How to be Healthy and Fit in Hindi| लंबा व स्वस्थ जीवन जीने का रहस्य

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Healthy Lifestyle Tips in Hindi

 अगर आप से कहा जाए कि आप सिर्फ अपना खाना बदलकर। किसी भी बीमारी को जड़ से खत्म कर सकते हैं। तो क्या आपको विश्वास होगा। आपको कोई भी बीमारी क्यों न हो। चाहे वो Diabetes, High Blood Pressure, Thyroid, PCOD, Hair Fall, Joint Pain, Migraine, Cervical ही क्यों न हो।

      अब बस आप अपनी diet को बदल ले। इसे 3 महीने तक follow करें। इसके बाद अपना regular checkup करवाएं। तो आपको वह बीमारी नहीं रहेगी। लेकिन आपको लगेगा। हमारे खाने और बीमारी  का क्या संबंध।

      बीमारी तो दवाई खाने से ठीक होती है। लेकिन आज दुनियाभर में, हजारों लोग दवाइयां छोड़कर। सिर्फ अपनी diet और lifestyle बदलकर, बड़ी से बड़ी बीमारियां ठीक कर रहे हैं।

       नार्वे में हमारी भोजन थाली से गायब होते पोषक तत्वों पर, एक बड़ी study की गई। जो हमें बताती है कि अगर इंसान अपने खानपान में बदलाव करें। पौष्टिक तत्वों का सेवन करें। इसके साथ ही, fast food से उचित दूरी बनाकर रखें। तो वह अपनी उम्र 13 साल तक बढ़ा सकता है।

    कहा जाता है कि जीवन तो क्षणभंगुर है। यानी कुछ ही क्षण में खत्म होने वाला माना जाता है। लेकिन Global Burden of Disease (GBD) की study से पता चलता है। अगर आपका खानपान पौष्टिक है। आप शाकाहारी हैं। तो यही क्षण भर का जीवन, बहुत शानदार और रोगरहित रह सकता है।

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श्रीमद भगवत गीता के अनुसार मनुष्य के व्यवहार
Man's Behavior According to Shrimad Bhagwat Gita

 भगवत गीता में भी मनुष्य के  तीन व्यवहार का वर्णन किया गया है। यह सात्विक, राजसिक और तामसिक प्रवृतियां है।

सात्विक आचरण इसमें मनुष्य में भक्ति और अनुशासन का भाव प्रबल होता है।

राजसिक आचरण इस व्यवहार में मनुष्य के मस्तिष्क पर, लालसा और अति उत्साह का असर बढ़ जाता है।

तामसिक आचरण इस व्यवहार में मनुष्य के अंदर कुंठा व ईर्ष्या जैसी बुराइयां पैदा होती हैं। जो इंसान को अपने वश में कर लेती है।

     इसीलिए भगवत गीता में, कड़वा, खट्टा तला-भुना खाने से परहेज करने को कहा गया है। क्योंकि इनसे तामसिक विचारों को बढ़ावा मिलता है इसलिए इसमें वैदिक उपवास को करने पर बल दिया गया। जिसमें जल, फल, दूध, दही जैसे सात्विक आहार को ग्रहण करने की सलाह दी गई है।

      इसमें यह भी बताया गया है कि सात्विक आहार, शरीर से विषैले पदार्थों को  को बाहर निकालने में मदद करते हैं। इस प्रक्रिया को वेदों में, विषहरण कहा गया है। जिसे अंग्रेजी में detoxification कहा जाता है।

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कैसे जिये एक लंबा व स्वस्थ्य जीवन
How to Live a Long and Healthy Life

  अगर आप ऐसी balanced diet लेते हैं। जिसमें पर्याप्त मात्रा में, colorful vegetable, fruits व salad अच्छे खाते हैं। तो आपकी aging में बढ़ोतरी होती है। यानी आपकी life expectancy लगभग 10 साल के आसपास बढ़ जाती है। खासकर महिलाओं में 10 साल और पुरुषों में 13 साल तक, उनकी age बढ़ जाती है।

       यहां पर लंबा जीना महत्वपूर्ण नहीं है। बल्कि लंबा जीने के साथ-साथ, quality of life कैसी है। अगर आप लंबा जी रहे हो। इसके साथ-साथ आपको diabetes है। Dialysis पर हैं। Paralysis हो रखी है। Heart की समस्याओं से जूझ रहे हैं।

     तो कहीं न कहीं आपकी quality of life खराब है। कोई भी व्यक्ति ऐसी जिंदगी नहीं चाहता है। अगर हमें quality of life को improve करना है। इसके साथ ही आपको, अपनी age expectancy भी बढ़ानी है। हम अपनी life को enjoy करना चाहते हैं। तो हमें vegetarian की तरफ shift करना चाहिए।

