Eosinophilia in Hindi | इस्नोफीलिया क्यों होता है | लक्षण व घरेलू इलाज

Eosinophilia in Hindi – इस्नोफीलिया क्यों होता है, क्या है, कितना होना चाहिए, लक्षण, कौन सा फल खाना चाहिए व घरेलू इलाज।

Eosinophilia बीमारी का संबंध, हमारे खून से होता है। हमारे खून में लाल रक्त कणिकाएं (RBC) श्वेत रक्त कणिकाएं (WBC) व प्लेटलेट पाए जाते हैं। Eosinophilia का संबंध eosinophil से होता है। जो श्वेत रक्त कणिकाओं का ही, एक हिस्सा होती है। Eosinophils श्वेत रक्त कणिकाओं में पाए जाते हैं। जो रोगों से लड़ने में हमारी मदद करते हैं।

वैसे कहा जाए, तो Eosinophilia कोई बीमारी नहीं है। बल्कि Eosinophils का बढ़ जाना, एक indicator है। जो हमें बताता है कि हमारे शरीर में कुछ न कुछ infection हो रहा है। इस infection होने की वजह से या फिर अन्य किसी allergic response होने की वजह से eosinophils count बढ़ जाता है।

Eosinophils हमारे शरीर में बीमारियों के खिलाफ, लड़ने वाले White Blood Cell (WBC) का एक प्रकार है। Eosinophils को acidophils भी कहा जाता है। वहीं इसे Eosinophiles भी कहा जाता है। Eosinophils हमारे बोन मैरो में बनते हैं। ये 8 दिनों तक हमारे बोनमैरो में रहते हैं।

ये बोन मैरो में mature होते हैं। इसके बाद, ये हमारे blood circulation में पहुंच जाते हैं। Eosinophils हमारे शरीर में, उस खुराख को टारगेट करते हैं। जो हमारी एलर्जी के कारण बनते हैं। इसके अलावा, अगर हमारे शरीर में Parasites आ जाते हैं। तो उसके खिलाफ भी attack करते हैं।

या फिर airborne allergens, अगर हमारे शरीर में आ आते हैं। तो उसके खिलाफ भी attack करते हैं। यह शरीर के उस हिस्से में पहुंचते हैं। जहां पर खराबी होती है। वहां जाकर यह मुकाबला करते हैं। फिर उसे खत्म करने की कोशिश करते हैं।

Eosinophils अगर खून में हो। तो इसका जीवन 18 घंटे का होता है। अगर यही Eosinophils हमारे tissues में हो। तो इनका जीवन 6 दिनों का होता है। क्या आप जानना चाहेंगे : हल्दी के फायदे। हल्दी दूध के फायदेदूध में हल्दी के नुकसान।

Eosinophilia in Hindi

इस्नोफीलिया की संरचना

Eosinophils में एक nucleus पाया जाता है। यह bilobed कोशिकाएं होती हैं। यानी कि इसमें 2 lobed पाए जाते हैं। यह glasses की तरह नजर आते है। Eosinophils के साइटोप्लाज्म में, लगभग 200 ग्रेन्यूल्स होते हैं। जिनमें प्रोटींस और एंजाइम पाया जाता है। जिनका अपना अलग-अलग function होता है। Eosinophils का diameter 10 से 16 माइक्रोमीटर तक होता है।

Eosinophilia in Hindi
इस्नोफीलिया की जांच कैसे होती है

 Eosinophilia की जांच के लिए, हमें कुछ पैथोलॉजिकल टेस्ट करवाने होते हैं। जिनमें आप CBC Blood Test करवा सकते हैं। TLC व DLC करवाने पर, Eosinophils count मिल जाते हैं। इनके अलावा आप Absolute Eosinophils Count (AEC) से ज्यादा अच्छे  Eosinophils count के result पा सकते हैं।

Blood Test करवाने से पहले, किसी विशेष सावधानी की जरूरत नहीं होती है। 24 घंटे में, आप कभी भी ब्लड टेस्ट करवा सकते हैं। बस इस बात का आपको ध्यान रखना है। कि कुछ मेडिसिन Eosinophils count को बढ़ा या घटा देती है। जैसे स्ट्राइड आदि। 

वही सुबह के समय, Eosinophils count की संख्या ज्यादा होती है। जबकि रात के समय, Eosinophils count कम हो जाते हैं। क्या आप जानना चाहेंगे : अस्थमा पूरी तरह से ठीक हो सकता हैइसके कारण लक्षण बचाव व घरेलू उपचार के बारे में।

