ज्यादा नींद आना किस बीमारी के लक्षण है | किस विटामिन की कमी से नींद ज्यादा आती है

ज्यादा नींद आना किस बीमारी के लक्षण है
किस विटामिन की कमी से नींद ज्यादा आती है

  आज के दौर में भी ऐसे बहुत से कुंभकरण हैं। जो हर जगह चाहे ऑफिस हो, मीटिंग हो, स्कूल हो। हर जगह सोते मिल जाएंगे। ऐसे लोग खुद भी अपनी, इस आदत से परेशान होते हैं। लेकिन वह मजबूर होते हैं। आज की भागदौड़ वाली जिंदगी में, नींद का महत्व सबसे ज्यादा है। अच्छी नींद शरीर और दिमाग को आराम देती है। लेकिन कई बार नींद की यह प्रक्रिया अनियमित हो जाती है। जिसके कारण लोगों को ज्यादा नींद आने लगती है। 

     इसके बावजूद भी, वह ज्यादा ऊर्जावान महसूस नहीं करते। यह स्थिति करियर के हिसाब से भी काफी नुकसानदायक होती है। क्योंकि हमेशा सोते रहने से प्रोडक्टिविटी घटती है। वही सेहत के लिए भी, यह ज्यादा खतरनाक हो सकती है। एक रिसर्च के मुताबिक, अगर आपकी उम्र 18 से 64 के बीच में है। तब अगर आप रोज 9 घंटे से ज्यादा सोते हैं। तो आपको सावधान हो जाना चाहिए।

      क्योंकि इससे ज्यादा की नींद मोटापा, डायबिटीज, ब्लडप्रेशर, हार्ड की समस्या और डिप्रेशन जैसी बीमारियों की वजह बन सकती है। इसके पीछे पूरा विज्ञान काम करता है। अगर आप ज्यादा सोते हैं। तो ग्लूकोज का स्तर असंतुलित होने लगता है। इंसुलिन की संवेदनशीलता  घटती है। इसके साथ ही टाइप2 डायबिटीज का खतरा भी बढ़ जाता है। इसके साथ ही ज्यादा सोने से हमारी बायोलॉजिकल क्लॉक भी अव्यवस्थित हो जाती है।

    जिसके कारण जरूरी हार्मोन और केमिकल्स रिलीज नहीं हो पाते। जिसके कारण मोटापा बढ़ने लगता है। यह कुंभकरण वाली नींद, आपके दिल की भी दुश्मन है। ज्यादा देर सोने से हार्ड की आर्टरीज़ भी कमजोर होने लगती है। जिसके कारण दिल की बीमारियों का खतरा भी बढ़ जाता है। इसलिए हमें अपने नींद के ऐसे पैटर्न को ठीक करना बहुत ही जरूरी हो जाता है।

ज्यादा नींद आना किस बीमारी के लक्षण है

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ज्यादा नींद आना – हाइपरसोम्निया क्या है

  जब किसी व्यक्ति को ज्यादा नींद आने की समस्या होती है। तो इसे हाइपरसोम्निया कहते हैं। हमारे शरीर को इस तरह से डिजाइन किया गया है। कि हमें 6 से 8 घंटे रात में नींद लेने के लिए और दिन में 1 से 2 घंटे हल्की सी नींद लेने के लिए बनाया गया है। लेकिन जब किसी व्यक्ति को इस जरूरत से भी ज्यादा नींद आने लगती है। व्यक्ति सुबह ज्यादा सो रहा है। उठने के बाद भी नींद आ रही है। खाना खाने के बाद, ज्यादा नींद आ रही है।

        इन सारे वक्त में अगर सोने का समय 12 घंटे से अधिक हो जाता है। तो वह व्यक्ति हाइपरसोम्निया से ग्रसित हो सकता है। यह एक प्रकार की बीमारी है। इसमें सोने के लिए व्यक्ति को बिस्तर की जरूरत नहीं होती है। वह व्यक्ति कहीं पर भी सो सकता है। ऐसा व्यक्ति खड़े-खड़े या बैठे-बैठे सो सकता है। इस बीमारी के  अलग-अलग चरण होते हैं। जिन्हें माइल्ड,  मॉडरेट व सीवर में बंटा गया है।

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ज्यादा नींद आना – हाइपरसोम्निया के लक्षण

