गर्भपात के बाद लक्षण | पहले महीने में गर्भपात के लक्षण | गर्भपात के बाद गर्भाशय की सफाई

गर्भपात के बाद लक्षण – पहले महीने में लक्षण, सावधानियां, गर्भ की सफाई, सफाई का घरेलू उपाय।

गर्भपात (abortion) महिलाओं के लिए बहुत ही sensitive topic होता है। जब भी किसी महिला को गर्भपात होता है। तो उनकी चिंता होना, स्वभाविक सी बात है। वह हमेशा यह जानना चाहती है कि आखिर यह गर्भपात क्यों हुआ। क्या वह इसे होने से बच सकती थी। 

अगली प्रेगनेंसी होने के लिए, कितने अंतराल की जरूरत है। फिर अगली प्रेगनेंसी में दोबारा गर्भपात न हो। इसके लिए कौन से टेस्ट करवाने चाहिए। या फिर उन्हें अगली प्रेगनेंसी में, क्या सावधानियां रखनी चाहिए।

भ्रूण की गर्भ में ही मौत हो जाने को गर्भपात(miscarriage) कहते हैं। महिला के प्रेग्नेंट होने के 20 हफ्ते तक, अगर भ्रूण की मौत होती है। तो इसे गर्भपात कहते हैं। 20 हफ्ते के बाद, भ्रूण की मौत को stillbirth कहा जाता है। 

अगर किसी महिला को 3 या उससे भी ज्यादा बार गर्भपात होता है। तो उसे recurrent miscarriage कहा जाता है। यानी कि habitual abortion। गर्भपात का होना, एक कॉमन समस्या है। इसकी वजह से, जिस महिला को बार-बार गर्भपात होता है। उस महिला के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है।

American Society for Reproductive की एक रिपोर्ट के मुताबिक, दुनिया भर में कम से कम 30% प्रेगनेंसी गर्भपात की वजह से खत्म हो जाती है। क्या आप जानना चाहेंगे : लो ब्लड प्रेशर को तुरंत कंट्रोल कैसे करेंब्लड प्रेशर लो के घरेलु उपचार। इसके कारण व लक्षण की विस्तृत जानकारी।

गर्भपात के बाद लक्षण

गर्भपात क्या है?
Garbhpat Kya Hota Hai

अगर गर्भपात को साधारण भाषा में समझा जाए। तो यह वह condition होती है। जिसमें मां के गर्भ में पल रहा बच्चा, उस वक्त तक ऐसी आयु में नहीं पहुंचा। जहां वह गर्भ के बाहर आकर, भी जीवित रह सके। यानी कि उस वक्त बच्चा इतना छोटा था। कि अगर उसे गर्भ से बाहर निकाला जाए। तो वह जीवित नहीं रह सकता था।

फिर अगर इसी condition में, उसका प्रसव हो जाता है। तो ऐसी परिस्थिति को, हम गर्भपात(abortion) कहते हैं। अब वह कौन-सी आयु है। जिसमें बच्चा गर्भ के बाहर आकर भी जीवित रह सकता है। तो वह उम्र 20 सप्ताह की मानी जाती है।

अगर बच्चा 20 सप्ताह तक मां के गर्भ में ठहर जाता है। उसके बाद उसका प्रसव होता है। तब बच्चा जीवित रह सकता है। तब हम उसे parity में count कर सकते हैं। लेकिन अगर 20 सप्ताह से पहले प्रसव  हो जाता है। तब बच्चा बाहर आकर जीवित नहीं रह सकता है। तब हम उसे abortion  में count कर सकते हैं।

अगर आपको नहीं पता है कि बच्चे का जब प्रसव हुआ। तब वह 20 सप्ताह का था या नहीं। तो हम इसे अन्य तरीके से भी पता लगा सकते हैं। अगर बच्चे का उस वक्त वजन 500 ग्राम से कम है। तो वह abortion कहलाएगा। या फिर वह 20 सप्ताह से कम है। तो भी हम उसे abortion में ही गिनेगें।

गर्भपात के बाद लक्षण
Miscarriage Symptoms in Hindi

गर्भपात यह शब्द, हर उस महिला के लिए बहुत डरावना होता है। जो मां बनना चाहती है। अक्सर हमारे मिलने-जुलने वाले या फिल्म व सीरियल में दिखाया जाता है। कि अगर बिल्डिंग हो गई। तो इसका मतलब गर्भपात हो गया। अगर किसी महिला के vagina से खून आने लगे। तो इसका मतलब, उसका गर्भ गिर गया है।