Eosinophilia in Hindi
एलर्जी की जांच

जब किसी के शरीर में allergic reaction  होते है। तो उसे Eosinophilia होता ही है। यह केवल एक medical condition है। ऐसे में allergy के investigation के लिए, step by step कुछ टेस्ट जरूरी हो जाते हैं। 

Step 1- CBC with E.S.R

Step 2 – Absolute Eosinophils Count (AEC)

Step 3 – Total Immunoglobulin E (IgE)

Step 4 – Complete Allergic Profile

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इस्नोफीलिया बढ़ने से क्या होता है

इस्नोफीलिया होने पर, हमारे रक्त में Eosinophils की संख्या सामान्य से बढ़ जाती है। सामान्यतया हमारे ब्लड में, Eosinophils की संख्या 500 cells/ microliter से कम होती है। अगर किसी व्यक्ति में Eosinophils की संख्या 500 cells/ microliter से ज्यादा आ रही है। तो उन्हें इस्नोफीलिया की समस्या हो सकती है। 

इसे ऐसे भी समझा जा सकता है कि eosinophils की normal range 1 – 6% के बीच मे होती है। लेकिन जब भी किसी को पैरासाइटिक या एलर्जी इंफेक्शन  होता है। तो इसकी संख्या बढ़ जाती है। किसी व्यक्ति में अगर Eosinophils का  लेबल बढ़ जाता है। तो उसे medical भाषा में इस्नोफीलिया कहा जाता है। इसे भी तीन भागों में बांटा गया है। जो इस प्रकार हैं।

Mild Eosinophilia जब किसी व्यक्ति में Eosinophils की संख्या 500 से 1500 के बीच में होती है। तो ऐसे Mild Eosinophilia कहा जाता है।

Moderate Eosinophilia अगर किसी व्यक्ति में Eosinophils की संख्या 1500 से 5000 के बीच होती है। तो इसे Moderate Eosinophilia कहा जाता है।

Severe Eosinophilia वहीं अगर किसी व्यक्ति में Eosinophils की संख्या  5000 से अधिक हो जाती है। तो इसे Severe Eosinophilia कहा जाता है। क्या आप जानना चाहेंगे : अश्वगंधा के फायदे पुरुषों के लिएमहिलाओं के लिए अश्वगंधा के लाभ। इस प्रयोग करने का तरीका व इसके नुकसान।

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इस्नोफीलिया कितना होना चाहिए

अगर किसी व्यक्ति को, किसी भी प्रकार का infection हो गया है। चाहे वह बैक्टीरियल, वायरल या पैरासाइट इंफेक्शन हो। तो ऐसे में भी infection होने के कारण, शरीर में Eosinophils की संख्या बढ़ जाती है। 

इसके अलावा अगर किसी व्यक्ति में  ऑटोइम्यून डिजीज है। चाहे वह Rheumatoid arthritis हो। चाहे Inflammatory bowel disease हो या फिर Pernicious anemia हो। ऐसे में भी Eosinophils count बढ़ जाता है।

Asthma जब कभी किसी व्यक्ति को अस्थमा होता है। यानी श्वास सम्बंधित रोग हो जाता है। तब इनकी संख्या बढ़ जाती है।

Eczema जब किसी व्यक्ति को एग्जिमा यानी कि चर्म रोग होता है। व्यक्ति के शरीर पर या त्वचा पर लाल रंग के छोटे-छोटे दाने पड़ जाते हैं। तब भी Eosinophils अपनी नार्मल रेंज बढ़ जाते हैं।

Hedge Fiver अगर किसी व्यक्ति को एलर्जी डिजीज है। इस condition में भी Eosinophils की संख्या बढ़ जाती है।

Leukemia अगर किसी व्यक्ति को leukemia यानी कि blood cancer  हुआ है। तो इसमें भी Eosinophils की संख्या असामान्य रूप बढ़ जाती है।

 कभी-कभी Eosinophils की संख्या कम भी हो जाती है। लेकिन ऐसा बहुत कम परिस्थितियों में देखने को मिलता है। जब Eosinophils की संख्या कम हो जाती है। 

इसका मुख्य कारण यह है कि जब किसी व्यक्ति को Alcohol Toxidation होता है। या कोई व्यक्ति ज्यादा मात्रा में Steroid का सेवन करता है। तभी उसमें Eosinophils की संख्या कम होती है। क्या आप जानना चाहेंगे : सर्वाइकल का रामबाण उपचारइसके कारण, लक्षण व घरेलू उपचार के बारे में।

