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अस्थमा पूरी तरह से ठीक हो सकता है - अस्थमा की देशी दवा
Asthma ka Ilaaj - Asthma Remedy at Home
अस्थमा सांस से जुड़ी एक ऐसी बीमारी होती है। जिसमें सांस लेने में तकलीफ होती है। इसे हम सभी दमा के नाम से भी जानते हैं। इसके साथ ही एक कहावत प्रचलित है कि दमा, दम के साथ ही जाता है। यानी कि इसका कोई इलाज नहीं है। लेकिन आज इसका इलाज संभव है। अस्थमा को श्वास रोग भी कहा जाता है।
अस्थमा श्वास की नलिकाओं की एक बीमारी है। जिसमें श्वास की नलियाँ अस्थाई रूप से सिकुड़ जाती हैं। इसके साथ-साथ इन नलियों के अंदर, कुछ ऐसे परिवर्तन हो जाते हैं। जिसकी वजह से नलियों के अंदर की ल्यूमेन चेंज हो जाती है। यह अंदर से सूख जाती है।
ल्यूमेन कम होने के कारण, श्वास जब अंदर जाती है। तो रुकावट महसूस होती है। जिसकी वजह से रोगी को खांसी, सीने में जकड़न या सांस लेने में कठिनाई जैसी समस्या होती है।

अस्थमा क्या है
What is Asthma in Hindi
अस्थमा को ब्रोंकाइल अस्थमा भी कहा जाता है। अस्थमा एक chronic condition है। मतलब यह condition पेशेंट के साथ, life long रह सकती है। जो मेडिसिन से कम हो जाती है। अस्थमा में पेशेंट के, respiratory system का जो air passage होता है। वह effect हो जाता है। जिस passage से lungs को ऑक्सीजन की supply होती है। उसमें swelling आ जाती है।
जब वह संकरी हो जाती है। तब उसमें ऑक्सीजन सप्लाई होने में, बाधा आने लगती है। जिससे air supply उचित रूप से नहीं हो पाती है। इस कारण पेशेंट को मिलने वाली ऑक्सीजन की मात्रा कम हो जाती है। Normally, हम प्रत्येक बार श्वसन क्रिया में air को मुंह या नाक से अंदर लेते हैं।
यह air हमारे lungs में, उपस्थित छोटे-छोटे वायु कोष पहुंचती है। जिसे alveoli कहा जाता है। यहीं से इस air से, ऑक्सीजन को absorb करके, blood stream में भेजा जाता है। यह एक सामान्य प्रक्रिया होती है। लेकिन जब इस एयरवेज में कुछ समस्या हो जाती है। तो यहां के muscles अगर tight हो जाते हैं। तब पेशेंट में, अस्थमा के symptoms दिखाई देना शुरू हो जाते हैं।
अस्थमा क्यों होता है
Asthma Causes in Hindi
अस्थमा किसी भी उम्र में हो सकता है। लेकिन अगर किसी को, किसी चीज से एलर्जी है। इसके अलावा अगर कोई tobacco smoker है। तो उन्हें अस्थमा होने के ज्यादा संभावनाएं होती हैं। इन कारणों के अलावा कुछ और भी कारण हो सकते हैं। जैसे कि
1.Environmental Factor पर्यावरणीय कारणों से भी अस्थमा हो सकता है। जैसे कि pollution, dust या cold weather के कारण भी अस्थमा हो सकता है। इन सभी Environmental Factor के कारण किसी को भी अस्थमा अटैक हो सकता है।
2.Genetics अस्थमा होने का एक कारण यह भी है। अगर किसी की फैमिली हिस्ट्री अस्थमा की रही है। तो उसमें भी अस्थमा होने की संभावनाएं बढ़ जाती है।
3.Respiratory Infection एक कारण यह भी हो सकता है कि अगर किसी को श्वसन प्रणाली में, किसी भी तरह का इंफेक्शन है। तो उसे भी अस्थमा की शिकायत हो सकती है।
अस्थमा के लक्षण
Asthma Symptoms in Hindi