यदि आप भी हाइपरसोम्निया यानि अधिक नींद की समस्या से ग्रसित है। तब आपको भी नींद न आने के अलावा अन्य लक्षण भी दिखाइए पड़ सकते हैं। जो इस प्रकार है।

1. रात की अच्छी नींद के बाद भी अत्यधिक नींद आना।

2. आराम करने के बाद भी, शरीर में थकावट व ऊर्जा की कमी महसूस होना।

3. हमेशा आलस्य से भरे रहना।

4. ध्यान लगाने में कठिनाई होना।

5. भूलने की समस्या यानी याददाश्त का कमजोर होना।

6. चिड़चिड़ापन होना।

7. भूख में कमी होना।

8. सोचने व बोलने की गति का धीमा होना।

9. सर में हमेशा भारीपन रहना।

10. दिल की धड़कन का तेज या कम होना।

11. उबासी व चक्कर आने की समस्या होना।

12. हर वक्त तनाव व चिंता में रहना।

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ज्यादा नींद आना किस बीमारी के लक्षण है

जरूरत से ज्यादा नींद आने के पीछे कई मानसिक और शारीरिक कारण हो सकते हैं। बहुत से लोगों को कामकाज करते समय दिन में, झपकी लेने की आदत होती है। लेकिन यह झपकी लेने की आदत, जब गहरी नींद में बदल जाती है। जिस पर आपका नियंत्रण भी न हो। तो यह गंभीर समस्या हो सकती है। यह कुछ बीमारियों की तरह भी तरफ भी संकेत करती हैं।

नार्कोलेप्सी – इसको साधारण भाषा में स्लिप अटैक भी कहते हैं। जिसमें दिन के समय भी अचानक तेज नींद आती है। यह तंत्रिकातंत्र से जुड़ी एक गंभीर समस्या है। जो हमारे नींद के पैटर्न को प्रभावित करती है। इस समस्या के कारण, आपको अचानक तेज नींद आ सकती है। फिर चाहे क्यों न, आपने रात में पर्याप्त नींद ली हो।

        यह समस्या आपके सिर्फ नर्वस सिस्टम कोई नहीं, बल्कि आपके पूरे स्वास्थ्य को प्रभावित करती है। यह समस्या ऑटोइम्यून डिसऑर्डर की वजह से भी हो सकती है। इसमें एक कारण हाइपोक्रेट्रिन रसायन भी होता है। यह शरीर में हार्मोन के असंतुलन होने के कारण भी होती है।

लो ब्लड शुगर – हमारे शरीर को हमेशा ऊर्जा की जरूरत होती है। यदि ऊर्जा की कमी होती है। तो ऐसे लक्षण दिखाई देते हैं। यह ऊर्जा हमें भोजन से मिलती है। भोजन के पाचन से, हमें शुगर यानि ग्लूकोज प्राप्त होता है। अगर हमारे शरीर में शुगर की कमी हो जाती है। यानी अगर हमारा शुगर लेवल कम हो जाता है।

       तो हमारे शरीर को ऊर्जा भी कम मिलती है। शरीर में ब्लड शुगर के कम होने के लक्षण होते हैं। जैसे कि दिल की धड़कन का तेज होना, पसीना आना, शरीर का  कँपना। ऐसी समस्याओं को दूर करने के लिए, आपको फ्रूट जूस पीना चाहिए। इसके अलावा पौष्टिक आहार लेकर भी, शरीर में ऊर्जा की कमी को पूरा कर सकते हैं।

एनीमिया की समस्या – अगर आपके शरीर में खून या हीमोग्लोबिन की कमी है। तो ऐसे में, आपको कई प्रकार के लक्षण दिखाई देंगे। कुछ भी काम करते समय जल्दी हाँफ जाना या सांस का तेज हो जाना। दिल की धड़कन तेज होना। चलने में भी समस्या होना, थकावट होना। बार-बार सर दर्द होना, सर में भारीपन रहना।

        इसके अलावा लगातार कमजोरी  का बने रहना। थकावट का बने रहना।  ऐसे लक्षण होने पर, आपको डॉक्टर से पास जाकर ब्लड टेस्ट करवाना चाहिए। यदि आपका हीमोग्लोबिन कम आता है। तो आपको भरपूर मात्रा में, आयरन युक्त खाद्य पदार्थ का सेवन करना चाहिए। जैसे अनार व चुकंदर का रस या जूस, पालक आदि का सेवन। शरीर में खून की कमी दूर होते ही, आपके यह सभी लक्षण दूर हो जाएंगे।