Eosinophilia Symptoms in Hindi

Eosinophilia होने पर, आपके शरीर में कुछ लक्षण दिखाई पड़ने लगते हैं। जो कि संकेत मात्र होते हैं। इसको लेकर panic होने की जरूरत नहीं है। बल्कि इसका उचित treatment जरूरी है।

● जब भी Eosinophils count बढ़ते हैं। तो आपको Allergic rhinitis हो सकता है। यानी सुबह-सुबह उठकर छीकें आने की समस्या हो सकती है। या फिर अस्थमा की शिकायत बढ़ जाती है।

● कई बार fever के आने की शिकायत भी होती है।

● अचानक से शरीर में खुजली होने लगती है। इसके बाद छोटे-छोटे दाने हो जाते हैं। या फिर बड़े से दाने या फफोले पड़ जाते है। जिसे पित्ती उछलना भी कहा जाता है।

● किसी को छीकें बहुत ज्यादा आती है। आंख व नाक से बहुत ज्यादा पानी आने लगता है।

● खांसी बहुत ज्यादा आती है। सूखी खांसी भी हो सकती है।

● इसमें रोगी को अचानक डायरिया भी हो सकता है। अचानक पेट में बहुत दर्द भी हो सकता है। जिसके पीछे कोई कारण नहीं होता है।

● अगर कोई भी sudden reaction हो रहा है। जिसके पीछे कोई reason नहीं है। यह सब किसी allergens की वजह से हो सकता है।

● इसमें hypersensitive हो जाती है। सांस लेने में तकलीफ होती है।

● यह normal allergy से कुछ अलग होती है। इसमें कफ को discharge करने में थोड़ा दर्द होता है। गले के चारों तरफ गरम महसूस होने लगता है।

● Eosinophils count बढ़ने पर inflammation बहुत ज्यादा देखने को मिलती है। Inflammation बढ़ना भी, एक साइन होता है। आपकी body के difference mechanism का। इसका बस यही नुकसान होता है। कि वहां के tissues damage हो जाते हैं।

इस्नोफीलिया को नियंत्रित करने की टिप्स

जब आपकी body ने Oversensitive reaction दिखाना शुरू किया। इसी वजह से Eosinophils count आपका बढ़ गया। यहां पर allergic reaction से बचने का तरीका है। सही समय पर, सही डायग्नोसिस के लिए, सही investigation  होनी चाहिए।

Investigation के आधार पर, जिस चीज से आपको परेशानी हो रही है। यह पता करना जरूरी है। जब पता चल जाए। तो उसे पूर्णरूप से avoid करना जरूरी है। अगर हमें नहीं पता है कि हमें किस चीज से allergy है। तो कुछ चीजों को avoid करना जरूरी है।

● हमारे यहां धूल मिट्टी से 70% लोगों को परेशानी होती है। तो इससे बचने की कोशिश करिए।

● दूसरे कारण में बाजार से लाई जाने वाली सब्जियां हैं। जिनमें chemicals का प्रयोग किया जाता है। इसके लिए सबसे अच्छा तरीका है। कि सब्जियों को लाने के बाद, आधे घंटे की पानी में भिगो कर रखें। उसके बाद ही इसे इस्तेमाल करें।

● अगर आप भैंस या गाय का दूध पीते हैं। तो इस बात का ध्यान रखे कि डेरी में उन पशुओं को ऑक्सीटॉसिन का इंजेक्शन तो नहीं लग रहा है। जिसकी वजह से आपकी बॉडी में ज्यादा allergic reaction होगा।

● डिब्बाबंद खाने-पीने की चीजें, यहां तक की packed आटे को भी avoid कीजिए। इसकी जगह आपको whole grain meals लेना चाहिए।

● आपको seasonal fruits जरूर खाने चाहिए। Juice जरूर लेने चाहिए। क्या आप जानना चाहेंगे : महिलाओं के लिए अलसी के फायदेपुरुषों के लिए अलसी के फायदे। अलसी के फायदे बालों के लिए, भुनी अलसी के फायदे।

Eosinophilia in Hindi
इस्नोफीलिया का घरेलू इलाज

● अगर आपको श्वास से संबंधित किसी भी प्रकार की एलर्जी है। तो इसके लिए 100 ग्राम बादाम, 20 ग्राम काली मिर्च व 50 ग्राम खांड को मिलाकर। चूर्ण बना ले। इसे आपको 5 से 7 ग्राम या एक छोटा चम्मच रात में दूध के साथ ले।

