप इसे पूर्ण रूप से ठीक कर सकते हैं।

       कई बार जब हम रूटीन चेकअप करवाते हैं। तब हाई ब्लड प्रेशर का पता लगता है। इसको हम ठीक कर सकते हैं। लेकिन बहुत से ऐसे मामले ऐसे भी पाए जाते हैं। जिसमें व्यक्ति को अचानक से ही हार्ड अटैक या ब्रेन की समस्या हो जाती है। तब उन्हें पता चलता है। कि उन्हें हाई ब्लड प्रेशर भी है।

        हमें इस बीमारी को गंभीरता से लेना चाहिए। सबसे पहले हमें यह समझना होगा कि यह हमें किस तरीके से प्रभावित करता हैं। तब हमें क्या करना चाहिए।

हाई ब्लड प्रेशर

ब्लड प्रेशर क्या होता है
What Is Blood Pressure In Hindi

  हमारा हृदय 1 मिनट के अंदर, करीब 60 से 80 बार ब्लड पंप करता है। वहीं अगर आप कोई शारीरिक क्रिया कर रहे हो। जैसे कि दौड़ रहे या exercise कर रहे हो। तो इन परिस्थितियों में, यह 80 से 100 बार pump करता है। हर बार blood को एक pressure मिलता है। इसी pressure के साथ, ब्लड हमारी पूरी बॉडी में circulate होता है। 

    इसी प्रेशर को हम अपने vein की wall पर measure करते हैं। जिसे ब्लड प्रेशर कहा जाता है। काफी बार यह ब्लड प्रेशर कम हो जाता है। वही काफी बार यह ब्लड प्रेशर अधिक भी हो जाता है। मेडिकल भाषा में, जब ब्लड प्रेशर अधिक हो जाता है। तो इसे hypertension कहते हैं। अगर ब्लड प्रेशर कम हो जाता है। तो उसे hypotension कहते हैं।

        ब्लड के माध्यम से ही हमारे शरीर के सारे पौष्टिक तत्व व ऑक्सीजन, धमनियों के द्वारा शरीर की सभी कोशिकाओं में पहुंचते है। तभी हर cell उचित रूप से कार्य करती है। हमारे शरीर में 5 लीटर ब्लड रोज दौड़ता रहता है। हमारे शरीर में lungs का काम oxygenated blood को बनाना है। फिर heart का काम है।

        इस oxygenated blood को धमनियों के द्वारा, शरीर की हर cell तक  पहुंचाना। जब हमारा ह्रदय oxygenated blood को pump करता है। तब heart,  contract होता है। तो इसे systole कहा जाता है। इस वक्त जिस प्रेशर से ब्लड धमनियों में घूमता है। उसे systolic pressure कहा जाता है।

       इस blood pump को, हम धड़कन भी कह सकते हैं। जब दो धड़कनों के बीच में, हमारा ह्रदय relaxing mode में जाता है। उस वक्त जिस प्रेशर से ब्लड धमनियों में घूमता है। उसे हम diastolic pressure कहते हैं।

हमारा हृदय 1 मिनट में, कम से कम 60 और अधिक से अधिक 80 बार धड़कता है। इस समय oxygenated blood को cells तक पहुंचाता है।

हाई ब्लड प्रेशर कितना होता है
High Bp Kitna Hota Hai

 हमारे शरीर में खून धमनी और शिरा में बहता है। धमनियों में बहने वाला रक्त, धमनियों की भीतरी दीवारों पर, जो दबाव  डालता है। उसे ही ब्लड प्रेशर कहा जाता है। हालांकि किसी व्यक्ति के लिए, average BP अर्थात सामान्य रक्तचाप स्थिर रहता है।

