हर्निया रोग क्या है | हर्निया क्यों होता है | बिना ऑपरेशन हर्निया का इलाज | Hernia in Hindi

हर्निया रोग क्या है – पुरुषों में लक्षण, महिलाओं में लक्षण, क्यों होता है, बीमारी का इलाज,  बिना ऑपरेशन इलाज, परहेज, पहचान कैसे होती है?

सेहतमंद जिंदगी कौन नहीं जीना चाहता है। ऐसा कई बार होता है कि कुछ ऐसी परिस्थितियां आपके सामने आती हैं। जब आपको अचानक पता चलता है कि आपको कोई स्वास्थ्य संबंधी कोई दिक्कत हुई है। दरअसल आज हमारी लाइफस्टाइल ही बदल गई है। हम शारिरिक श्रम तो बिल्कुल भी नहीं करते। वही अगर करते भी हैं। तो वह सिर्फ नाममात्र का होता है। यही कारण है कि आज हमारी Immunity, Stamina व Strength में कमी होती जा रही है।

 जिसके परिणामस्वरूप, हमारी मांसपेशियां कमजोर व लचीली होती जा रही है। वही आज की पीढ़ी, अपने पहले की पीढ़ी से अधिक कम कमजोर होती जा रही है। इन सबके कारण, हम अनेकों रोगों से ग्रसित होते जा रहे हैं। हर्निया भी एक ऐसी ही दिक्कत है। जो इसका परिणाम है। इसका पता हमें अचानक चलता है। हर्निया एक आम बीमारी है। भारत में हर वर्ष 10-15 लाख लोगों को, हर्निया की शिकायत होती है।

यह किसी प्रकार से, घातक बीमारी नहीं है। लेकिन यह अपने आप ठीक भी नहीं होती है। इसका बहुत ही आसानी से, उपचार किया जा सकता है। यदि समय रहते, इसका इलाज नहीं करवाया गया। तो ऑपरेशन भी करवाना पड़ सकता है। कुछ लोगों में, यह बढ़ती उम्र के कारण होती है। वहीं कुछ लोगों में, बचपन से ही इसके लक्षण दिखाई देते हैं। ज्यादातर लोगों का सोचना है कि हर्निया की समस्या केवल पुरुषों में पाई जाती है।

लेकिन ऐसा नहीं है। इससे बहुत सी महिलाएं व बच्चे भी पीड़ित होते है। वैसे तो हर्निया को जानलेवा नहीं कहा जा सकता। लेकिन समय रहते, इसका इलाज करवाना बहुत जरूरी है। क्या इसे होने से रोका जा सकता है। हर्निया की प्रारंभिक स्थिति में, इसे कुछ उपचारों के द्वारा रोका जा सकता है। लेकिन बढ़ जाने पर, इसकी केवल सर्जरी ही उपाय होता है। ऐसी स्थिति में, यह दवाओं से ठीक नहीं होता है। क्या आप जानना चाहेंगे : शहद के फायदेशहद खाने के नुकसान। असली शहद की पहचान। शहद जहर कैसे बनता है।

हर्निया रोग क्या है

हर्निया रोग क्या है

हमारा ऐसा सोचना बिल्कुल गलत है कि हर्निया की समस्या, ज्यादातर पुरुषों में पाई जाती है। यह किसी को भी हो सकती है। हमारे पेट की मांसपेशियों की कमजोरी की वजह से, जब पेट के किसी भी हिस्से में सूजन या दर्द होता है। तो इसका कारण, हर्निया हो सकता है। साधारण शब्दों में कहा जाए। तो हर्निया एक ऐसी स्थिति है। जिसमें शरीर की कोई मांसपेशी या टिशू, किसी छेद के द्वारा, अपनी झिल्ली या खोल से बाहर आ जाता है।

इस बाहर निकले अंग को ही, हर्निया कहा जाता है। यह समस्या ज्यादातर आँत या पेट के आसपास देखी जाती है। जो बहुत ज्यादा तकलीफ दे होती है। हर्निया एक ऐसी स्थित है। जिसमें लापरवाही करना मुश्किल पैदा कर सकता है। शरीर का कोई अंग जब अपनी झिल्ली से बाहर निकल आता है। तो इसे ही हर्निया कहा जाता है। हर्निया में आपके जांघ के आसपास, पेनिस के आसपास, पेट या आँत के आसपास सूजन दिखाई पड़ सकती है। क्या आप जानना चाहेंगे : ईएसआर क्या होता है। ईएसआर बढ़ने से क्या होता हैईएसआर बढ़ने के लक्षण। ईएसआर कितना होना चाहिए।