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प्राकर्तिक भोजन के 4 नियम
Four Rules of Natural Food

आप यह जाने कि आपको lunch, dinner और breakfast में क्या खाना है। उससे पहले आपको प्राकृतिक खाने (natural food) के 4 नियमों को समझना होगा।

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जीवन युक्त भोजन ग्रहण करें
Always Eat Living Food

 आपको ऐसा भोजन खाना है। जिसमें जीवन है। इसे ऐसे समझते हैं। अगर आप जमीन में कुछ बोते हैं। उसे नियमित पानी देते हैं। तो कुछ दिन बाद, इसमें से पौधा निकल जाएगा। जैसे यदि आप दाल का बीज, मिट्टी में बोते हैं। तो कुछ दिन बाद, वह अंकुरित हो जाएगा। उसमें से पौधा निकल आएगा।

     लेकिन इसकी जगह, अगर आप कोई बिस्किट या नूडल्स बोते हैं। तो क्या आपको लगता है कि इसमें से कभी गेहूं का पौधा निकलेगा। नहीं, क्योंकि इस बिस्किट या नूडल्स में कोई जीवन नहीं है। इसमें प्राण नहीं है। इसीलिए वह जीवन दे भी नहीं सकता यह निर्जीव भोजन है।

     अतः कोई निर्जीव चीज, हमारे शरीर को जीवन कैसे दे सकती है। दूसरी तरफ फल, सब्जियां, स्प्राउट, अनाज व मेवा। यह सब जीवित भोजन हैं। यानी living food हैं। जब ये हमारे शरीर में जाते हैं। तो हमारे शरीर में भी, जीवन लाते हैं। हमारी उम्र बढ़ाते हैं। बीमारियां खत्म करते हैं। हमारे शरीर से गंदगी को बार निकालते हैं।

     श्रीमद्भगवद्गीता के 17वें अध्याय के, 10वें श्लोक में भगवान श्री कृष्ण कहते हैं। जो भोजन पका हो। उसे पकने के एक पहर, यानी 3 घंटों के अंदर खा लेना चाहिए। 3 घंटों के बाद, वह तामसिक हो जाता है। उसमें से प्राण जाने लगता है। इसलिए योगिक संस्कृति में, कोई भी पका हुआ भोजन। जो 3 घंटों से अधिक रखा हो। तो उसे नहीं खाते।

      हमारे पूर्वज भी ऐसा ही करते थे। खाना सीधे चूल्हे से, हमारी थाली में आता था। लेकिन आजकल लोग फ्रिज में, store किया हुआ। बासी और निर्जीव खाना खा रहे हैं। अपने शरीर में कैंसर को आमंत्रण दे रहे हैं। यदि कोई चीज आग में पक्की हो। तो हमें उसे 3 से 5 घंटे के अंदर खा लेना चाहिए।

        तो क्या यह 3 घण्टों वाला नियम पके हुए, भोजन पर ही लागू होता है। जरा उन चीजों के बारे में सोचिए। जो महीनों पहले packed की गई। इन्हें सुरक्षित रखने के लिए, बहुत सारे chemicals का प्रयोग किया गया है। ताकि यह देखने व खाने में बासी न लगे। यह chemical इन चीजों की self life तो बढ़ा देते हैं।

    लेकिन हमारे खुद के शरीर की self life  को कम कर देते है। तो जरा सोचिए। यह products तो पूर्ण रूप से निर्जीव है। इसमें कोई प्राणशक्ति नहीं है। तो समझदारी इसी में है। कि हम हमेशा living food खाएं। 

     यानी वह भोजन, जिसमें जीवन हो। कोई भी बोतल, पैकेट या डिब्बा बंद चीजें न खाएं। ऐसा खाये, जो सीधे प्रकृति से आता  हो। फिर प्रकृति ख़ुद आपका ध्यान रखेगी।

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पौष्टिक भोजन ग्रहण करें
Always Eat Wholesome Food

  ऐसा खाना खाए। जिसमें पूर्णता हो। हमारी प्रकृति, अपने आप में अद्भुत है। वह कोई गलती नहीं करती। कोई कारण ही है कि वह हमें पेड़ों पर खजूर देती है। चीनी नहीं। कोई कारण है कि वह हमें नारियल देती है। नारियल का तेल नहीं। आलू देती है। आलू के चिप्स नहीं।

      ऐसा भोजन जो हमे सीधे-सीधे धरती से मिलता है। उसमें पूर्णता होती है। मतलब वो खुद में पूरा होता है। इसमें से कुछ निकाला नहीं गया। प्रकृति ने हर चीज बनाने से पहले, बहुत planning की है। उसने हर भोजन में, प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, फैट्स, विटामिंस व मिनरल्स। एक particular ratio में दिए है।