लेकिन यह हमेशा सच नहीं होता। प्रेगनेंसी के दौरान spotting भी होती है। यानी period clot आता है। यह एकदम सामान्य है। तो कैसे पता चलेगा कि गर्भपात हुआ है या normal spotting हो रही है। आप जानेंगी गर्भपात होने के शुरुआती लक्षणों के बारे में। इसे जानकर, आप गर्भपात के खतरे से बच सकती है।

1. यदि प्रेगनेंसी के दौरान, आपको पीठ दर्द की समस्या है। तो इसे नजरअंदाज मत करें। वैसे तो प्रेगनेंसी के दौरान पीठ दर्द की समस्या, अन्य कई कारणों से भी होती है। लेकिन गर्भपात के शुरुआती दिनों में, पीठ दर्द इसका एक लक्षण माना जा सकता है। इसलिए डॉक्टर से सलाह अवश्य लें।

2. प्रेगनेंसी के दौरान स्तनों में ढीलापन का होना भी, गर्भपात की ओर इशारा करता है। सामान गर्भावस्था के दौरान, स्तनों का आकार बढ़ता है। यह tight होने लगते हैं। इसे भी नजरअंदाज नहीं करना चाहिए।

3. पहले होने वाले प्रेगनेंसी के सिम्टम्स धीरे-धीरे दिखाई नही पड़ते हैं। जैसे उल्टी महसूस होना, थकान लगना। यह सब लक्षण दिखाई नहीं देते हैं।

4. योनि से खून के थक्के आना भी, इसका एक लक्षण हो सकता है। इसलिए जल्द से जल्द डॉक्टर से सलाह अवश्य लें।

5. इस दौरान पेट में मरोड़ वाला दर्द उठना। यह दर्द कुछ-कुछ समय में ही उठता है। तो उसे नजरअंदाज मत करें।

6. इस दौरान गर्भ में पल रहे, बच्चे की हलचल कम महसूस होती है। यह भी गर्भपात का लक्षण हो सकता है। क्योंकि  गर्भ में शिशु का अधिक हलचल करना। इस बात का संकेत है कि वह स्वस्थ है।

7. प्रेगनेंसी के दौरान प्रत्येक महिला का  वजन बढ़ता है। वही यदि यह कम हो रहा है। तो भी यह गर्भपात का संकेत है।

8. प्रेगनेंसी के दौरान यदि किसी महिला को अन्य बीमारी जैसे थायराइड या डायबिटीज की शिकायत है। तो भी गर्भपात की संभावना बढ़ जाती है। गर्भवती महिलाओं को शारीरिक रूप से स्वस्थ होना आवश्यक है। क्या आप जानना चाहेंगे : पीसीओडी क्या है। पीसीओडी का घरेलू उपचारइसका फुल फॉर्म, कारण, लक्षण व क्या खाएं और क्या नहीं।

पहले महीने में गर्भपात के लक्षण
Symptoms of miscarriage in the first month

कुछ आंकड़ों के मुताबिक, दुनियाभर में लगभग 20% प्रेगनेंसी। पहली तिमाही में ही miscarriage की ओर चली जाती है। गर्भपात के कारण समाप्त हो जाती है। कई बार तो महिलाओं को, इस बात का एहसास भी नहीं होता। वह प्रेग्नेंट है। फिर शुरुआती हफ्तों में ही, वह अपने बच्चे को खो देती है।

समाज में एक आम धारणा यह भी है कि मां का लापरवाही बरतना। ज्यादा चलने-फिरने या उछलने-कूदने के कारण गर्भपात होता है। लेकिन यह बात सच नहीं है। अगर डॉक्टर की माने, तो गर्भपात कई कारण हो सकता है। जिसे आप कुछ सामान्य संकेत व लक्षणों से भी समझ सकते हैं।

1. अगर प्रेगनेंसी के शुरुआती दिनों में, आपको bleeding हो। तो इसका मतलब  गर्भपात ही हो। ऐसा जरूरी नहीं है। आमतौर पर, शुरुआती दिनों में हल्की bleeding होना सामान्य होता है। लेकिन जब आपको spotting या clotting के साथ, ज्यादा bleeding हो।

Bleeding के दौरान blood का रंग भूरा या गहरा लाल हो। इसके साथ ही अगर पेट के निचले हिस्से में दर्द भी होता है। दो-तीन दिन से ज्यादा ब्लीडिंग हो रही है। तो इन हालातों में आपको तुरंत डॉक्टर के पास जाना चाहिए।

2. महिलाओं को प्रेगनेंसी के दौरान, पेल्विक एरिया के आसपास हल्का-सा दबाव लगने लगता है। यह प्रसव से पहले होने वाले, प्रसव पीड़ा जैसा भी हो सकता है। लेकिन शुरुआती महीनों में, इस तरह का contraction नहीं होना चाहिए। ऐसा होना भी, गर्भपात का संकेत हो सकता है।