हर्निया के प्रकार

हर्निया मुख्य रूप से छह प्रकार का होता है। जो इस प्रकार है-

1. इनगुइनल हर्निया (Inguinal Hernia)- इस प्रकार हर्निया मुख्य रूप से, पेट और जांघ के मध्य वाले भाग के, कमजोर हिस्से में होता है। इसे हर्निया का सबसे आम प्रकार माना जाता है। अधिकतर पुरुषों को प्रभावित करता है।

2. फेमोरल हर्निया (Femoral Hernia)- इस प्रकार का हर्निया अधिकतर ग्रोइग के पास, जांघ के ऊपर वाले हिस्से में होता है। इस प्रकार का हर्निया ज्यादातर महिलाओं को ही प्रभावित करता है।

3. इनसीजनल हर्निया (Incisional Hernia)- अगर किसी पुरुष या महिला के पेट की कभी भी, किसी प्रकार की सर्जरी हुई है। तो इनसीजनल हर्निया होने का जोखिम बढ़ जाता है। क्योंकि सर्जरी के कारण, पेट की मांसपेशियां कमजोर हो जाती है। जिसके कारण इस प्रकार के हर्निया के होने की संभावना बढ़ जाती है।

4. अम्बिलिकल हर्निया (Umbilical Hernia)- इस प्रकार का हर्निया मुख्य रूप से, नाभि के पास एब्डोमिनल वॉल के कमजोर वाले हिस्से में होता है। इस प्रकार का हर्निया शिशु व अधिक वजन वाले लोगों में ज्यादा होता है।

5. एपीगैस्ट्रिक हर्निया (Epigastric Hernia)- इस प्रकार का हर्निया ब्रेस्ट बोन  व नाभि के बीच एब्डोमिनल वॉल को अधिक प्रभावित करता है।

6. डायाफ्रामिक हर्निया (Diaphragmatic Hernia) – इस प्रकार का हर्निया तब होता है। जब डायग्राम यानी फेफड़ों और ह्रदय के ठीक नीचे स्थित  गुंबद आकार की मांसपेशी का कोई छिद्र फैल जाता है। क्या आप जानना चाहेंगे : लहसुन खाने के फायदेपुरुषों के लिए कच्चे लहसुन खाने का लाभ।

हर्निया क्यों होता है

पेट के अंदर, जब किसी भी प्रकार का प्रेशर पड़ता है। तो हर्निया हो सकता है। हर्निया मुख्य रूप से direct और indirect होता है। जब शरीर में किसी जगह की दीवार या झिल्ली कमजोर हो जाती है। तो वह डायरेक्ट हर्निया होता है। इनडायरेक्ट हर्निया में, पहले से ही छेद बन चुका होता है। जिससे आँत या कोई अंग, आसानी से अंदर व बाहर आता-जाता रहता है। इसे इनडायरेक्ट हर्निया कहा जाता है। इसके होने के कारण, कुछ इस प्रकार हो सकते है –

1. व्यक्ति के शरीर की अंदरूनी दीवार या झिल्ली का बढ़ती उम्र के साथ कमजोर होना।

2. अगर आपके पेट का कोई भी ऑपरेशन हुआ है। इसके कारण भी हो सकता है।

3. अगर आप अधिक मोटापे से ग्रसित है। तो यह भी एक कारण हो सकता है।

4. ऐसे व्यक्ति जो ज्यादा वजन उठाने का कार्य करते हैं। उन्हें भी हो सकता है।

5. अगर आप पेशाब करते समय, ज्यादा जोर डालते है। तो यह भी कारण हो सकता है।

6. अगर आप कोई ऐसा कार्य करते हैं। जिसमें अधिक देर तक खड़ा रहना होता है। तो भी यह कारण हो सकता है।

7. सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण ऐसे व्यक्ति जो शारीरिक श्रम नहीं करते हैं। या किसी भी प्रकार का व्यायाम व योगा नहीं करते हैं। तो ऐसे में उनकी मांसपेशियां ढीली व लचीली  हो जाती है। क्या आप जानना चाहेंगे : कब्ज का परमानेंट इलाज पुरानी कब्ज के लक्षण। कब्ज के नुकसान। बदहजमी का घरेलू इलाज। कब्जियत के घरेलू उपाय।

हर्निया रोग क्या है – हर्निया के लक्षण

इसमें किसी व्यक्ति के पेट के, किसी भी हिस्से में सूजन होती है। जब वह खड़ा होता है, या चलता है। तो यह दिखने लगती है। लेकिन जब वह लेट जाता है। तो कई बार यह सूजन गायब हो जाती है। अगर मरीज को खाँसी आती है। या वह किसी भी चीज में, जोर लगाता है। तो यह सूजन आमतौर पर दिखने लगती है। 