बदलते मौसम में, हमारी शरीर की इम्यूनिटी में बहुत सारे बदलाव होते हैं। ऐसे मौसम में अस्थमा के मरीजों को, सांस लेने में तकलीफ होती है। इसके साथ ही जुखाम व कफ की शिकायत भी हो जाती है। ऐसे में कैसे पहचाने कि किसी भी व्यक्ति को अस्थमा की शिकायत है या नहीं। इसके लिए कुछ बिंदु दिए गए हैं। जिन पर ध्यान दें।
1. Wheezing – सांस लेते समय एक निश्चित तरह की आवाज आती है। जिसे हम घरघराहट भी बोल सकते हैं।
2. Coughing – रात में ही रोगी को कफ आने लगता है। जिसके कारण खांसी भी हो सकती है।
3. Shortness of Breath – यह रोगी के लिए एक असहज स्थिति होती है। जिसमें सांस लेने में परेशानी होती है।
4. Tachycardia – अस्थमा होने की स्थिति में रोगी के हृदय की धड़कन तेज हो जाती है।
5. Pale and Wet Skin – अस्थमा होने की स्थिति में, शरीर की त्वचा के रंग में पीलापन व चिपचिपाहट होने लगती है।
6. Rapid Breathing – ऐसी स्थिति में श्वास तेजी से चलने लगती है। शरीर में श्वास लेने में, हफन सी महसूस होने लगती है।
7. Chest Tightness – अस्थमा होने की स्थिति में सीने में जकड़न सी महसूस होने लगती है।
अस्थमा की जांच
Differential Diagnosis of Asthma
अस्थमा की जांच करने के लिए डॉक्टर विभिन्न चरणों का पालन करते हैं जिनमें कुछ इस प्रकार हैं
Medical History अस्थमा के रोगी का इलाज करने से पहले डॉक्टर उसकी Medical History के आधार पर तय करते हैं। कहीं उसके परिवार में कोई दमा मरीज तो नहीं रहा है। इसके साथ रोगी में अस्थमा के लक्षण को भी देखेंगे।
Spirometry इस टेस्ट में रोगी का एयर फ्लो चेक किया जाता है। स्पायरोमेट्री टेस्ट के द्वारा रोगी को मुंह में पाइप लगाकर, फूंकने के लिए कहा जाता है। यह टेस्ट के द्वारा फेफड़े से हवा के प्रभाव को मापा जाता है।
Chest X-ray इन सबके अतिरिक्त रोगी को एक्स-रे के लिए भी बोला जा सकता है। जिससे यह स्पष्ट होता है कि रोगी के फेफड़ों की वास्तविक स्थिति क्या है। कहीं वह किसी प्रकार के संक्रमण से ग्रसित तो नहीं है। इसके साथ ही blood test व skin test भी करवाया जा सकता है।
अस्थमा के लिए आहार
Diet for Asthma
यदि आप अस्थमा या दमा जैसी बीमारी से ग्रसित हैं। तो इसमें आपके खानपान की अहम भूमिका होती है। कुछ खाद्य पदार्थों के सेवन से दमा उभरता है। तो वहीं कुछ खाने की चीजों से दमे को शांत किया जा सकता है।
1. अस्थमा के रोगियों को विटामिन सी से भरपूर चीजों का सेवन करना चाहिए। क्योंकि विटामिन सी में एंटीऑक्सीडेंट भरपूर मात्रा में पाया जाता है। जो फेफड़ों की सुरक्षा करने में सहायक होता है। आपको तरबूज, पपीता, अंगूर, आंवला, अनार, सेब, संतरा और नींबू जैसे खाद्य पदार्थों का ज्यादा सेवन करना चाहिए।
2. बीटा कैरोटीन अस्थमा के रोगियों के लिए, बहुत फायदेमंद होता है। गाजर में बीटा कैरोटीन भरपूर मात्रा में पाया जाता है। इसके अलावा यह चेरी, खुमानी, हरी मिर्च और शिमला मिर्च में भी पाया जाता है। इसके साथ ही शकरकंद खाना भी लाभकारी होता है।
3. फेफड़ों के लिए, हरी सब्जियां काफी फायदेमंद होती है। हरी सब्जियों को खाने से फेफड़ों में कफ़ जमा नहीं हो पाता। जिसके कारण, अस्थमा के रोगियों को अटैक आने जैसी समस्या नहीं होती है।