    लेकिन पूरे दिन में थोड़ा बहुत उतार-चढ़ाव दिखाई देता है। जैसे आराम करते समय बीपी घटता है। वहीं तनाव या उत्तेजित होने पर बीपी बढ़ता है। ब्लड प्रेशर में होने वाली वृद्धि से, अक्सर धमनियों में निशान या घाव बन सकते हैं। धमनियाँ बहुत सख्त हो सकती हैं। जिससे बहुत सारी health problem उत्पन्न हो सकती है।

      अगर आपका BP 120/80 mm Hg है। तो इसमें 120 mm Hg, systolic bp है। तो 80 mm Hg, diastolic bp  कहलाता है। पुरुषों में महिलाओं की अपेक्षा ब्लड प्रेशर अधिक होता है। Hypertension को इन category में बांटा जा सकता है। जो इस प्रकार है –

Pre-Hypertension इसमें सिस्टोलिक ब्लड प्रेशर 120-139 mm Hg के बीच में होता है। जबकि डायस्टोलिक ब्लड प्रेशर 80-89 mm Hg के बीच होता है।

Stage 1 Hypertension इसमें सिस्टोलिक ब्लड प्रेशर 140-159 mm Hg के बीच में होता है। जबकि डायस्टोलिक ब्लड प्रेशर 90-99 mm Hg के बीच होता है।

Stage 2 Hypertension इसमें सिस्टोलिक ब्लड प्रेशर 160 mm Hg से अधिक होता है। जबकि डायस्टोलिक ब्लड प्रेशर 100 mm Hg से अधिक होता है।

Stage 3 या Severe Hypertension इसमें सिस्टोलिक ब्लड प्रेशर ≥180 mm Hg से अधिक होता है। जबकि डायस्टोलिक ब्लड प्रेशर ≥120 mm Hg से अधिक होता है।

हाई ब्लड प्रेशर चार्ट

 

हाई ब्लड प्रेशर रेंज

Category

Systolic

(mm Hg)

Diastolic

(mm Hg)

Healthy

< 120

< 80

Pre

Hypertension

120-139

80-89

Stage 1

Hypertension

140-159

90-99

Stage 2 Hypertension

> 160

> 100

Severe Hypertension

≥180

≥120

हाई ब्लड प्रेशर के कारण
Reasons for High BP

 ब्लड प्रेशर बढ़ने का कारण है। हमारी धमनियों में blood तेजी से flow हो रहा है। यानी इसमें प्रेशर ज्यादा है। इस प्रेशर को कंट्रोल करने के लिए, चार चीजें जिम्मेदार हैं। अगर इन 4 चीजों में कुछ गड़बड़ी होती है। तो हमें हाई ब्लड प्रेशर होता है।

पहला – हमारा हार्ड जितनी तेजी से पंप करता है। जितना जोर लगाएगा, उतना ब्लड प्रेशर ज्यादा होगा।

दूसरा –  हमारी धमनी में elasticity पर निर्भर करता है। अगर इसकी elasticity कम या खत्म हो जाएगी। तब अगर किसी force से contraction किया जाए। तो ब्लड प्रेशर बढ़ जाएगा।

तीसरा – किडनी के अंदर रेनिन-एंजियोटेंसिन सिस्टम (आरएएस) होता है। जो पूरे ब्लड प्रेशर को अलग-अलग हारमोंस का उत्सर्जन करके, regulate करती है। 

चौथा – हमारा endocrine system होता है। हमारे शरीर में जो अलग-अलग हार्मोन होते हैं। वह इन चार चीजों से कंट्रोल होते हैं। अगर इनमें कोई गड़बड़ी हो जाए। तो हाइपरटेंशन हो जाता है।

        हाइपरटेंशन का मतलब, किसी का ब्लड प्रेशर, सिस्टोलिक का 140 से ज्यादा होना तथा डायस्टोलिक का 90 से ज्यादा होना है। इसे दो तरीके से समझ सकते हैं। इनमें एक essential hypertension होता है। मतलब इसमें हाइपरटेंशन का कारण नहीं पता होता।