      ताकि हम इंसान, उसे आसानी से पचा पाए। अगर हम उसमें से सिर्फ फैट निचोड़ कर खाते हैं। या उसकी बाहरी परत निकाल देते हैं। तो हम इसके मूल रूप को बदल रहे हैं। इसीलिए सफेद चावल की जगह, ब्राउन चावल खाएं। ब्राउन चावल wholesome होते हैं। इसमें पूर्णता होती है।

        यदि हम उसमें लगी Bran (चोकर) निकाल देते हैं। तो वह सफेद चावल बन जाते हैं। उस चावल को digest करने का mechanism, तो bran में रह जाता है। सफेद चावल खाना कुछ ऐसा है। जैसे हमने आम की गुठली खा ली। बाकी बाहर फेंक दिया।

     चीनी की बजाए खजूर या गुड़ खाएं। इसमें पूर्णता होती है। जबकि चीनी फ्रेगमेंटेड है। यदि गेहूं खाना है। तो उसे चोकर के साथ खाएं। चोकर को छानकर, अलग न करें। अपना गेहूं खुद इस पिसवाएं।

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शुद्ध शाकाहारी भोजन करें
Eat Pure Vegetarian Food

ऐसा भोजन जो पेड़ पौधों से आता है। न कि पशुओं से। मीट, मछली व अंडा बिल्कुल नहीं खाना। हमारी प्रकृति ने, हमारे शरीर को जानवर खाने के लिए बनाया ही नहीं। आप शायद सोचे। तो फिर दूध और दूध से बनी चीजों का क्या। तो देसी गाय का दूध सर्वश्रेष्ठ है। लेकिन समस्या यह है। 

      आजकल हमें जो दूध मिलता है। वह दूध है ही नहीं। हमें जो टेट्रा पैक और थैलियों में मिलता है। वह मिल्क पाउडर, यूरिया और बहुत हानिकारक केमिकल से बना एक सफेद पदार्थ है।

  World Health Organization (WHO) के अनुसार, उन्होंने भारत को आगाह किया है। कि आजकल मिलने वाला दूध इतना मिलावटी है। यदि हम इसे पीते रहेंगे। तो 2025 तक 87% भारत को कैंसर होगा।

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पानी से युक्त भोजन ग्रहण करे
Eat Water Rich Food

   ऐसा भोजन खाएं। जो रस से भरा हो। दो तरह के भोजन होते हैं। पहला Water rich यानी ऐसा भोजन। जिसमें पानी भरपूर मात्रा में हो। दूसरा Water poor, जिसमें कोई पानी नहीं है। Water rich में  फल आते है। जिसमें पपीता, तरबूज, अंगूर, संतरा, टमाटर, पत्तेदार सब्जियां, लौकी आदि।

      Water poor में सभी प्रकार के अनाज आते हैं। जिनमें चावल, गेहूं, दाल, सूखे मेवे, स्टार्च वाली सब्जियां जैसे आलू, अरबी। यदि आप इसे जूसर में डालें। जिससे बहुत सारा जूस निकले। तो आपको पता लगेगा कि यह water rich है। क्या आपने कभी चावल और गेहूं का जूस बनाया है।

      आपका शरीर 70% पानी है। जबकि 30% ठोस है। जिनमें हड्डी, मांसपेशियां व  मांस है। तो स्वभाविक है कि आपके diet में, 70% water rich food ही होने चाहिए। जैसे जूस फल और सब्जियां। जबकि 30% water poor food की मात्रा होनी चाहिए। जिनमें अनाज और सूखे में भी आते हैं।

      लेकिन हममें से ज्यादातर लोग, इसका ठीक उल्टा खाते हैं। हम अनाज दिन में तीन बार खाते हैं। जो पूरी तरह पचता नहीं। इसी कारण, हमें इतने सारे रोग हो रहे हैं।

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स्वस्थ्य जीवन के लिए आहार योजना
Diet Plan for Healthy Life

   यह diet plan उनके लिए है। जिनको कोई बीमारी है। वह उसे जड़ से खत्म करना चाहते हैं। यह उनके लिए भी है। जो पहले से fit हैं। लेकिन अपना वजन और स्वास्थ्य maintain करना चाहते हैं। लेकिन यह एथलीट्स व बच्चों के लिए suggested नहीं है।

     16 साल की उम्र तक के बच्चे और  एथलीट्स अगर वह बिल्कुल स्वस्थ हैं। तो वह दिन में दो से तीन बार अन्न खा सकते हैं। क्योंकि वह इसे पचा सकते हैं। Experts दिन में 5 main meal को suggest करते है। 

     याद रखिए कि आपको इस diet plan के साथ 12 से 14 घंटे के उपवास को जरूर शामिल करें। यानी रात के आखरी meal के बाद, अगले दिन के पहले meal के बीच कम से कम 12 घंटे का अंतर होना चाहिए। इस बीच आपको कोई भी solid food नहीं खाना चाहिए।