4. प्रोटीन से भरपूर काला चना, सोयाबीन, मूंग दाल व कई ऐसी दालें भी होती हैं। जो स्वास्थ्य के लिए लाभदायक हो सकती है। यह फेफड़ों के लिए, अच्छी मानी जाती है। इसलिए दमा या अस्थमा के मरीजों को, उनका सेवन नियमित करना चाहिए।
5. सहजन की फलियों का अधिक उपयोग करना चाहिए। आप इन फलियों का सूप व सब्जी बनाकर खा सकते हैं।
अस्थमा में क्या नहीं खाना चाहिए
कुछ खाद्य पदार्थ ऐसे होते हैं। जिनका सेवन दमा या अस्थमा के मरीजों को नहीं करना चाहिए।
1. दमा के मरीजों को मूंगफली का सेवन नहीं करना चाहिए। क्योंकि इससे खांसी और सांस फूलने की समस्या ज्यादा हो सकती है।
2. अस्थमा के मरीजों को खाने में, ज्यादा नमक का उपयोग नहीं करना चाहिए। क्योंकि ज्यादा नमक के प्रयोग से, अस्थमा अटैक का खतरा होता है।
3. अस्थमा के मरीजों को प्रोसैस्ड फूड खाने से बचना चाहिए। क्योंकि इसमें preservatives और artificial coloring होती है। जो फेफड़ों की सूजन को बढ़ा सकती है। इसलिए आपको बाहर चीजों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।
4. अस्थमा के रोगियों को कफ़वर्धक चीजों से परहेज रखना चाहिए। यानी कि उन्हें अधिक चिकनाई वाली चीजें व दूध से बनी चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए।
5. ऐसी चीजों का भी उपयोग नहीं करना चाहिए। जो शरीर में खुश्की पैदा करती हैं। इसलिए बहुत ज्यादा ठंडा पानी, आइसक्रीम व कोल्डड्रिंक्स नहीं पीनी चाहिए।
अस्थमा की देशी दवा
Asthma ka Ilaaj
आक की जड़ व अजवाइन – अस्थमा या दमा के रोगी को आक की जड़ लेनी है। इसे कई जगह पर आकड़ा, अकउआ या मदार भी कहा जाता है। इसमें सफेद रंग के फूल होते हैं। जो भगवान शिव को अत्यधिक पसंद है। अस्थमा की दवा बनाने के लिए, आक की जड़ के ऊपरी हिस्से को छिलके को निकाल ले। अब इसे अच्छे से सुखा लें।
अब इसमें समान मात्रा में, आपको अजवाइन लेनी है। दोनों को मिलाकर बारीक पाउडर बना ले। फिर इसमें स्वाद के अनुसार, सेंधा नमक मिला ले। फिर इसकी लगभग 2 मिलीग्राम की मात्रा, सुबह और शाम को गुनगुने पानी के साथ में ले। अगर आपको अस्थमा की शिकायत 15 से 20 साल पुरानी है। तो इसे 2 महीने तक लगातार ले।
अन्यथा 1 महीने में ही, आपको अस्थमा से राहत मिलनी शुरू हो जाएगी। इस बात का ध्यान रखें कि इस दवा को लेने के, 1 घंटे बाद तक किसी भी चीज का सेवन न करें। इसका भी ध्यान रखें कि आपको आक की जड़ का सिर्फ छिलके का इस्तेमाल करना है। न कि इसकी पूरी जड़ का।
गिलोय का उपयोग – इसके लिए आपको गिलोय की ताजी डंठल का उपयोग करना है। गिलोय की ताजी डंठल का, 2 इंच का टुकड़ा लेकर। इसे कद्दूकस कर ले। अब इसे एक कप पानी में उबालें। इस पानी को छानकर, इसमें आधा चम्मच शहद मिला ले। इसका काढ़े का दिन में तीन बार सेवन करें।
हमारे शरीर में तीन प्रकार के द्रव कफ, वात और पित्त पाए जाते हैं। यदि तीनों का बैलेंस नहीं हो। तो हमें विभिन्न प्रकार की बीमारियां हो जाती है। इनमें से वात के बिगड़ने पर, हमें फेफड़ों से संबंधित बीमारियां हो जाती है। वात को बैलेंस रखने के लिए, सबसे कारगर औषधि गिलोय मानी जाती है।