      90% लोगों में, इसका कारण नहीं  पता होता है। शेष 10% को secondary hypertension कहते हैं। जिसमें इसका कारण पता होता है। तब उन कारणों का निदान करके, इसे ठीक कर लेते हैं। Essential Hypertension के कुछ कारण हो सकते हैं। जो इस प्रकार है-

तनाव का होना – तनाव के समय हमारे शरीर में ऐसे हारमोंस निकलते हैं। जो heart rate को बढ़ा देते हैं। यह blood vessels को भी narrow कर देते हैं। तो इसका सबसे बड़ा कारण तनाव होता है।

गलत खानपान का होना – इसमें अधिक नमक का प्रयोग करना है। क्योंकि नमक के अंदर सोडियम होता है। यह सोडियम पानी को retain करता है। शरीर के अंदर पानी को बचाता है। इसे बाहर नहीं निकलने देता। जब शरीर के अंदर ज्यादा पानी होगा। तो पानी से प्लाज्मा का volume बढ़ जाता है। जिससे ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है।

       इसके अलावा गलत खानपान में, ज्यादा तेल व मसालों का प्रयोग करना है। इससे ओबेसिटी होती है। मोटापा बढ़ता है। कोलेस्ट्रॉल बढ़ता है। यह दोनों ही चीजें ब्लड प्रेशर बढ़ाती है। इसके साथ ही सिगरेट, गुटखा, तंबाकू में पाई जाने वाली निकोटीन तथा चाय व काफी में पाई जाने वाली कैफीन। 

      यह सभी stimulate का काम करती है। जिस से ब्लड प्रेशर बढ़ता है। इसके साथ ही अल्कोहल का अधिक मात्रा में सेवन भी बड़ा कारण है। 

फैमिली हिस्ट्री होना – जीन के अंदर बदलाव का होना। अगर परिवार में, किसी को ब्लड प्रेशर की शिकायत है। इसका मतलब, उसके शरीर में भी ऐसे जीन हैं। जिससे उसमें भी ब्लड प्रेशर हो सकता है।

उम्र का बढ़ना – जैसे-जैसे हमारी उम्र बढ़ती है। वैसे-वैसे ब्लड प्रेशर भी बढ़ता जाता है। क्योंकि हमारी धमनियों की elasticity कम होती जाती है। इसलिए older age में ब्लड प्रेशर का होना एक common समस्या है।

कुछ दवाइयों के कारण – कुछ दवाइयों के कारण भी, हमारा ब्लड प्रेशर बढ़ता है। जैसे दर्द की दवाइयां, गर्भनिरोधक गोलियां, oral contraceptive या Steroids का अधिक व लंबे समय तक प्रयोग करने से भी ब्लड प्रेशर बढ़ सकता है। मानसिक बीमारियां जैसे एंजायटी या एंटी डिप्रेशन की जो दवाइयां होती है। वो भी ब्लड प्रेशर को बढ़ा सकती हैं।

शारीरिक कार्य का न करना – ऐसे लोग, जो अधिक शारीरिक कार्य नहीं करते हैं। जो अधिकतर समय कुर्सी पर बैठकर ही काम करते हैं। जिनका का पैदल चलना नहीं होता। यह भी हाइपरटेंशन एक बड़ा कारण होता है।

हाई ब्लड प्रेशर के लक्षण
High BP Symptoms in Hindi

अगर किसी व्यक्ति का ब्लड प्रेशर बढ़ा हुआ है। तो उसमें किस प्रकार के लक्षण दिखाई पड़ते हैं। जब उसका BP 1st stage, 2nd stage या 3rd stage में होगा। या फिर यह भी कह सकते है। कि उसका BP कब mild होगा। कब moderate होगा। कब severe होगा। Symptoms के आधार पर, हम कैसे इसे पहचान सकते हैं। कि कौन-सी stage चल रही है।

Symptoms of Mild Hypertension (1st Stage)