3. कई बार आधा गर्भपात हो जाता है। आधा बेबी गर्भ के अंदर ही रह जाता है। ऐसे में पूरा गर्भपात डॉक्टर से करवाना जरूरी है। अन्यथा आपकी सेहत को काफी नुकसान पहुंच सकता है। क्या आप जानना चाहेंगे : गिलोय के औषधि गुण, फायदे व नुकसानकैसे करें इसका उपयोग, सम्पूर्ण जानकारी।

गर्भपात होने के कारण
Reason for Miscarriage

महिलाओं में गर्भपात मुख्य तीन कारणों से होता है। इनमें सबसे पहला है, लाइफस्टाइल की वजह से। दूसरा कारण है, खानपान की वजह से। तीसरा कारण होता है, मेडिकल व genetical कारणों की वजह से। इन सभी कारणों को ठीक से समझते हैं।

लाइफस्टाइल की वजह प्रेगनेंसी के दौरान लाइफस्टाइल एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। अगर आपका लाइफस्टाइल प्रेगनेंसी से पहले जैसा था। यदि वैसा ही बाद में भी रहा।

तो गर्भपात का खतरा बढ़ जाता है। आजकल महिलाएं घर और ऑफिस दोनों का काम करती हैं। ऐसे मे उनका लाइफस्टाइल बहुत tension वाला हो जाता है। जिसकी वजह से गर्भपात हो जाता है।

खानपान की वजह महिलाओं के खानपान की वजह से भी, उनका मिसकैरेज हो जाता है। जैसे कि काम के चलते, महिलाएं थकावट महसूस करती है। जिसके लिए वह कॉफी का सहारा लेती है।

कॉफी में कैफीन की मात्रा बहुत ज्यादा होती है। यह भी एक कारण गर्भपात होने का होता है। ऐसे में आपको किसी भी प्रकार की चाय, कॉफी, कोल्ड ड्रिंक इन सबको पीना छोड़ देना चाहिए। अगर आप smoking करती हैं। तो वह भी छोड़ दें।

मेडिकल और जेनेटिकल कारणों की वजह महिलाओं को प्रेगनेंसी conceive करने से पहले पता ही नहीं होता। उनकी थायराइड का लेवल क्या है। ऐसे में अगर उनके थायराइड का लेबल बढ़ा हुआ है। तो  गर्भाशय पर दबाव पड़ता है। जिसकी वजह से मिसकैरेज हो जाता है।

वहीं अगर थायराइड का लेवल कम होगा। तो endometrium की line इतनी मोटी नहीं हो पाती। जिसकी वजह से embryo इस पर चिपक सके। इसकी वजह से भी गर्भपात हो जाता है। इसके अलावा कुछ जेनेटिकल कारणों से भी गर्भपात हो जाता है। कई बार महिलाएं खांसी-जुकाम होने पर, ऐसी दवाइयां खा लेती हैं। जिसकी वजह से भी गर्भपात हो जाता है। क्या आप जानना चाहेंगे : गठिया रोग की पहचान। गठिया के लक्षण व प्रकार। गठिया को जड़ से खत्म करने के उपाय

गर्भपात के बाद गर्भाशय की सफाई
Uterus Cleaning After Miscarriage

गर्भपात होने के बाद, महिला को bleeding होने लगती है। जो एक सामान्य बात है। इसमें घबराने जैसी कोई बात नहीं है। अधिकतर मामलों में, यह bleeding  10 दिनों तक चलती है। वहीं कुछ मामलों में, यह 45 दिनों तक हो सकती है। इसका मतलब यह नहीं कि यह 10 दिनों या 45 दिनों तक होगी। यह समस्या 10 दिन से लेकर 45 दिन तक रह सकती है।

लेकिन अधिकतर मामलों में, यह 10 दिन के बाद, धीरे-धीरे समाप्त हो जाती है। कुछ critical मामलों में, यह समस्या 45 दिनों तक जा सकती है। अधिकतर मामलों में यह पाया जाता है कि गर्भपात जितना early stage में हो जाता है। तो bleeding भी उतनी जल्दी समाप्त हो जाती है।

वही ज्यादा दिनों के गर्भपात में, यह bleeding ज्यादा दिनों तक रह सकती है। बस महिला को इस बात का ध्यान रखना चाहिए। कि उसे किसी प्रकार का संक्रमण नहीं हो। उसे अपनी सफाई का विशेष ध्यान रखना चाहिए।

अगर प्रारंभिक अवस्था में गर्भपात हो गया है। तो इस condition में, पीरियड्स लगभग 15 दिनों तक ही जाते हैं। अगर इससे ऊपर पीरियड्स जा रहे हैं। तो एक बार डॉक्टर से अवश्य सलाह लेनी चाहिए। गर्भपात के बाद, सफाई की क्यों आवश्यकता होती है।