ऐसा शुरुआती दौर में होता है। यानी जब हर्निया की शुरुआत हो रही होती है। जब हर्निया complicated हो जाता हैं।  इसमें कोई आँत आकर फँस जाती है। तब इसका presentation बिल्कुल acute हो जाता है। यही सूजन फिर एकदम बहुत tight हो जाती है। मरीज को पेट में असहनीय दर्द होने लगता है। उसे उल्टियां होती हैं। 

ऐसी स्थिति में, मरीज को बिल्कुल आराम नहीं मिलता है। तब उसे अस्पताल जाना ही पड़ता है। ऐसी परिस्थितियों में, ऑपरेशन के अलावा अन्य कोई दूसरा विकल्प नहीं होता है। इन परिस्थितियों में किसी भी प्रकार का की दवाई या घरेलू उपचार न करें। क्योंकि इसके परिणाम घातक हो सकते हैं। मरीज की आँत भी खराब हो सकती है। क्या आप जानना चाहेंगे :  तुलसी के फायदे10 Benefits of Tulsi।

हर्निया रोग क्या है – हर्निया से नुकसान

अगर हर्निया server stage में पहुंच जाती है। तो ऐसी स्थिति में हर्निया का हिस्सा बाहर ही रहता है। जो अपने आप अंदर नहीं जा पाता। जिसके कारण उस हिस्से में रुकावट पैदा हो सकती है। इसमें सबसे बड़ा खतरा तब होता है। जब हर्निया में आंत का वह हिस्सा, जो बाहर होता है। उसकी ब्लड सप्लाई रुक जाती है। इसी को strangulated hernia बोला जाता है।

 ऐसी स्थिति में, जब आँत की ब्लड सप्लाई रुक जाती है। तो आँत के उस हिस्से के tissue, damage होने लगते है। ऐसी स्थिति में, रोगी को बहुत तेज दर्द होता है। उसे बुखार आ सकता है। वह एरिया जिसमें हर्निया है। वहां पर सूजन आ जाती है। हर्निया का वह हिस्सा, पहले लाल हो जाता है। फिर धीरे-धीरे काला पड़ने लगता है। यह बहुत ही खतरनाक स्थिति होती है।

इसका मतलब होता है कि आँत के अंदर obstruction हो गया है। ऐसी स्थिति में तुरंत ऑपरेशन करना पड़ता है। वरना आँत का वह हिस्सा सड़ने लगता है। जिसके कारण आँत के इंफेक्शन, शरीर के दूसरे हिस्से में भी जाने की संभावना होती है। ऐसे में septicemia होने का खतरा बना रहता है। जिसके कारण रोगी की जान तक जा सकती है।

वैसे ज्यादातर मामलों में, हर्निया में कोई परेशानी नहीं होती है। लेकिन कभी-कभी कुछ परिस्थितियों में हर्निया में obstruction और strangulation की समस्या होती है। जिसके कारण डाइजेशन की समस्या होती है। आँतो की मोमेंट में समस्या आ सकती है। जिसके कारण गैस नही निकल पाती है। रोगी का पेट फूलने लगता है।क्या आप जानना चाहेंगे : सुपर फूड आमला के गुण व फायदेकिन-किन रोगों मे लाभकारी।

हर्निया रोग क्या है – हर्निया में परहेज

 हर्निया में एक प्रकार की Hiatal Hernia होती है। इसमें स्टमक ऊपर की ओर चला जाता है। यानी diaphragm से ऊपर की ओर, इसोफागस में चला जाता है। इस अवस्था में रोगी को जलन का अनुभव व खट्टी डकार आने लगती है। इस प्रकार के हर्निया में, ऐसे कुछ परहेज करने चाहिए। जिससे एसिड ज्यादा ऐसे न बने।

1. ज्यादा तला-भुना या फ्राई चीजों से परहेज करें।

2. चॉकलेट या इससे बनी चीजें न खाएं। जो ज्यादा एसिड बनाती है।

3. अल्कोहल के सेवन से परहेज रखें।

4. ज्यादा नमक का सेवन न करें।

5. ज्यादा खट्टी चीजें न खाएं।

6. हाइटल हर्निया के मरीजों को खाना कम मात्रा में खाना चाहिए। उन्हें 4 से 5 बार, कम मात्रा में खाने की कोशिश करनी चाहिए। ताकि खाना स्टमक से इसोफागस में न जाए।