सुबह का जूस 

  सुबह उठने के थोड़ी देर बाद, आप detox जूस ले सकते हैं। यह जूस जब भी हमारे शरीर में जाता है। तो शरीर की सारी गंदगी और toxins को अपने अंदर सोख लेता है। जब यह निकलता है। तो बहुत सारी गंदगी अपने साथ लेकर निकलता है।

      वजन कम करने के लिए और त्वचा साफ करने के लिए, यह बहुत अच्छा है। जूस बनाने के लिए आप सफेद पेठा (Ash Gourd) का उपयोग कर सकते हैं। इसके कच्चे जूस का ही प्रयोग करें। अगर यह उपलब्ध नहीं है। तो आप इसकी जगह नारियल पानी या किसी भी सब्जी का जूस ले सकते हैं।

       कोशिश करें कि इस जूस में नमक, नींबू, मिर्च, मसाला का प्रयोग न करें। जूस पीने के लगभग 2 घंटे तक कुछ न खाएं। क्योंकि इस वक्त, यह शरीर में सफाई का काम कर रहा होता हैं।

सुबह का नाश्ता 

जूस पीने के 2 घंटे बाद, आप मौसम का कोई भी फल ले सकते हैं। ऐसे फल खाएं। जिसमें पानी की मात्रा ज्यादा हो। इसलिए केला मत खाएं।  सबसे अच्छा है कि आप एक बार में, एक ही प्रकार का फल खाएं।

     अगर इससे संतुष्टि न मिले। तो आप दो या तीन प्रकार के फल भी खा सकते हैं। हमेशा उन फलों को खाएं। जो आपके देश में उगते हैं। वह मौसम के अनुसार हो। यह फल हमेशा सस्ते भी होंगे। आप चाहे तो उसके ऊपर नारियल की गिरी घिसकर भी डाल सकते हैं।

दोपहर का खाना 

नाश्ते के लगभग 3 घंटे बाद, आप अनाज ले सकते हैं। आप दोपहर के खाने में, चपाती की तुलना में, उसकी दोगुना सब्जी का सेवन करें। मतलब सब्जी ज्यादा खानी है। अनाज कम खाना हैं। जब आप सिर्फ अनाज खाते हो। वो भी बिना सब्जी के, तो इसको पचाना मुश्किल होता है।

     लेकिन जब अनाज को, सब्जी के साथ मिलाकर खाते हो। तो उसको पचाना आसान हो जाता है। आप अपने भोजन में हो सके। तो ब्राउन राइस का ही प्रयोग करें। इसको तब तक follow करें। जब तक आप पूरी तरह से ठीक नहीं हो जाते। आज के modern lifestyle में, हम दिन के 8 घंटे लगभग बैठकर ही काम करते हैं। साथ ही दिन भर में, 1 घंटे की भी exercise नहीं करते।

     ऐसे में इसको पचाना मुश्किल होता है। हमारे पूर्वज इसे आसानी से पचा पाते थे। क्योंकि वह दिन के 6 – 8 घंटे मेहनत का काम करते थे। हमारी समस्या यह है कि हम lifestyle तो आज की जी रहे हैं। लेकिन diet अपने पूर्वजों की ले रहे हैं। इसीलिए बीमार पड़ रहे हैं। 

मिड-डे मील 

लंच और डिनर के बीच आपको शायद मिड मील लेने का मन करें। इस समय, आप कोई भी ताजा जूस ले सकते हैं। यदि उसके बाद भी भूख लगे। तो आप कोई भी फल ले सकते हैं। बहुत से लोगों को, इस समय चाय या कॉफी की आदत होती है। ऐसे में आप हर्बल टी ले सकते हैं।

रात का खाना 

अब आप डिनर में salad या सूप लीजिए। आपका सलाद कच्चा होना चाहिए। इसमें मौसम की किसी भी सब्जियों को काटकर लें। इसी तरह आपका सूप भी, कम से कम पका होना चाहिए। इसमें किसी भी प्रकार का तेल, दूध या अन्न नहीं होना चाहिए।

     जब आप रात को अन्न छोड़कर, सूप और सलाद खाएंगे। तो आपको बहुत हल्का महसूस होगा। जब आप रोज सुबह, अपना extra weight घटता हुआ देखेंगे। साथ ही बिना दवाइयों के, अपनी readings को control में आते हुए देखेंगे। तो वापस मुड़ने का मन भी नहीं करेगा।

     आप पाएंगे कि आपका digestion कमाल का काम करेगा। आप चाहे तो लंच और डिनर को swap भी कर सकते हैं। लंच में आप सलाद ले सकते हैं। वहीं डिनर में अनाज।

  Eat The Best, Leave The Rest

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