1. Headache- इसमें बहुत सर दर्द जैसी समस्या हो सकती है यह सर दर्द हल्का होगा लेकिन यह सर दर्द लगातार बना रहेगा।

2. Dizziness – इसमें व्यक्ति को चक्कर जैसा आएगा। यह चक्कर उसके सर दर्द के साथ होंगे। ऐसा महसूस होगा कि सर चकरा रहा है।

3. Weakness – इसमें व्यक्ति को कमजोरी महसूस होगी।

4. Restlessness – व्यक्ति को बेचैनी महसूस होगी।

5. Nausea & Vomiting – व्यक्त को बेचैनी होने के साथ-साथ जी मत लाना मछला ना मछला ना मत लाना व उल्टी की समस्या हो सकती है।

6. Chest Pain – व्यक्ति के ब्लड प्रेशर बढ़ने के साथ-साथ चेस्ट पेन भी होगा।       इस प्रकार के लक्षण दिखते ही, व्यक्ति को डॉक्टर से अवश्य सलाह लेनी चाहिए।  ताकि समय रहते, इसका इलाज हो सके। ब्लड प्रेशर की समस्या 2nd व 3rd स्टेज में ना पहुंच सके।

Symptoms of Moderate Hypertension (2nd Stage)

1. Headache – इसमें व्यक्ति को सर दर्द की समस्या बढ़ जाएगी।

2. Vertigo – इन परिस्थितियों में व्यक्ति को चक्कर आते हैं। जब वह उठकर खड़ा होता है। तब लगता है कि उसके चारों ओर के objects घूम रहे हैं। तब उसे लगता है कि वह गिर पड़ेगा।

3. Nervousness – इसमे व्यक्ति को बहुत ज्यादा घबराहट महसूस होगी।

4. Shortness of Breath – इसमें सांस लेने में दिक्कत होने लगेगी।

5. Insomnia – अब व्यक्ति को नींद न आने की समस्या भी होगी। 

6. Irregular Heartbeat – व्यक्ति की हार्ट बीट अनियमित हो जाएगी।

7. Blurry Vision – व्यक्त को धुंधला दिखाई पड़ने लगेगा।

Symptoms of Severe Hypertension

1. Headache – इसमें व्यक्ति को severe headache की समस्या होगी।

2. Nausea & Vomiting – ऐसे में  व्यक्ति का लगातार जी मचलाएगा और उल्टीओं की संख्या बढ़ जाएगी।

3. Restlessness – व्यक्ति को लगातार बेचैनी महसूस होगी। दिल घबराएगा।

4. Palpitations – इस परिस्थिति में हार्टबीट बहुत ज्यादा बढ़ जाएगी। ऐसे में व्यक्ति की जान भी जा सकती है।

5. Kidney Problem – अब किडनी से भी संबंधित समस्याएं देखने को मिलती हैं। किडनी का filtration भी उचित रूप से नहीं होगा।

6. Nose Bleed – नाक से खून आ सकता है।

7. Brain Hemorrhage – व्यक्ति में ब्रेन हेमरेज जैसी समस्या भी देखने को मिल सकती है। इसका मतलब होता है कि ब्रेन में जो blood vessels होती हैं। वह फट जाती हैं। जिसकी वजह से व्यक्ति की मृत्यु भी हो सकती है।

हाई ब्लड प्रेशर के नुकसान

 हाई ब्लड प्रेशर का हमारे शरीर पर क्या दुष्प्रभाव पड़ता है। यदि ब्लड प्रेशर लंबे समय तक बना रहता है। तो यह हमारे शरीर के किन-किन अंगों को प्रभावित करता है।

1. हाई ब्लड प्रेशर के कारण, हमारे brain में बहुत तेजी से blood पहुंचता है। जिसके कारण blood vessels फट सकती हैं। जिसके कारण hemorrhage हो सकता है। इसे ही stroke बोला जाता है। शरीर के एक हिस्से में paralysis हो सकती है। कभी-कभी ब्रेन को अच्छे से ब्लड सप्लाई ना होने के कारण, इस टीम ने Ischemia भी हो सकता है।