इससे नजला, सर्दी, जुकाम, कफ, एलर्जी व खांसी दूर हो जाती है।8 इसके अलावा ऐसे भी 5-7 बादाम, 2-3 काली मिर्च लेने से, एलर्जी की समस्या दूर हो जाती है।

● एलर्जी की समस्या के लिए, आप गिलोय की दो-दो गोलियां ले। इसके साथ ही श्वासारि क्वाथ लेने से, इस समस्या से छुटकारा पाया जा सकता है। यह किसी भी तरह की एलर्जी के लिए कारगर औषधि है। इसको लेने से, आपको पहले दिन से ही आराम मिलेगा। 10-15 दिनों में तो पुराने से पुराने एलर्जी, जुकाम, सर्दी, ब्रोंकाइटिस व अस्थमा जैसी गम्भीर समस्या से छुटकारा मिलेगा।

● आप एलर्जी के लिए दूध में हल्दी या शिलाजीत का भी सेवन कर सकते है। इसके साथ आपको प्राणायाम जरूर करना चाहिए। इससे आपका respiratory system अच्छा होगा। तब आपको श्वास से संबंधी, किसी भी प्रकार की एलर्जी नहीं होगी।

● Skin की एलर्जी के लिए, एलोवेरा सबसे बेस्ट माना जाता है। आपको कितनी भी ज्यादा खुजली हो रही है। शरीर में दाग धब्बे हो रहे हैं। तो एलोवेरा सबसे कारगर औषधि है। इसके लिए आप एलोवेरा जूस का प्रयोग कर सकते हैं। Skin की एलर्जी के लिए, आप कायाकल्प क्वाथ व नीम और गिलोय की गोली भी खा सकते हैं।

● Eosinophilia या किसी भी प्रकार की एलर्जी के लिए, देसी गाय का घी सबसे उपयोगी होता है। इसके लिए आप गाय के घी की एक-एक बूंद दोनों नाक में सोते समय डालें। गाय के घी को हल्का गुनगुना करके डालें।

10 से 15 दिन डालने के बाद, इससे श्वास के द्वारा अंदर की ओर खींचे। इससे आपकी पुरानी से पुरानी Eosinophilia व  एलर्जी की समस्या दूर हो जाती है। इसके साथ ही, यह आपको अच्छी नींद लाने में भी मदद करता है। यह खर्राटे आने, नकसीर फूटने व साइनस से भी निजात दिलाता है। नाक में मांस बढ़ गया है। उसे भी ठीक करता है।

इसका प्रयोग आप कम से कम 15 दिन वह अधिक से अधिक 3 महीने तक कर सकते हैं। इसके कोई side effect देखने को नही मिलता हैं। बल्कि यह श्वास संबंधी रोगों के अलावा, शरीर में ब्लॉकेज की समस्या व ब्रेन की समस्या में भी फायदेमंद है। यह आपके अंदर जमे हुए, बलगम को बाहर कर देता है।

● Eosinophilia की शिकायत होने पर पानी अधिक मात्रा में पीना चाहिए। इससे आपका शरीर हाइड्रेट रहेगा और टॉक्सिंस को जमा नहीं होने देगा। आप एक गिलास पानी में, एक चम्मच प्याज का रस मिलाकर भी सेवन कर सकते हैं।

● Eosinophilia की समस्या में, आप एक चम्मच बटर को, एक पैन में गर्म कर लें। जैसे ही बटर पिघलने लगे। तो उसमें आधा चम्मच हल्दी और आधा चम्मच सोंठ का पाउडर डाल दे। जब यह थोड़ा पकने लगे। यानी इसका रंग बदलने लगे।

तब इसमें 1 से 3/2 कप दूध डाल दें। दूध के गर्म होते ही, उसे गैस से उतार लें। अब इसमें एक बूंद नीलगिरी का तेल डाल दें। इस दूध का गरम-गरम ही सेवन करें। इससे आपको Eosinophilia में आराम मिलना शुरू हो जाएगा।

Disclaimer

     लेख में सुझाए गए tips और सलाह केवल सामान्य जानकारी प्रदान करते हैं। इन्हें आजमाने से पहले, किसी विशेषज्ञ अथवा चिकित्सक से सलाह जरूर लें। myhealthguru इसके लिए उत्तरदायी नहीं है।

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