7. खाना खाने के ठीक बाद, लेटना भी नहीं चाहिए।

अन्य सभी प्रकार की हर्निया में खाना खाने या न खाने से, हर्निया तो कम नहीं होती है। हर्निया में कोई विशेष फर्क नहीं होता है। लेकिन कुछ ऐसे चीजें नहीं खानी चाहिए। जिससे मोटापा, कब्जियत या खांसी जैसी समस्याएं हो।

1. ऐसी चीजें जिसमें मैदा, शक्कर, तेल, ज्यादा तला-भुना या बाजार की चीजें, जो कब्ज पैदा करती है। उससे परहेज करना चाहिए। जब कब्ज नहीं होगा तो आपको पेट में पर ज्यादा जोर नहीं लगाना पड़ेगा

2. ऐसे खानों से भी बचना चाहिए। जो आपके शरीर में फैट इकट्ठा करते हो।

3. ऐसे खाने से भी बचना चाहिए। जिससे सर्दी, जुकाम या खांसी की समस्या पैदा होती हो। क्या आप जानना चाहेंगे : आंखों की रोशनी कैसे बढ़ाएंआँखों से सम्बंधित सभी विकार की सम्पूर्ण जानकारी।

बिना ऑपरेशन हर्निया का इलाज
हर्निया बीमारी का इलाज

हर्निया एक प्रकार का छिद्र है। जिसका ऑपरेशन ही एकमात्र इलाज है। अभी तक किसी भी पैथी में, इसकी कोई ऐसी मेडिसिन नहीं है। जिससे इसे ठीक किया जा सके या इस छिद्र को बंद किया जा सके। इसलिए समय रहते, इसका ऑपरेशन करवाना उचित होता है। इसके लिए आपको दवाओं व अन्य उपायों पर, समय बर्बाद न करके, ऑपरेशन करवाना चाहिए। ताकि आप आगे होने वाले complications से बच सके। इसे समझने के लिए, इसकी stages को समझना जरूरी है।

Stage 1 – Reducible Hernia – इस स्टेज में हर्निया का वह भाग, जो बाहर आ जाता है। वह लेटने पर अंदर चला जाता है। लेकिन कई कारणों से यह बढ़ता चला जाता है।

Stage 2 – Irreducible Hernia – इस स्टेज में हर्निया आराम करने पर भी वापस नहीं जाता है। इसमें हर्निया का बाहर निकला भाग sac में चिपक जाता है। जिसकी वजह से बाहर आया हर्निया, अंदर नहीं जा पाता।

इन दोनों को early-stage हर्निया कहा जाता है। इसे elective यानी प्लान करके, सर्जरी करवा सकते हैं। इसमें हर्निया के स्थान पर, एक जाली implant की जाती है। जिसे क्लीन एरिया में ही रखा जाता है। इस जाली के लगने के बाद, हर्निया होने की संभावना न के बराबर हो जाती है। इस स्टेज में ऑपरेशन ओपन सर्जरी या लेप्रोस्कोपिक के द्वारा करवाई जा सकती है।

Stage 3 – Obstructed Hernia – अगर हर्निया पेट के बाहर काफी दिनों तक रहता है। तो आँत की movement बंद हो जाती है। जिसके कारण पेट फूलने लगता है। अगर इसको ठीक नहीं किया गया तो यह अगली स्टेज में पहुंच जाता है।

Stage 4 – Strangulated Hernia – इस स्टेज में हर्निया मे रुकावट के कारण, खून की सप्लाई रुक जाती है। जिससे खून की कमी के कारण, आँत का सड़ना शुरू हो जाता है।

इन दोनों को late-stage हर्निया बोला जाता है। इसमें इमरजेंसी में, ऑपरेशन करवाना पड़ता है। इन दोनों स्थितियों में  जाली रखना मुश्किल हो जाता है। बल्कि  स्टेज 4 में, सड़ी हुई आँत को हटाकर जोड़ा जाता है। इस अवस्था में जाली नहीं रखी जा सकती। जिसके कारण हर्निया दोबारा होने की संभावना बनी रहती है। इसमें केवल ओपन सर्जरी ही एकमात्र विकल्प होता है। 

Disclaimer

     लेख में सुझाए गए tips और सलाह केवल सामान्य जानकारी प्रदान करते हैं। इन्हें आजमाने से पहले, किसी विशेषज्ञ अथवा चिकित्सक से सलाह जरूर लें। myhealthguru इसके लिए उत्तरदायी नहीं है।

Leave a Comment

Translate »