थायराइड की समस्या – यदि आपको थायराइड से जुड़ी कोई समस्या है। तो ऐसे में भी, आपको हमेशा थकावट और कमजोरी महसूस होगी। थायराइड की समस्याएं दो प्रकार की होती हैं। यदि आपकी थायराइड ग्रंथि अधिक सक्रिय हो जाए। तो ऐसे में आपको हमेशा कमजोरी व थकावट बनी रहती है। इसके साथ वजन कम होना। शरीर का हमेशा गर्म रहना। दिल की धड़कन तेज होना। बहुत ज्यादा प्यास लगने की समस्या होना।

      इसी प्रकार यदि आपकी थायराइड ग्रंथि कम सक्रिय है। तो ऐसे में भी आपको थकावट व कमजोरी के साथ-साथ शरीर में दर्द, गर्मी के मौसम में भी हाथ पांव ठंडा रहना। शरीर का वजन बिना कुछ किए बढ़ते जाना। इस प्रकार के लक्षण दिखाई देने लगते हैं। ऐसे में भी थायराइड ठीक होने पर, यह सभी समस्याएं भी समाप्त होने लगती हैं।

मानसिक तनाव की समस्या – जिस व्यक्ति को मानसिक तनाव, डिप्रेशन या एंजायटी की समस्या होती है। उनको भी हमेशा शरीर में थकावट व कमजोरी की समस्या बनी रहती है। इसके साथ ही उनका मन किसी काम में नहीं लगता। उन्हें हमेशा आलस और सुस्ती बनी रहती है। इसके साथ ही अन्य दूसरे लक्षण भी दिखाइ दे सकते हैं। जैसे छोटी सी बात पर बार-बार गुस्सा आना। चिड़चिड़ापन बने रहना।

     शरीर व सर में दर्द का बार-बार होना। बार-बार पेट से संबंधित समस्याएं होना। किसी से बात करने का मन न करना। अगर ऐसे लक्षण दिखाई देते हैं। तो इसका कारण मानसिक तनाव, एंजायटी या डिप्रेशन की समस्या हो सकती है। इसके लिए, आपको अच्छे मनोचिकित्सक से मिलना चाहिए। एक बार यह समस्या ठीक होने पर, आपको ऐसे लक्षण नहीं दिखाई देंगे।

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किस विटामिन की कमी से नींद ज्यादा आती है

ज्यादा नींद आना, कई प्रकार के कारणों से हो सकती है। जिसमें तनाव, नींद संबंधी समस्याएं, कुछ दवाओं के दुष्प्रभाव व अन्य कई प्रकार की चिकित्सा संबंधी प्रक्रियाएं शामिल होती हैं। वहीं कुछ विटामिनों की कमी से भी अत्यधिक नींद आ सकती है। इसका इलाज तभी संभव हो सकता है। जब इसके बारे में आपको पता हो कि किस विटामिन की कमी से नींद ज्यादा आती है।

विटामिन डी की कमी – विटामिन डी एक फैट में घुलनशील विटामिन है। जो हमारे शरीर में उपस्थित कैल्शियम और फास्फोरस के अवशोषण में मदद करता है। यह नींद से जागने के चक्र में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसकी कमी से अत्यधिक नींद और थकान हो सकती है।

      जो हमारे दैनिक जीवन की गतिविधियों में बाधा पैदा करती है। कई रिसर्च से पता चला है कि जिनमें विटामिन डी का स्तर कम होता है। ऐसे व्यक्ति दिन के समय अधिक नींद आने का अनुभव करते हैं। उनमें नींद संबंधी विकार जैसे obstructive sleep apnea विकसित होने का खतरा अधिक होता है।

विटामिन B12 – विटामिन B12 एक घुलनशील विटामिन है। यह लाल रक्त कणिकाओं के उत्पादन और डीएनए के संश्लेषण के लिए आवश्यक होता है। यह हमारे तंत्रिका तंत्र के समुचित कार्य में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

इसकी कमी से थकान, कमजोरी और अधिक नींद आने की समस्या हो सकती है। जिन व्यक्तियों में, इसका स्तर कम होता है। उनमें दिन के समय अधिक नींद आने की संभावना ज्यादा होती है। इनमें रेस्टलेस लेग सिंड्रोम जैसे नींद संबंधी विकार उत्पन्न होने का खतरा बढ़ जाता हैं।