नीलगिरी या लैवेंडर का तेल – नीलगिरी का तेल जिसे eucalyptus oil भी कहा जाता है। यह अस्थमा के मरीजों के लिए लाभदायक होता है। इस तेल की कुछ बूंदे, एक तौलिए में डाल ले। फिर इसे सोते समय, अपने पास रखें। नीलगिरी से निकलने वाली सुगंध व इसमें पाए जाने वाले तत्व फेफड़ों में मौजूद बलगम को तोड़ने में सहायक होते हैं। इससे आपको सांस लेने में मदद मिलती है।
लैवंडर तेल का इस्तेमाल अस्थमा के मरीज कर सकते हैं। इसके लिए पानी को गर्म करें। फिर इसमें लैवंडर तेल की कुछ बूंदे डाल ले। अब इसकी भाप को, आप लेना शुरू करें। रिसर्च में पाया गया है कि लैवंडर के तेल में एंटी इन्फ्लेमेटरी गुण होते हैं। यह अस्थमा के लिए, सबसे अच्छा घरेलू उपचारों में से एक है।
अदरक, लहसुन व शहद – आपको एक कप पानी लेकर, इसे गर्म करना है। जैसे ही पानी में भाप उठने लगे। तो इसमें एक चम्मच ताजा अदरक व एक चम्मच ताजा कूटा हुआ लहसुन डाल ले। अब पानी को उबलने दें। जब पानी उबलने लगे। तो इसे छानकर, अलग कर ले। अब इस गर्म काढ़े में, एक चम्मच शहद डालकर, अच्छे से मिला ले। इसे गुनगुना ही सेवन करें। आप इसे दिन में दो बार ले सकते हैं। यह काढ़ा आपको अस्थमा के प्रभाव को कम करने में मदद करेगा।
पीपल के पेड़ की छाल – अस्थमा के रोगियों के लिए पीपल का पेड़, किसी वरदान से कम नहीं है। इसके लिए पीपल के पेड़ की ऊपर की सूखी छाल को हटाकर, अंदर की गीली छाल का प्रयोग करना है। इस छाल के छोटे-छोटे टुकड़े कर ले। इसे छाया में सुखाएं। अब इस सुखी छाल का बारीक पाउडर बना लें।
किसी भी पूर्णिमा के दिन चावल की खीर बनाएं। इस खीर को चंद्रमा की रोशनी में कम से कम 3 से 4 घंटे के लिए रखें। फिर इसमें 10 से 15 ग्राम छाल के पाउडर को मिलाकर, रोगी को खिलाएं। यह खीर अस्थमा व कफ के रोगियों के लिए, बहुत लाभकारी है। इस खीर को खाने के बाद, रोगी को रात भर सोना नहीं चाहिए। तभी इसके अप्रत्याशित लाभ प्राप्त होंगे।
प्राणायाम के द्वारा – अस्थमा के रोगियों को नियमित प्राणायाम करना चाहिए। अपने फेफड़ों को स्वस्थ रखने के लिए, सबसे पहले आप सीधे खड़े हो जाएं। फिर अपने दोनों हाथों को धीरे-धीरे श्वास भरते हुए, ऊपर की ओर ले जाएं। जब तक आपका शरीर 180° पर न हो जाए।
इस स्थिति में आपको अपनी कमर व सर को पीछे नहीं ले जाना है। बल्कि अपने हाथों को जितना हो सके, उतना पीछे ले जाएं। इस अवस्था में फेफड़ों के निचले हिस्से तक, शुद्ध वायु जाएगी। अब पुनः श्वास को छोड़ते हुए, हाथों को नीचे लाएं। शरीर को ढीला छोड़कर, सामान्य श्वास ले।
इस क्रिया को 5 से 10 बार तक दोहराएं। इसी तरह आप भस्त्रिका, कपाल भारती व अनुलोम-विलोम 5 से 10 बार करें। प्राणायाम करने के लिए, आप किसी योग्य योगगुरु के बताएं, तरीकों को अपनाएं। प्राणायाम एक ऐसी प्रक्रिया है। जिसके द्वारा आप अस्थमा से शीघ्र ही छुटकारा पा सकते हैं।
Disclaimer लेख में सुझाए गए tips और सलाह केवल सामान्य जानकारी प्रदान करते हैं। इन्हें आजमाने से पहले, किसी विशेषज्ञ अथवा चिकित्सक से सलाह जरूर लें। myhealthguru इसके लिए उत्तरदायी नहीं है। |