2. हमारे ह्रदय के ऊपर भी ब्लड प्रेशर का बुरा प्रभाव पड़ता है। जितना ज्यादा ब्लड प्रेशर होगा। उतना ही ज्यादा हमारे हृदय को काम करना पड़ता है। जिससे हृदय की मांसपेशियां बढ़ जाती हैं। जिसके कारण Hypertrophy हो जाती है। ह्रदय में ऑक्सीजन की demand बढ़ने से, सीने में दर्द हो सकता है। Heart Failure भी हो सकता है।

3. हाई ब्लड प्रेशर के कारण, किडनी भी प्रभावित हो सकती है। किडनी का काम ब्लड को फिल्टर करना होता है। ब्लड में बहुत तरह के बेकार प्रोडक्ट होते हैं। जिन्हें किडनी फिल्टर करके बाहर करती है। अगर ब्लड किडनी में, प्रेशर के साथ अंदर जाएगा। तो किडनी में बदलाव होने लगते हैं। इसलिए लंबे समय में  किडनी में damage होने की संभावना बढ़ जाती है।

4. इसी प्रकार ब्लड प्रेशर बढ़ने पर, आंखों में ब्लड तेजी से जाता है। जिससे आंखों में सूजन होना, आंखों में खून का थक्का जमना,  retinal hemorrhage होने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं। इनके कारण दिखाई पड़ना कम हो सकता है। यहां तक की blindness जैसी समस्या भी हो सकती है।

5. हाई ब्लड प्रेशर के कारण हमारी धमनियों में डैमेज होने के चांसेस होते हैं। धमनियों का ल्यूमेन आधा हो जाता है। जिसके कारण शरीर के निचले हिस्से में ब्लड की सप्लाई उचित रूप से नहीं हो पाती। इसके कारण चलने-फिरने में दिक्कत, गैंग्रीन हो सकता है। बल्कि महिला और पुरुष की फर्टिलिटी भी प्रभावित होती है।

हाई ब्लड प्रेशर में नाक से खून आना

   सामान्य रूप से हमारी यह धारणा होती है कि अगर नाक से खून आ रहा है। तो उस व्यक्ति का ब्लड प्रेशर बढ़ा हुआ है। वैज्ञानिक तथ्यों के आधार पर, नाक से खून बहना और हाई ब्लड प्रेशर का आपस में कोई संबंध नहीं है। न हीं बढ़ा हुआ ब्लड प्रेशर, परोक्षरूप से इसके लिए जिम्मेदार होता है।

        इसके विपरीत यह पाया गया कि अगर हाई बीपी वाले व्यक्तियों में, नाक से खून बहने की समस्या है। तो यह सामान्य लोगों की अपेक्षा ज्यादा गंभीर हो सकती है। हाई ब्लड प्रेशर वाले रोगियों की नाक के अंदर की झिल्ली के ऊपरी सतह पर, रक्त वाहिनीयों में सूजन आ जाती है। 

       जिसके कारण किसी भी बाहरी दबाव से वह फट जाती है। लेकिन हाई ब्लड प्रेशर नाक के अंदर की झिल्ली फटने के लिए सीधे जिम्मेदार नहीं होता। हाई ब्लड प्रेशर खून बहने की गंभीरता को तो बढ़ा सकता है। लेकिन सीधे तौर पर जिम्मेदार नहीं है।

 

Disclaimer 

     लेख में सुझाए गए tips और सलाह केवल सामान्य जानकारी प्रदान करते हैं। इन्हें आजमाने से पहले, किसी विशेषज्ञ अथवा चिकित्सक से सलाह जरूर लें। myhealthguru इसके लिए उत्तरदायी नहीं है।

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