आयरन की कमी – आयरन एक खनिज तत्व होता है। जो हमारे हिमोग्लोबिन के उत्पादन के लिए आवश्यक होता है। यह रक्त में ऑक्सीजन को ले जाने का काम करता है। इसकी कमी के कारण एनीमिया जैसी गंभीर समस्याएं हो सकती है।

इसके कारण भी अत्यधिक नींद और थकान का अनुभव होता है। कुछ स्टडी से पता चला है कि जिन व्यक्तियों में लोह तत्व की कमी होती है। ऐसे व्यक्ति दिन के समय अधिक नींद का अनुभव करते हैं।

मैग्नीशियम की कमी – मैग्नीशियम भी एक प्रकार की खनिज है। जो हमारे शरीर की बहुत सी जैविक प्रक्रियाओं के लिए आवश्यक होता है। इन जैविक प्रक्रियाओं में सोने-जागने के चक्र का नियमन भी  शामिल होता है। इसकी कमी के कारण भी अनिद्रा की समस्या हो सकती है। जिसके कारण पूरी नींद लेने के बाद भी, दिन में अत्यधिक नींद आ सकती है।

       इन विटामिन और खनिज तत्वों की कमी के कारण अत्यधिक नींद आने की समस्या हो सकती है। अपनी स्वस्थ नींद को बढ़ावा देने के लिए, आपको संतुलित आहार के माध्यम से, इन विटामिनों और खनिजों की पूर्ति करना आवश्यक होता है। यदि आप अत्यधिक नींद या नींद से संबंधित अन्य विकारों से ग्रसित हैं। तो आपको इसके लिए चिकित्सक से परामर्श लेना चाहिए।

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ज्यादा नींद आने के घरेलू उपाय

 यूं तो नींद आना एक अच्छा संकेत माना जाता है। लेकिन अगर आप पर्याप्त नींद देने के बाद भी, नींद से घिरा हुआ महसूस करते हैं। तो यह एक समस्या है, इसके उपाय कुछ इस प्रकार हैं –

1. चूने का उपयोग – हमारे शरीर में एक  झार की कमी के कारण भी, यह समस्या देखने को मिलती है। यह झार सबसे ज्यादा चूने में पाया जाता है। इस समस्या के लिए, आपको चूने का उपयोग करना चाहिए। इसके लिए आप चूने की थोड़ी सी मात्रा को दाल, सब्जी, छाछ व दही आदि मिलकर खा सकते हैं। इसके साथ ही, आपको नारियल का तेल, अपने बालों में जरूर लगाना चाहिए।

2. भृंगराज का उपयोग – इसके लिए तिल के तेल में, सूखा भृंगराज डालकर गर्म करें। जब भृंगराज अच्छे से तेल में पक जाए। यानी तेल का रंग हरा हो जाए और भृंगराज काला होना शुरू हो जाए। तो उसे छानकर अलग कर लें। यह हमारे खून को शुद्ध करता है। बालों के लिए बहुत फायदेमंद होता है। इस तेल से सर पर हल्के हाथों से मसाज करने से, इनसोम्निया और हाइपरसोम्निया दोनों में ही फायदा होता है।

3. सौंफ का उपयोग – अगर आप ज्यादा नींद आने की समस्या से ग्रसित है। तो आपको 10 ग्राम सौंफ लेनी है। अब इसे आधा लीटर पानी में, तब तक उबाले। जब तक यह एक चौथाई न रह जाए। अब इसमें थोड़ा सा नमक मिलाकर, सुबह व शाम को इसका सेवन करें। इसका सेवन अगर आप  एक हफ्ते तक करते हैं। तो आपको बहुत ज्यादा नींद आने व सुस्ती रहने की समस्या से छुटकारा मिलेगा। इसके साथ ही आपको दिनभर फुर्ती भी महसूस होगी।

Disclaimer

     लेख में सुझाए गए tips और सलाह केवल सामान्य जानकारी प्रदान करते हैं। इन्हें आजमाने से पहले, किसी विशेषज्ञ अथवा चिकित्सक से सलाह जरूर लें। myhealthguru इसके लिए उत्तरदायी नहीं है।

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