गर्भपात जितनी देर से होता है। उतनी ही ज्यादा, इस बात की संभावना होती है। कि आपके गर्भ की सफाई करवाई जाए। कम दिनों के गर्भपात में भी सुरक्षा की दृष्टि सफाई आवश्यक होती है। अगर आप आगे भी conceive करना चाहती हैं। अगर आप किसी भी प्रकार के संभावित संक्रमण से बचना चाहती हैं। तो गर्भाशय की सफाई आवश्यक होती है।

यह भी जरूरी नहीं है कि हमेशा संक्रमण हो। लेकिन सावधानी के तौर पर, आपको सफाई करवाना ठीक होता है। ताकि आप आगे अच्छे से conceive कर सकें। साथ ही स्वस्थ रह सकें। कभी-कभी महिला के गर्भाशय में भ्रूण का कुछ हिस्सा रह जाता है। जिससे महिला संक्रमण का शिकार हो जाती है। इसी वजह से संक्रमण भी पनपने लगता है।

महिला को एक-दो महीने तक, पेट में दर्द की समस्या या दूसरे प्रकार की समस्याएं नजर आने लगती है। इसलिए सफाई एक ऐसा रास्ता है। जिससे यह निश्चित हो जाता है। कि आगे आपको कोई समस्या नहीं होगी। इसके साथ ही कभी-कभी महिलाएं, अनचाही प्रेगनेंसी को समाप्त करने के लिए।

कुछ दवाइयों का प्रयोग करती हैं। इसमें भी कभी-कभी कुछ अंश गर्भाशय में रह जाता है। तब भी महिला संक्रमण का शिकार हो सकती हैं। इसलिए संभावित परेशानी को से बचने के लिए, गर्भाशय की सफाई आवश्यक हो जाती है। क्या आप जानना चाहेंगे : कब्ज का परमानेंट इलाज पुरानी कब्ज के लक्षण। कब्ज के नुकसान। बदहजमी का घरेलू इलाज। कब्जियत के घरेलू उपाय।

गर्भाशय की सफाई का घरेलू उपाय
Home Remedy For Uterus Cleaning

गर्भाशय की सफाई घर में की जा सकती है। यह ऐसी सफाई नहीं है। जो सर्जिकल तरीके से डॉक्टर द्वारा की जाती है। इस सफाई से inflammation कम होता है। Muscle मजबूत होती है। infection खत्म होता है। ढेर सारे antioxidant मिलते हैं।

लिवर डिटॉक्स होता है। इससे यूट्रस की functioning अच्छी हो जाती है। यह मजबूत हो जाता है। जिससे गर्भ धारण करना सरल हो जाता है। यह एक ऐसी ड्रिंक है। जिसे आप घर पर ही बना सकते हैं। इसमें घर में प्रयोग की जाने वाली 3 चीजों का इस्तेमाल किया जाता है।

Adenomyosis यानी गर्भाशय में सूजन होना। आकार बढ़ जाना। बॉडी में inflammation रहना। अगर पीसीओडी की समस्या है। पीरियड्स अच्छे नहीं होते। वाइट डिस्चार्ज की समस्या है। इन सबके लिए, यह ड्रिंक लाभकारी सिद्ध होगा। इसे आप हर दिन ले सकते हैं। पीरियड्स के साथ या पीरियड के बाद, 5 से 7 दिन तक प्रयोग करें।

इसके लिए आपको गुनगुना पानी लेना है। इसमें चौथाई चम्मच आमा हल्दी  मिला ले। अब इसमें एक चम्मच शहद व आधा नींबू का रस मिला लें। अब इसे अच्छे से मिलाए। इसे आपको खाली पेट धीरे-धीरे sip करके पीना चाहिए। यह आपको एनर्जी व विटामिन्स देगा।

यह आपके लीवर को भी साफ कर  देगा। हारमोंस को बैलेंस करेगा। Inflammation को ठीक करेगा। मेटाबॉलिज्म को boost करेगा। Infection से बचाएगा। आपकी immunity को बढ़ा देगा। Urine से संबंधित infection, आपको बार-बार नहीं होंगे। इन सबके साथ ही, आपके यूट्रस के बीच सफाई हो जाएगी।

Disclaimer      
लेख में सुझाए गए tips और सलाह केवल सामान्य जानकारी प्रदान करते हैं। इन्हें आजमाने से पहले, किसी विशेषज्ञ अथवा चिकित्सक से सलाह जरूर लें। myhealthguru इसके लिए उत्तरदायी नहीं है।

Leave a Comment

Translate »